चलंत लोक अदालत में शुल्क नहीं लगता है फोटो 6(लोक अदालत में जानकारी देते सदस्य प्रो.सी एल सिंह)झाझा. भारत की आजादी के बाद स्वतंत्र भारत में विधायिका, कार्यपालिका एवं न्यायपालिका का गठन किया गया ताकि आम नागरिक सहज जिंदगी जी सके. समय बदला और पूरे देश में वादों की संख्या बढ़ते गयी. जिसे कम करने के लिए चलंत लोक अदालत लगाया जाने लगा़ इस अदालत में कोई शुल्क नहीं लगता है़ उक्त बातें चलंत लोक अदालत के सदस्य प्रो सी एल सिंह ने गुरुवार को प्रखंड कार्यालय सभागार में आयोजित चलंत लोक अदालत में उपस्थित लोगों को संबोधित करते हुए कहा़ उन्होंने कहा की आपसी समझौते के तहत वादों का निष्पादन किया जाता है. लोगों को संबोधित करते हुए न्यायिक सदस्य विनय मोम श्रीवास्तव ने कहा कि निम्न न्यायलय से लेकर सवोच्चय न्यायलय तक वादों की संख्या में काफी इजाफा हुआ है़ 7 वर्ष तक की सजा या फिर किसी भी तरह का वाद यदि आपसी समझौते के तहत निष्पादन होने वाला हो तो इस अदालत के द्वारा निष्पादन किया जाता है़ उपस्थित लोगों को अधिवक्ता सदस्य शैलेन्द्र कुमार सिन्हा, प्रखंड विकास पदाधिकारी सतीश कुमार, अंचलाधिकारी निशांत पटेल ने भी चलंत लोक अदालत की विशेषता के बारे में विस्तार पूर्वक बताया. चलंत लोक अदालत की कार्यवाई के बारे में प्रो.सिंह ने बताया कि जुर्माना के रूप में 5008 रुपया वसूल किया गया. एल पी सी का दो सौ वाद, दाखिल खारिज के 4 एवं जंगल विभाग के 4 वाद निबटाया गया़ मौके पर कई लोग मौजूद थे़
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चलंत लोक अदालत में शुल्क नहीं लगता है
चलंत लोक अदालत में शुल्क नहीं लगता है फोटो 6(लोक अदालत में जानकारी देते सदस्य प्रो.सी एल सिंह)झाझा. भारत की आजादी के बाद स्वतंत्र भारत में विधायिका, कार्यपालिका एवं न्यायपालिका का गठन किया गया ताकि आम नागरिक सहज जिंदगी जी सके. समय बदला और पूरे देश में वादों की संख्या बढ़ते गयी. जिसे कम करने […]
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