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क्या नये साल में बदलेगी शहर की दशा?

लखीसराय : शहर में गंदगी हर किसी के लिये परेशानी का कारण है. शायद ही कहीं कोई जगह हो जहां साफ-सफाई की बेहतर व्यवस्था हो. यह स्थिति वर्षों से है. हर नये साल आने के बाद शहर की स्थिति बेहतर होने की उम्मीद जगती है, लेकिन साल गुजर जाता है, समस्याएं व चुनैतियां जस की […]

लखीसराय : शहर में गंदगी हर किसी के लिये परेशानी का कारण है. शायद ही कहीं कोई जगह हो जहां साफ-सफाई की बेहतर व्यवस्था हो. यह स्थिति वर्षों से है. हर नये साल आने के बाद शहर की स्थिति बेहतर होने की उम्मीद जगती है, लेकिन साल गुजर जाता है, समस्याएं व चुनैतियां जस की तस बनी रह जाती है. सुविधाओं को पटरी पर लाने में नप प्रशासन हांफता नजर आता है.
शहर में कूड़ा कलेक्शन एक बड़ी चुनौती
शहर में डोर टू डोर कूड़ा कलेक्शन की व्यवस्था की गयी है. इसके तहत नप कर्मी या संवेदक के द्वारा लोगों के घर-घर जाकर कूड़ा जमा लिया जाता है. इसमें सबसे बड़ी समस्या सह है कि नप कर्मी सुबह सफाई करते हैं और दुकानें बाद में खुलती हैं. दुकानदारों को डस्ट बीन रखने की आदत तो है नहीं और नगर परिषद भी इसका कड़ाई से पालन नहीं करा पा रहा है.
हालात ये है कि दुकानदार सारा दिन सड़कों पर कूड़ा-कचरा फेंककर शहर को गंदा करते हैं. शहर को साफ-सुथरा रखने की जवाबदेही जितना नप प्रशासन की है, उतनी ही जिम्मेदारी हमारी भी है कि हम अपनी आदतों में सुधार लाकर शहर को स्वच्छ रखने में अपना योगदान दें. लेकिन हम अपनी आदतों में सुधार नहीं ला रहे. गंदगी डालने के लिये नगर परिषद के द्वारा जगह-जगह डस्टबीन की व्यवस्था की गयी है.
लेकिन लोग कूड़े को डस्टबीन में डालने की बजाय सड़कों पर ही डाल देते हैं. जिससे परेशानी बनी हुई है. सड़क पर पड़े कूड़े-कचरे से निकलने वाली दुर्गंध की वजह से लोगों का इस होकर गुजरना भी मुशकिल हो जाता है. शहर में सार्वजनिक शौचालय का अभाव एक बड़ी समस्या है. इसके अभाव के कारण पूरा शहर मलमूत्र के ढेर में तब्दील नजर आता है.
जहां मन चाहा लोग पेशाब के लिये ओट तलाशते नजर आते हैं. शहर की अधिकांश खाली पड़ी जमीन व पुराना घर शौचालय का रूप अख्तियार कर चुका है. हालांकि यह सुविधा भी पुरुषों तक ही सीमित है. महिलाओं को अब भी फजीहत झेलनी पड़ती है. उक्त समस्या पर कई बार चर्चा भी हुई. अखबारों में भी खबरों ने खूब सुर्खियां बटोरी. शहर के प्रबुद्ध लोग भी इसकीखुलेआम वकालत करते है, लेकिन नप प्रशासन अब तक जगह की अनुपलब्धता का हवाला देते हुए अपना पल्ला झाड़ता रहा है.
खुले में सजती हैं मीट-मछली की दुकानें
नप प्रशासन द्वारा रोक के बावजूद शहर की मुख्य सड़क के किनारे ही खुले में मीट-मछली की दुकानें सजती हैं. इससे लोगों के स्वास्थ्य पर प्रतिकूल असर पड़ता है और गंदगी भी काफी फैलती है. नप प्रशासन द्वारा इसे रोकने के लिये सख्ती नहीं बरती जा रही.

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