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आंकड़ों की बाजीगरी कर रहे हैं पदाधिकारी

बैठक. समाहरणालय में बाढ़ राहत कार्य की समीक्षा के दौरान सांसद पप्पू यादव ने उठाया सवाल सरकारी आंकड़ों के आधार पर अधिकारियों को घेरा सांसद ने कहा कहीं भी पशुचारे की आपूर्ति नहीं हो रही है, वहीं राहत शिविरों की संख्या में भी नगण्य है मधेपुरा : मुख्यमंत्री ने जब कह दिया है पीड़ितों को […]

बैठक. समाहरणालय में बाढ़ राहत कार्य की समीक्षा के दौरान सांसद पप्पू यादव ने उठाया सवाल

सरकारी आंकड़ों के आधार पर अधिकारियों को घेरा
सांसद ने कहा कहीं भी पशुचारे की आपूर्ति नहीं हो रही है, वहीं राहत शिविरों की संख्या में भी नगण्य है
मधेपुरा : मुख्यमंत्री ने जब कह दिया है पीड़ितों को एक माह तक भोजन कराया जायेगा, तो फिर उसका अनुपालन क्यों नहीं हो रहा है. यहां तक की राष्ट्रीय स्तर पर चर्चित समाजवादी चिंतक भूपेंद्र नारायण मंडल के पैतृक गांव रानीपट्टी जो कि वर्तमान का बिना मंत्री रमेश ऋषिदेव का भी पंचायत है. वह पंचायत पूर्ण रूप से बाढ़ पीड़ित घोषित होने के बावजूद एक भी राहत शिविर नहीं चलाया गया है. आंकड़ों की बाजीगरी की जा रही है. जनता दर्द से कराह रही है.
उक्त सवालों के साथ बुधवार को सांसद समाहरणालय के सभाकक्ष में अधिकारियों से मुखातिब थे. सांसद पप्पू यादव ने कहा पूरे जिले में सरकारी आंकड़े के अनुसार ढाई लाख की आबादी बाढ़ पीड़ित है, लेकिन उनके बीच महज पांच हजार छह सौ पॉलीथिन सीट का वितरण किया गया है. यह कैसा राहत है. लोग खुले में सड़कों पर शरण लिये हुए है. उन्हें सिर पर टांगने के लिए एक पॉलीथिन तक मयस्सर नहीं हो रहा है.
सांसद ने उठाया सवाल कहा फर्जी है आकड़ा.
सांसद ने बैठक के दौरान पूर्ण व आंशिक बाढ़ प्रभावित पंचायतों की सूची देखने के बाद विफरते हुए सवाल उठाया कि आंकड़ा फर्जी है. उन्होंने कहा कि मुरलीगंज के जोरगामा व रामपुर पंचायत को आंशिक प्रभावित दिखाया गया है, जबकि यह दोनों पंचायत पूर्ण प्रभावित रहे है. वहीं अन्य प्रखंड में भी कई पंचायत को आंशिक बताया गया है. जिन पंचायतों को पूर्ण बाढ़ पीड़ित बताया गया है वहां भी राहत शिविर नहीं चलाया गया. इसके उदाहरण देते हुए सांसद ने कहा कि उदाकिशुनगंज के पिपरा करौती, नयानगर, बराही अनंदपुरा, ग्वालपाड़ा का टेमाभेला, कुमारखंड का विषणपुर सुंदर, रानीपट्टी सुखासन जैसे पंचायत शामिल है.
नाकाफी है राहत शिविर, कहीं नहीं हो रही है पशुचारे की आपूर्ति. उन्होंने राहत शिविर की संख्या को नाकाफी बताते हुए कहा कि 89 पंचायत, 207 गांव बाढ़ से पीड़ित है, लेकिन महज 33 शिविर चलाया जा रहा है. इसमें से सात शिविर बंद भी कर दिये गये है. दूसरी ओर मुख्यमंत्री रोज बयान दे रहे है कि बाढ़ पीड़ितों को एक माह तक भोजन कराया जायेगा. उन्होंने अधिकारियों को कहा अविलंब वरीय अधिकारी से इस संबंध में निर्देश लेकर हर प्रभावित पंचायत में दो राहत शिविर प्रारंभ करें. उन्होंने अधिकारियों को आड़े हाथों लेते हुए कहा कि कहीं भी पशुचारे की आपूर्ति नहीं हो रही है. लोग और मवेशी भुख से बिलख रहे है, अधिकारी महज अपनी पीठ खुद थपथपाने में व्यस्त है.
दिखाया स्टिंग, हो रही है आवास के नाम पर अवैध वसूली. सांसद ने बैठक के दौरान ही डीडीसी मिथिलेश कुमार को चौसा के चिरौरी पंचायत का वीडियो टेप दिखाते हुए बताया कि किस तरह से बाढ़ पीड़ितों से पक्का आवास देने के नाम पर दस हजार रुपया मांगा जा रहा है. टेप में महिला बताती है कि स्थानीय जनप्रतिनिधि कहते हैं बीडीओ साहब बोले हैं जो राशि देगा उसी को आवास दिया जायेगा. सांसद ने कहा तुरंत इस पर रोक लगायें. पीड़ितों का दर्द परवान पर है उस पर नमक न छिड़कें.
अधिकारियों के सामने रखी चार मांगें. सांसद ने अधिकारियों समक्ष बाढ़ राहत के लिए अपनी प्राथमिकता गिनाते हुए चार मांग रखी. उन्होंने कहा कि आंशिक व पूर्ण में बांटे बगैर हर प्रभावित पंचायत में बाढ़ राहत शिविर लगाकर लोगों को भोजन कराया जाय. शिविर में चापाकल, शौचालय समेत तमाम व्यवस्था दुरुस्त हो.
हर शिविर में स्वास्थ्य विभाग की ओर से दवाइयों के साथ डॉक्टर या एएनएम रहें. ताकि प्रभावित इलाकों में तुरंत लोगों को मेडिकल सहायता मिले. मुख्यमंत्री के निर्देशों के अनुरूप हर जगह एक माह तक बाढ़ राहत शिविर लगातार चलाया जाय. बैठक में डीडीसी मिथिलेश कुमार, सभी प्रखंड के प्रभारी पदाधिकारी, विद्युत विभाग के कार्यपालक अभियंता अमित कुमार, एनएच व एसएच के कार्यपालक अभियंता मौजूद थे.
प्रखंड कार्यालय में लिया जा रहा आवेदन : बिहारीगंज. प्रखंड के बाढ़ पीड़ित बभनगामा, पडरिया, मोहनपुर, नया बाजार समिति ई किसान भवन में किसानों से फसल क्षति के आवेदन, गृह क्षति का आवेदन लिया जा रहा है. बीडीओ विपिन कुमार ने बताया कि इस कार्य में किसान सलाहकार, इंदिरा आवास सहायक को लगाया गया है.

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