उत्साह. जिले भर में हर्षोल्लास के साथ मनाया गया भाई-बहन का पर्व भैया दूज
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बहनों ने की भाई की लंबी उम्र की कामना
उत्साह. जिले भर में हर्षोल्लास के साथ मनाया गया भाई-बहन का पर्व भैया दूज इस दिन यमराज अपनी बहन यमुना के पास जा कर मनाया था भैयादूज त्योहार भाई के माथे पर तिलक लगा कर बहनों ने लिया न्योता मधेपुरा : भाई दूज को यम द्वितीय भी कहते हैं. भाई दूज के दिन बहनें रोली […]
इस दिन यमराज अपनी बहन यमुना के पास जा कर मनाया था भैयादूज त्योहार
भाई के माथे पर तिलक लगा कर बहनों ने लिया न्योता
मधेपुरा : भाई दूज को यम द्वितीय भी कहते हैं. भाई दूज के दिन बहनें रोली व अक्षत से अपने भाई के माथे पर तिलक करती हैं और उनके उज्ज्वल भविष्य की कामना करती है. वहीं भाई, बहनों को उपहार देकर उनकी खुशियों को दोगुना कर देता है. इस दिन बहने भाई को तिलक लगाकर उन्हें लंबी उम्र का आशीर्वाद देती है. हिंदू धर्म ग्रंथों के अनुसार भैया दूज को मृत्यु के देवता यमराज का पूजन किया जाता है. इस दिन ब्रज मंडल में बहनें अपने भाई के साथ यमुना स्नान करती है.
जिसका विशेष महत्व बताया गया है. बहनें इस दिन अपने भाई के दीर्घ जीवन, कल्याण व उत्कर्ष के लिए तथा स्वयं के सौभाग्य के लिए अक्षत कुमकुम आदि से अष्टदल कमल बानकर इस व्रत का संकल्प कर मृत्यु के देवता की विधिपूर्वक पूजा करती है. रक्षा बंधन की तरह ही भाई दूज का भी अपना ही महत्व है. साथ ही दीपोत्सव का समापन दिवस भी है. इससे पहले जिला मुख्यालय सहित विभिन्न प्रखंडों में बहन व भाई का पर्व भैया दूज जिले में हर्षोल्लास पूर्वक मनाया गया. इस दौरान शनिवार को बहनों ने व्रत रख कर भाई की लंबी उम्र की कामना की. वहीं भाई के माथे पर तिलक लगा कर बहनों ने न्योता लिया.
इसके बदले में भाई ने बहनों को उपहार स्वरूप पैसा, कपड़े व अन्य समान प्रदान की. मौके पर बहनों ने भाई के दोनों हाथों में पान, सुपारी रख कर तलहथी में सिंदूर, पीठार लगायी. वहीं मंत्र उच्चारण करते हुए भाई के माथे पर तिलक लगायी. इसके बाद भाई के हाथों को मिट्टी के बर्तन में पानी से साफ किया. बहन शिवानी, सलोनी, पावनी, कृतिका, काव्या, सलोनी, रानो, नाव्या, प्रिया, मौसम, वैष्णवी ने कहा कि भैया दूज के मौके पर भाई के दीर्घायु होने के लिए भगवान से प्रार्थना की और भाई के माथे पर तिलक लगा कर न्योता लिया. पौराणिक कथा के अनुसार इस पर्व को यम द्वितीया भी कहा जाता है. इस दिन यमराज अपनी बहन यमुना के पास जा कर भैया दूज त्योहार को मनाया. यह भी मान्यता है कि भैया दूज पर्व मनाने के लिए भाई को बहन के यहां जाना होता है.
भैया दूज मनाने के पीछे हैं कई पौराणिक कथाएं. भाई दूज, भाई व बहन के बीच के प्यार का त्योहार है. यह त्योहार पूरे भारत में धूमधाम से मनाया जाता है. इस त्योहार का अपना महत्व है. इसको मनाये जाने का कारण भी है. हिंदू धर्म की मान्यता के अनुसार सूर्य की संज्ञा से दो संतानें थी एक पुत्र यमराज और दूसरी पुत्री यमुना. संज्ञा सूर्य का तेज सहन न कर सकी और छायामूर्ति का निर्माण करके अपने पुत्र व पुत्री को सौंपकर वहां से चली गयी. छाया को यम और यमुना से किसी प्रकार का लगाव न था,
लेकिन यमराज और यमुना में बहुत प्रेम था. यमराज अपनी बहन से बहुत प्यार करते थे, लेकिन ज्यादा काम होने के कारण अपनी बहन से मिलने नहीं जा पाते. एक दिन यम अपनी बहन की नाराजगी को दूर करने के लिए उनसे मिलने पहुंचे. भाई को आया देख यमुना बहुत खुश हुईं. भाई के लिए खाना बनाया और आदर सत्कार किया. बहन का प्यार देखकर यम इतने खुश हुए कि उन्होंने यमुना को खूब सारे भेंट दिये.
यम जब बहन से मिलने के बाद विदा लेने लगे तो बहन यमुना से कोई भी अपनी इच्छा का वरदान मांगने के लिए कहा. यमुना ने उनके इस आग्रह को सुन कहा कि अगर आप मुझे वर देना ही चाहते हैं, तो यही वर दीजिए कि आज के दिन हर साल आप मेरे यहां आएं और मेरा आतिथ्य स्वीकार करेंगे. कहा जाता है इसी के बाद हर साल भाई दूज का त्योहार मनाया जाता है. इसके अलावा भगवान श्रीकृष्ण व उनकी बहन सुभद्रा को लेकर भी भाई दूज की एक कथा प्रचलित है. कहा जाता है कि नराकासुर को मारने के बाद जब भगवान श्रीकृष्ण अपनी बहन सुभद्रा से मिलने पहुंचे थे. उनकी बहन ने उनका फूलों व आरती से स्वागत किया था और उनके माथे पर टीका किया था. जिसके बाद से इस त्योहार को मनाया जाने लगा और इस दिन बहनें अपने भाई की लंबी उम्र के लिए प्रार्थना करती है.
हर्सोल्लास के साथ मना भैया दूज : शंकरपुर. प्रखंड क्षेत्र में शनिवार को भैया दूज धूमधाम से मनाया गया. भैया दूज को यम द्वितीया भी कहा जाता है. इस दिन बहन रोली व अक्षत अपने भाई के माथे पर लगाती है और उनके उज्ज्वल भविष्य की कामना करती है. ग्रंथों के अनुसार भैया दूज के दिन मृत्यु के देवता यमराज का पूजन किया जाता है.
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