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धान कट कर खलिहानों में पड़े, खरीदगी पर प्रशासन चुप

धान कट कर खलिहानों में पड़े, खरीदगी पर प्रशासन चुप फोटो – धान 05 जिले में धान की कटाई एक माह से जारी होने के बावजूद सरकारी खरीद की अब तक नहीं हुई घोषणा — हर बार नवंबर के शुरूआती सप्ताह में ही धान अधिप्राप्ति को लेकर जिले का लक्ष्य किया जाता रहा है निर्धारितप्रतिनिधि, […]

धान कट कर खलिहानों में पड़े, खरीदगी पर प्रशासन चुप फोटो – धान 05 जिले में धान की कटाई एक माह से जारी होने के बावजूद सरकारी खरीद की अब तक नहीं हुई घोषणा — हर बार नवंबर के शुरूआती सप्ताह में ही धान अधिप्राप्ति को लेकर जिले का लक्ष्य किया जाता रहा है निर्धारितप्रतिनिधि, मधेपुरा जिले में धान की कटाई एक माह से जारी होने के बावजूद सरकारी खरीद की घोषणा अब तक नहीं होने से किसान निराश हैं. जबकि विगत कई वर्षों से हर बार नवंबर के शुरुआती सप्ताह में ही धान अधिप्राप्ति को लेकर जिले का लक्ष्य निर्धारित किया जाता रहा है. राज्य में चल रहे चुनाव की चपेट में धान उत्पादक किसान आ चुके हैं. किसानों का त्योहार चुनाव की भेंट चढ़ गया. अगर सरकार बनने तुरंत बाद धान के समर्थन मूल्य की घोषणा नहीं की गयी तो किसान व्यापारियों के हाथ औने पौने भाव में अपना धान बेचने के लिए मजबूर होंगे. धान अधिप्राप्ति योजना के तहत पूरे राज्य में सरकार की ओर से धान की भारी पैमाने पर खरीद की जाती है. खरीदगी की इस योजना का लक्ष्य खाद्यान्न के मामले में राज्य को आत्मनिर्भर बनाना है. लेकिन एक बार फिर आम किसान लाभ से वंचित ही रहेंगे और कालाबाजारियों एवं बिचौलिये ही मालामाल होंगे. चूंकि गेहूं की बोआई नवंबर के प्रथम सप्ताह से ही शुरू हो जाती है. किसानों को बीज और खाद खरीदने के लिए पैसे की जरूरत पड़ती है. किसानों के हाथ में धान तो है लेकिन पैसे नहीं हैं. पैसे फसल बेच कर ही मिलेंगे. त्योहारों की खुशी फीकी सिंहेश्वर के किसान विजेंद्र सिंह कहते हैं कि चुनाव के बाद सरकार बनते-बनते इतनी देर हो जायेगी कि धान अधिप्राप्ति योजना के तहत धान खरीद शुरू भी हुई तो इसका लाभ बिचौलियों को ही मिलेगा. इस समय तक करीब साठ फीसदी से अधिक किसान अपना धान बाजार में बेच चुके होंगे. इस स्थिति का लाभ बिचौलिये उठायेंगे. वहीं शंकरपुर के कल्हुआ गांव के किसान सुरेंद्र मेहता कहते हैं कि धान की दौनी कर बोरे में भर कर रख चुके हैं. अब चुनाव खत्म हो तो बाहर से व्यापारी भी आयें. तभी चार पैसे हाथ आ सकेंगे. त्योहार तो इस बार बच्चों के लिए फीकी ही रहेगी. न कपड़े दिला सकेंगे और न धनतेरस पर मनचाही चीज ही खरीद पायेंगे.

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