11.1 C
Ranchi

BREAKING NEWS

Advertisement

आस्था के साथ सुहागिनों ने रखा करवा चौथ का व्रत

सूर्यगढ़ा : करवा चौथ का त्योहार गुरुवार को पूरे उल्लास के साथ मनाया गया. सभी सुहाग‍िनों के दिन भर के लंबे इंतजार के बाद आसमान में चांद दिखायी दिया और सुहागिनों ने चांद और पति का चेहरा देख कर अपने व्रत खोली. महिलाओं ने अपने प्रीतम के हाथ से पानी और खाने का पहला निवाला […]

सूर्यगढ़ा : करवा चौथ का त्योहार गुरुवार को पूरे उल्लास के साथ मनाया गया. सभी सुहाग‍िनों के दिन भर के लंबे इंतजार के बाद आसमान में चांद दिखायी दिया और सुहागिनों ने चांद और पति का चेहरा देख कर अपने व्रत खोली. महिलाओं ने अपने प्रीतम के हाथ से पानी और खाने का पहला निवाला खाकर अपना व्रत पूरा किया.

70 साल बाद बना दूर्लभ संयोग.
ज्योतिषाचार्य सह राष्ट्रीय कथा वाचक उमाशंकर व्यास जी ने बताया कि इस बार करवा चौथ का व्रत बहुत ही शुभ संयोग लेकर आया. इस दिन रोहिणी नक्षत्र में चंद्रोदय हुआ. ऐसा संयोग दुर्लभ माना जाता है. कार्तिक मास की चतुर्थी को करवा चौथ का त्योहार मनाया जाता है. इस बार करवा चौथ का महत्व इसलिए और बढ़ गया क्योंकि इस साल करवा चौथ पर एक विशेष संयोग बना.
यह संयोग 70 साल बाद बना. इस बार चतुर्थी तिथि 16 अक्तूबर बुधवार को शाम 05:20 पर चतुर्थी तिथि लगा जो अगले दिन 17 अक्तूबर गुरुवार को चतुर्थी तिथि सुबह 05:29 तक रहा. इस बार करवा चौथ की पूजा का शुभ मुहूर्त शाम 5:50 बजे से 7:06 बजे तक कर रहा. कुल मिलाकर एक घंटे 15 मिनट का पूजा के लिए यह शुभ मुहूर्त रहा.
इस बार रोहिणी नक्षत्र के साथ मंगल का योग होना अधिक मंगलकारी बना रहा. यह योग बहुत ही मंगलकारी माना जा रहा है और माना जा रहा है कि इस दिन व्रत करने वाली सुहागिनों को व्रत का फल मिलेगा. इस दिन चतुर्थी माता और गणेश जी की भी पूजा की जाती है. माना जाता है कि इस दिन यदि सुहागिन स्त्रियां व्रत रखे तो उनके पति की उम्र लंबी होती है और उनका गृहस्थ जीवन सुखमय होता है.
धार्मिक आधार पर देखें तो कहा जाता है कि चंद्रमा भगवान ब्रह्मा का रूप है. एक मान्यता यह भी है कि चांद को दीर्घायु का वरदान प्राप्त है और चांद की पूजा करने से दीर्घायु प्राप्त होती है. साथ ही चद्रंमा सुंदरता और प्रेम का प्रतीक भी होता है. यही कारण है कि करवा चैथ के व्रत में महिलाएं छलनी से चांद को देखकर अपने पति की लंबी उम्र की कामना करती है.
पौराणिक कथा. पौराणिक कथाओं के अनुसार एक साहूकार की बेटी ने अपने पति की लंबी आयु के लिए करवा चौथ का व्रत रखा था पर अत्यधिक भूख की वजह से उसकी हालत खराब होने लगी थी, जिसे देखकर साहूकार के बेटों ने अपनी बहन से खाना खाने को कहा लेकिन साहूकार की बेटी ने खाना खाने से मना कर दिया. भाइयों से बहन की ऐसी हालत देखी नहीं गयी तो उन्होंने चांद के निकलने से पहले ही एक पेड़ पर चढ़कर छलनी के पीछे एक जलता हुआ दीपक रखकर बहन से कहा कि चांद निकल आया है.
बहन ने भाइयों की बात मान ली और दीपक को चांद समझकर अपना व्रत खोल लिया और व्रत खोलने के बाद उनके पति की मुत्यु हो गयी और ऐसा कहा जाने लगा कि असली चांद को देखे बिना व्रत खोलने की वजह से ही उनके पति की मृत्यु हुई थी. तब से अपने हाथ में छलनी लेकर बिना छल-कपट के चांद को देखने के बाद पति के दीदार की परंपरा शुरू हुई.
करवा चौथ की सेल्फी भेजें, इनाम पाएं
भागलपुर. इस करवा चौथ की व्रत को प्रभात खबर के साथ मिलकर बनायें और भी खास. करवा चौथ सुहागिनों के लिए खास महत्व रखता है. महिलाएं निर्जला व्रत रख कर अपने पति की लंबे उम्र की कामना करती हैं. यह व्रत पति-पत्नी के बीच आपसी प्यार और समझ को बढ़ाने वाला पर्व है.

Prabhat Khabar App :

देश, एजुकेशन, मनोरंजन, बिजनेस अपडेट, धर्म, क्रिकेट, राशिफल की ताजा खबरें पढ़ें यहां. रोजाना की ब्रेकिंग हिंदी न्यूज और लाइव न्यूज कवरेज के लिए डाउनलोड करिए

Advertisement

अन्य खबरें

ऐप पर पढें