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धान क्रय केंद्र नहीं खुलने से किसान परेशान

धान क्रय केंद्र नहीं खुलने से किसान परेशान सिकंदरा . कहा जाता है कि किसानों का भविष्य मानसून के रूख पर तय होता है. लेकिन इस बार इस कहावत को सरकार के जटिल तंत्र ने निरर्थक साबित कर दिया है. मानसून के सहायक होने के बावजूद भी किसान इस बार खून के आंसू रोने को […]

धान क्रय केंद्र नहीं खुलने से किसान परेशान सिकंदरा . कहा जाता है कि किसानों का भविष्य मानसून के रूख पर तय होता है. लेकिन इस बार इस कहावत को सरकार के जटिल तंत्र ने निरर्थक साबित कर दिया है. मानसून के सहायक होने के बावजूद भी किसान इस बार खून के आंसू रोने को विवश है.अच्छे मानसून के कारण इस वर्ष प्रखंड में धान की रिकॉर्ड पैदावार हूई हैं लेकिन विडंबना यह है कि धान के रिकॉर्ड पैदावार के बावजूद प्रखंड के किसान आर्थिक तंगी से जूझ रहे है. और किसानों की धन का खरीददार नहीं मिल रहा है. जिसके कारण रबी की बुआई को लेकर आर्थिक तंगी से जूझ रहे किसान महाजनों के चंगुल में फंसने को विवश है. उल्लेखीय हैं कि राज्य सरकार ने इस बार धान का न्यूनतम समर्थन मूल्य 1410 रुपये प्रति क्विंटल तय करते हुए 5 दिसंबर से राज्य भर में धान खरीद शुरू करने की घोषणा की थी. लेकिन पूरा दिसंबर माह बीत जाने के बावजूद प्रखंड क्षेत्र में अब तक पैक्सों व व्यापार मंडल के द्वारा धान अधिप्रत्ति का कार्य प्रारंभ नहीं हो सका है. जिसके कारण आर्थिक तंगी से जुझ रहे छोटे व मंझोले दर्जे के किसान धान को औने पौने भाव में बिचोलियों के हाथों बेचने को लेकर मजबूर है. बताते चलें कि धान की खरीद के लिए सिकंदरा में राज्य खाद्य निगम द्वारा अनुमंडल स्तरीय धान क्रय केन्द्र खोला गया है. लेकिन बिडंबना यह है कि क्रय केंद्र खुले तकरीबन एक माह बीत जाने के बावजूद अब तक अनुमंडल स्तरीय क्रय केंद्र पर धान का एक दाना भी खरीदा नहीं जा सका क्रय केन्द्र पर धान खरीद तो दूर आज त कभी क्रय केंद्र प्रभारी को भी कभी मौजूद नहीं देखा गया है. ऐसे में धान खरीद मामले में जिला प्रशासन के रवैये पर ही सवाल उठने लगा वहीं सरकारी तंत्र के इस मकड़जाल में उलझकर क्षेत्र के बेबस किसान आठ-आठ आंसू बहाने को विवश है. बताते चलें कि धान की अच्छी पैदावार के कारण इस वर्ष व्यापारी व बिचौलियों काफी सक्रिय नजर आ रहे है. और किसानों से धान खरीद कर मंडारण करने में लगे हुए. इन बिचौलियों के द्वारा ही धान खरीदकर एएफसी अपने लक्ष्य को पूरा करने की कोशिश करेगी. और बिचौलियों व एएफसी के इस मकड़जाल में किसान मूकदर्शक बनकर रह जायेंगे.

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