मधेपुरा. बिहार प्रदेश श्रीकांत वर्मा साहित्य समिति की ओर से वसंत ऋतु के उपलक्ष्य में कवि गोष्ठी आयोजित की गयी. इस मौके पर कवियों ने कविताओं को सुनाकर वसंत का स्वागत किया. संतोष कुमार सिन्हा की कविता ”कोकिला आम पर कर रही है कुंजन हो रहा है घरा से गगन का मिलन बाग ने वसंत को कहा है स्वागतम्… गुल से गुलजार होगा सारा चमन” के अलावा कवि उल्लास मुखर्जी को कविता-वो जख्म खाकर भी मुस्कराते हैं… और ‘एक कविता सुनाउंगा तुम्हारे हाथ में हाथ रख कर के’… अलावा आती रहती हो तुम ख्यालों में बस एक झलक हो काफी है तथा मैं जब-जब उसे देखती हूं उदास हो जाती हूं. अरविंद श्रीवास्तव की कविता शीर्षक मेरे गोरे दोस्त की पंक्तियां -”तुम्हारे उलझे बाल. कश्मीर की राजनीति/अदाओं में चीन की व पिंग-पौंग डिप्लो मेसी और तुम कभी पास बैठ कर पौं-पौं बाजाती थी प्यानो.” के साथ वरिष्ठ हिंदी कवि हरिशंकर श्रीवास्तव ‘शलभ’ की कविता-पूनों की यह मादक संध्या/ तट पर विहगों का किल्लोल व चंदा को छूने को आतुर व सजनि तुम्हारी लहरें लोल.” ने सबको मंत्रमुग्ध्य कर दिया. वहीं प्रो मणि भूषण वर्मा जी ने धन्यवाद स्वरूप कविता ‘वतन में बागन में व बगरो बसंत है” सुनाकर खूब वाहवाही लूटी.
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वसंत ऋतु पर कवि गोष्ठी का हुआ आयोजन
मधेपुरा. बिहार प्रदेश श्रीकांत वर्मा साहित्य समिति की ओर से वसंत ऋतु के उपलक्ष्य में कवि गोष्ठी आयोजित की गयी. इस मौके पर कवियों ने कविताओं को सुनाकर वसंत का स्वागत किया. संतोष कुमार सिन्हा की कविता ”कोकिला आम पर कर रही है कुंजन हो रहा है घरा से गगन का मिलन बाग ने वसंत […]
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