पहाड़कट्टा.
पोठिया प्रखंड की कस्बाकलियागंज पंचायत में अवस्थित सैठाबाड़ी गांधी पुस्तकालय 67 वर्ष बाद भी अपने किसी उद्धारक की बाट जोह रहा है. वर्ष 1958 में गांधी पुस्तकालय का निर्माण कराया गया था. लेकिन इसे विडंबना ही कहा जाय कि छह दशक से अधिक समय बीत जाने बाद भी इस पुस्तकालय से इलाके के छात्रों को न तो किसी प्रकार का लाभ मिल सका है और न ही सरकार द्वारा पुस्तकालय को मान्यता दी गयी. स्थानीय लोगों ने गांधी पुस्तकालय को आरंभ करने की मांग जनहित के मद्देनजर की है. गांधी पुस्तकालय भवन का निर्माण आजादी के ग्यारह वर्ष बाद हुआ था. भवन निर्माण के लिए खगेश्वर प्रसाद शर्मा ने अपनी 22 डिसमिल जमीन पुस्तकालय के नाम दान की थी. गांधी पुस्तकालय भवन में तत्काल दो कमरा निर्माण कराया गया था. जिसमें ईट की दीवार व टीना का छत था. पुस्तकालय के ठीक सामने 1958 में निर्मित एक कुंआ आज भी मौजूद है. पहले पुस्तकालय में फर्नीचर से लेकर सैकड़ो पुस्तक एवं कई अन्य सुविधाएं मौजूद थी. लेकिन देखरेख के अभाव और लावारिस अवस्था में रहने के कारण सभी सामान गायब हो चुके है. वर्तमान में भवन भी जर्जर हो चुका है. हालांकि लोकसभा और विधानसभा चुनाव के समय मतदान केंद्र के रूप में उक्त भवन का उपयोग किया जाता है. उल्लेखनीय है कि किशनगंज-ठाकुरगंज मुख्यपथ से सटे सैठाबाड़ी गांव में गांधी पुस्तकालय सह गांधी वैदिक आश्रम में वर्ष 1962 के दौरान खादी के कपड़े भी तैयार किये जाते थे. यहां सरकारी कर्मी वस्त्र तैयार कराने हेतु प्रतिनियुक्त थे. जिनमें से एक कर्मी पास के ही कौवाबाड़ी गांव के थे. जमीन दाता के पौत्र परिमल शर्मा के मुताबिक सन 1962 में चीन और भारत युद्ध के समय सैठाबाड़ी पुस्तकालय सह गांधी वैदिक आश्रम में स्वतंत्रता संग्राम सेनानी एवं प्रसिद्ध गांधीवादी नेता विनोवा भावे और पूर्व प्रधानमंत्री लाल बहादुर शास्त्री भी इस पुस्तकालय में पहुंचे थे. जिसकी तस्वीर परिमल शर्मा के पास है. गांधी पुस्तकालय का भवन 1970 के दशक से प्राथमिक विद्यालय के रूप संचालित था लगातार पांच वर्षों तक इस भवन में विद्यालय का संचालन होता रहा. इसके बाद यह विद्यालय एक फूस के मकान में चिचुआबाड़ी में शिफ्ट कराया गया. बरहाल स्थानीय लोगों ने गांधी पुस्तकालय को जनहित में चालू करने की मांग जनप्रतिनिधियों एवं प्रशासनिक अधिकारियों से की है.बोले विधायक
किशनगंज विधायक इजहारुल हुसैन ने बताया कि गांधी पुस्तकालय सह वैदिक आश्रम सैठाबाड़ी का सरकारी स्तर से संचालन कराए जाने की मांग बिहार सरकार से की जाएगी. जनहित के इस महत्तवपूर्ण मांग को विधानसभा के सत्र में उठाया जाएगा.
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