इनके परिजन तो इस त्रसदी में बच गये लेकिन उनकी जिंदगी की कमाई बरबाद हो गयी. काठमांडू के रोजगार व व्यापार से उनके परिवार का भरण-पोषण होता था. काठमांडू से वापस लौटे मंजूर आलम, मंसूर आलम, मो नईमुल, मोहमद्दीन, महबूब,मुजफ्फर, हबीब, उसमान बताते हैं कि गत शनिवार को 11:45 बजे अचानक धरती डोल उठी और देखते ही देखते ही इमारतें धराशायी होने लगी. इस हादसे में हमलोगों की जान बच गयी. आज हमलोग भारत सरकार के सहयोग से घर वापस आ गये हैं. भारत सरकार ने नेपाल में भी हमलोगों की मदद की.
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पांच दिनों के बाद घर में जला चूल्हा
पोठिया: काठमांडू से वापस प्रखंड के कसबा कलियागंज के चिचुआबाड़ी पहुंचे भूकंप पीड़ितों के घरों में पांच दिनों के बाद बुधवार को चूल्हा जला. बताते चलें कि कसबा कलियागंज पंचायत के सौ से अधिक लोग काठमांडू में रह कर रोजगार करते हैं. लेकिन गत शनिवार को आये विनाशकारी भूकंप ने उनके रोजगार के साथ जिंदगी […]
पोठिया: काठमांडू से वापस प्रखंड के कसबा कलियागंज के चिचुआबाड़ी पहुंचे भूकंप पीड़ितों के घरों में पांच दिनों के बाद बुधवार को चूल्हा जला. बताते चलें कि कसबा कलियागंज पंचायत के सौ से अधिक लोग काठमांडू में रह कर रोजगार करते हैं. लेकिन गत शनिवार को आये विनाशकारी भूकंप ने उनके रोजगार के साथ जिंदगी को भी तहस-नहस कर दिया. काठमांडू से जान बचा कर वापस लौटे लोग उस दिन को याद कर फफक-फफक कर रो पड़ते है.
नेपाल की कमाई से चलता था घर
इधर, मंगलवार को चिचुआबाड़ी में काठमांडू स्थित गोशाला बाजार से पहुंचे मो उसमान की पत्नी खरीदा बेगम ने बताया कि हम लोग 25 वर्ष से नेपाल में कपड़ा रंगाई का कार्य करते हैं और वहीं भाड़े के मकान में चार बच्चों के साथ रहते थे. बीते शनिवार को भूकंप ने इस कदर तांडव मचाया कि अब भी वह दृश्य आंखों के सामने घूम रहा है. आज व दृश्य जब आंखों के सामने आता है तो दिल दहल जाता है. भूकंप के नाम से रोंगटे खड़े हो जाते हैं. जिस मकान में हम लोग रहते थे किसी प्रकार बाहर निकल गये लेकिन उसी गांव की एक बूढ़ी महिला घर से निकलते-निकलते मलबे में दब गयी. जान तो बच गयी लेकिन पांव पूरी तरह जख्मी है. हम लोगों के सामने लोग मलबे में छटपटा रहे थे. न जाने कितनी मौतें हुई. फिलहाल हम लोगों के सामने रोजगार की समस्या खड़ी हो गयी है. क्योंकि वहां से शरीर के अलावे कुछ भी साथ नहीं आया है. इधर, पीड़ित परिवार का जायजा लेने पूर्व जिप अध्यक्ष मो तसीरूउद्दीन, विधायक की मां शायदा बानू मौके पर पहुंच कर लोगों को ढाढ़स बंधाया और मदद के लिए सरकार से सहायता देने की बातें कही. मो तसीरूद्दीन ने दुख दर्द बांटा और हर संभव सरकारी सहायता दिलाने का भरोसा दिलाया.
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