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छापेमारी तो हुई पर अब तक दर्ज नहीं हुई प्राथमिकी

किशनगंजः शहर के महावीर मार्ग स्थित राधिका अल्ट्रासाउंड सेंटर में पिछले दिनों छापेमारी के दौरान सिविल सजर्न की आंखों में धूल झोंक कर फरार हो रहे दो टेक्नीशियन को स्थानीय लोगों ने पकड़ कर पुलिस के हवाले कर दिया था. परंतु घटना के 24 घंटे बीत जाने के बाद भी स्थानीय स्वास्थ्य विभाग द्वारा गिरफ्तार […]

किशनगंजः शहर के महावीर मार्ग स्थित राधिका अल्ट्रासाउंड सेंटर में पिछले दिनों छापेमारी के दौरान सिविल सजर्न की आंखों में धूल झोंक कर फरार हो रहे दो टेक्नीशियन को स्थानीय लोगों ने पकड़ कर पुलिस के हवाले कर दिया था. परंतु घटना के 24 घंटे बीत जाने के बाद भी स्थानीय स्वास्थ्य विभाग द्वारा गिरफ्तार युवकों के विरुद्ध प्राथमिकी दर्ज न किये जाने के पश्चात अंतत: पुलिस को मजबूरन उन्हें छोड़ देना पड़ा. स्थानीय स्वास्थ्य विभाग द्वारा बरती गयी इस लापरवाही को ले अब स्थानीय लोग विभाग की कार्यप्रणाली पर अंगुली उठाने लगे हैं.

पीसी एंड पीएनडीटी एक्ट सलाहकार समिति के पदेन अध्यक्ष सिविल सजर्न डॉ अफाक अहमद लारी के द्वारा की गयी कार्रवाई के पश्चात जहां स्थानीय लोगों ने खुले दिल से उनके तारीफों के पुल बांधे थे वहीं घटना के मात्र दो दिन के बाद अब तरह-तरह की चर्चा शुरू हो गयी है. इस संबंध में पूछे जाने पर सलाहकार समिति के सदस्य डॉ एनके प्रसाद ने कहा कि अनधिकृत रूप से किसी व्यक्ति द्वारा मरीजों का अल्ट्रासाउंड किया जाना दंडनीय अपराध है. उन्होंने कहा कि सलाहकार समिति के अध्यक्ष होने के नाते किसी भी प्रकार की कार्रवाई सिर्फ सिविल सजर्न द्वारा ही की जा सकती है. हालांकि उन्होंने टेक्नीशियन मामले में कुछ भी बोलने से साफ इनकार कर दिया.

नहीं हो रही है कार्रवाई

शहर में बिना डिग्री लिए सोनोग्राफी, रेडियोलॉजी, पैथॉलॉजिकल, अल्ट्रासाउंड, एक्स रे, इसीजी सहित अन्य कार्य धड़ल्ले से चल रहा है. नियम को ताक पर रखकर ऐसे काम करने वाले लोगों को खिलाफ कार्रवाई नहीं के बराबर दिख रही है.

27 मई को शहर के पूजा होटल के समीप अवैध रूप से संचालित राधिका अल्ट्रासाउंड सेंटर के खिलाफ दी गयी सूचना पर सिविल सजर्न डॉ अफाक अहमद लॉरी ने उसे सील तो कर दिया लेकिन आज तक दोषी संचालक के खिलाफ आपराधिक मामला दर्ज करने की आदेश तक नहीं दिया है.जबकि सिविल सजर्न द्वारा प्राथमिकी दर्ज नहीं किये जाने के कारण सेंटर से गिरफ्तार दो टेक्नीशियन को पुलिस को मजबूरन छोड़ना पड़ा. शहर में संचालित अल्ट्रासाउंड, पैथलैब व एक्स-रे सेंटरों पर ऐसे कर्मी लगाए गए है जिनके पास कोई डिग्री, डिप्लोमा अथवा प्रशिक्षण का प्रमाण पत्र नहीं है. इन्हीं के द्वारा अल्ट्रासाउंड रिपोर्ट और एक्स-रे फिल्म पर आंख मूंद कर विश्वास कर लेते हैं और उसका खामियाजा मरीजों को भुगतना पड़ता है.

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