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लाली पहाड़ी के गर्भ से निकला मंदिर का अलंकृत पिलर

बुधवार को मिले पिलर में तिब्बत बौद्धिज्म का सिंबल ध्वज भी लगा है खुदाई में अब तक बौद्धमहाविहार से संबंधित 70 से अधिक मिल चुके हैं सेल खुदाई के दौरान बौद्धिज्म से जुड़े कई परंपरागत सामग्रियों के मिलने से इसके अलग महत्व की कही जा रही बात खुदाई पूर्ण होने के बाद पर्यटन की दृष्टि […]

  • बुधवार को मिले पिलर में तिब्बत बौद्धिज्म का सिंबल ध्वज भी लगा है
  • खुदाई में अब तक बौद्धमहाविहार से संबंधित 70 से अधिक मिल चुके हैं सेल
  • खुदाई के दौरान बौद्धिज्म से जुड़े कई परंपरागत सामग्रियों के मिलने से इसके अलग महत्व की कही जा रही बात
  • खुदाई पूर्ण होने के बाद पर्यटन की दृष्टि से क्षेत्र का होगा विकास
लखीसराय : लाली पहाड़ी लगातार अपने गर्भ से इतिहास के नये-नये रहस्यों को निकालती जा रही है. जिससे न सिर्फ अपने देश के पुरातत्वविद बल्कि दुनिया के पुरातत्वविदों की निगाह में भी लखीसराय का लाली पहाड़ी आ चुका है.
विगत 25 नवंबर 2017 को लाली पहाड़ी की शुरू हुई खुदाई के बाद अब तक दो चरणों की खुदाई में बौद्ध महाविहार के विस्तृत प्रमाण मिल चुके हैं. खुदाई के दौरान न सिर्फ बौद्ध महाविहार में बौद्ध भिक्षुओं के रहने के 70 से अधिक कक्ष(सेल) मिले हैं बल्कि कई ऐसी वस्तुएं मिली हैं, जिससे यह साबित होता है लखीसराय बौद्ध भिक्षुओं का तंत्र साधना स्थल भी रहा होगा.
इसके अलावा लखीसराय की लाली पहाड़ी के समीप बौद्ध भिक्षुणी के भी रहने के प्रमाण मिले हैं, जिसमें उनकी तांबे की चूड़ियां सहित कई अन्य सामग्री भी मिली हैं. वहीं यहां भवन की सुरक्षा का भी पूरा ख्याल रखने की भी बातें सामने आयी हैं. विगत चार दिन पूर्व भी लाली पहाड़ी की खुदाई के दौरान दान के रूप में प्रतिज्ञा स्वरूप इस्तेमाल की जाने वाली लकड़ी का वोटिव टेबलेट मिला था. जिसके बारे में कहा गया कि पूरे विश्व में आज तक लकड़ी का वोटिव टेबलेट नहीं मिला है.
जिलाधिकारी के समक्ष खुदाई में मिला अलंकृत पिलर
बुधवार को जिलाधिकारी शोभेंद्र कुमार चौधरी ने बुधवार को लाली पहाड़ी का निरीक्षण किया. इस दौरान डीएम ने खुदाई कार्य की मॉनेटरिंग कर रहे विश्व भारती शांति निकेतन विश्वविद्यालय पश्चिम बंगाल के प्राचीन इतिहास एवं पुरातत्व विभाग के विभागाध्यक्ष डॉ अनिल कुमार से खुदाई कार्य की पूरी जानकारी ली. इसी दौरान चल रही खुदाई में एक मंदिर का अलंकृत पिलर मिला.
जिससे देख खुदाई कार्य में लगे शोधकर्ता छात्र काफी उत्साहित हुए तथा इसकी जानकारी डॉ कुमार को दी. इस संबंध में डॉ कुमार ने बताया कि अलंकृत पिलर में मंदिर की आकृति व उसपर ध्वज का चित्र उकेरा हुआ है.जो तिब्बत बौद्धिज्म में देखने को मिलता है. उन्होंने बताया कि लाली पहाड़ी के गर्भ में बौद्धिज्म का भव्य मंदिर रहा होगा.

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