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कुपोषण की वजह से महिलाओं की स्थिति खराब

किशनगंज : माइक्रोन्यूट्रिएंट फोरम की स्टेट ऑफ द वर्ल्ड रिपोर्ट-2015 के अनुसार खाद्य पदार्थ में पोषक तत्वों की कमी के कारण सबसे ज्यादा गर्भवती महिला, बच्चे व भ्रूण प्रभावित हैं. दुनिया के करीब 160 करोड़ लोग एनिमिया से पीड़ित हैं. वहीं 200 करोड़ लोग सूक्ष्म पोषक तत्वों की कमी के कारण गंभीर बीमारियों के शिकार […]

किशनगंज : माइक्रोन्यूट्रिएंट फोरम की स्टेट ऑफ द वर्ल्ड रिपोर्ट-2015 के अनुसार खाद्य पदार्थ में पोषक तत्वों की कमी के कारण सबसे ज्यादा गर्भवती महिला, बच्चे व भ्रूण प्रभावित हैं. दुनिया के करीब 160 करोड़ लोग एनिमिया से पीड़ित हैं. वहीं 200 करोड़ लोग सूक्ष्म पोषक तत्वों की कमी के कारण गंभीर बीमारियों के शिकार हैं.

हालिया सर्वेक्षण में भारत में 60 प्रतिशत महिलाएं व बच्चे कुपोषण के शिकार है. कुपोषण का सीधा अर्थ है कि इन्हें सूक्ष्म पोषक तत्व आयरन, फोलेट, आयोडीन, विटामिन-ए, जिंक आदि से भरपूर पोषक तत्वयुक्त आहार की कमी हैं. मंगलवार को प्रभात खबर द्वारा बिहार दिवस के उलक्ष्य में एमजीएम मेडिकल कॉलेज में आयोजित परिचर्चा में चिकित्सकों ने अपनी बातें रखी. परिचर्चा का विषय था बिहार में स्वास्थ्य व्यवस्था कैसे दुरूस्त हो.

ग्लोबल न्यूट्रीशन रिपोर्ट, 2017 (जीएनआर) की ताजा रिपोर्ट में प्रजनन उम्र में पहुंचने वाली महिलाओं और बच्चों की हालत बेहद गंभीर पायी गयी है. ऐसी आधी से ज्यादा महिलाएं खून की कमी (एनिमिया) से जूझ रहे हैं, वहीं एक तिहाई से ज्यादा बच्चे कुपोषण की गंभीर समस्या से ग्रस्त हैं. इसमें कुपोषण के तीन कारणों को मुख्य संकेतक माना गया है. इनमें बच्चों में बौनेपन की शिकायत, प्रजनन उम्र में महिलाओं में एनिमिया और महिलाओं में मोटापे की समस्या शामिल हैं.

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