अब तक जिसने नहीं हटाया है अतिक्रमण उन पर की जायेगी कानूनी कार्रवाई
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ठाकुरगंज में अतिक्रमण हटते ही बढ़ी बाजार की रौनक
अब तक जिसने नहीं हटाया है अतिक्रमण उन पर की जायेगी कानूनी कार्रवाई कुर्लीकोट : भले ही प्रशासनिक डंडा देर से चला, लेकिन चला तो नगर की रौनक बढ़ गयी. ठाकुरगंज नगर पंचायत का आधा शहर अतिक्रमण की चपेट में था. दिनों-दिन अतिक्रमण के आगोश में पूरा बाजार समाते जा रहा था. सड़कें सिकुड़ती जा […]
कुर्लीकोट : भले ही प्रशासनिक डंडा देर से चला, लेकिन चला तो नगर की रौनक बढ़ गयी. ठाकुरगंज नगर पंचायत का आधा शहर अतिक्रमण की चपेट में था. दिनों-दिन अतिक्रमण के आगोश में पूरा बाजार समाते जा रहा था. सड़कें सिकुड़ती जा रही थी. सड़कों पर वाहनों का खड़ा होना और शहर में जाम लगना प्रशासन के लिए एक चुनौती बनता जा रहा था, लेकिन प्रशासनिक अधिकारियों की सूझ-बूझ और कागजी प्रक्रिया के साथ अतिक्रमणकारियों को निर्धारित समय सीमा के अंदर अतिक्रमण हटाने का निर्देश मिला.
अतिक्रमण कर अपना आधिपत्य जमाये हुए लोगों में स्वयं अपना बसेरा हटा कर शहर को अतिक्रमण मुक्त करने की दिशा में सकारात्मक पहल की है. हालांकि, अभी भी कुछ लोग ऐसे भी हैं जो अतिक्रमण हटाने को राजी नहीं है. ऐसे अतिक्रमणकारियों पर प्रशासन द्वारा बल पूर्वक कानूनी कार्रवाई के साथ हटायी जायेगी. वहीं दूसरी तरफ फुटपाथ पर किसी तरह अपनी जिंदगी गुजर-बसर कर रहे लोगों से अतिक्रमण हटाये जाने पर बेकारी और बेरोजगारी की समस्या सामने आ पड़ी है. सभी अपने चहेते नेताओं के घरों पर आवभगत में लगे हैं. स्थानीय जनप्रतिनिधियों से भी उम्मीद लगाये उनके दरवाजे पर सुबह शाम दस्तक दे रहे हैं. बताते चले कि अधिकांश गांव के लोगों का शहर में दुकानें हैं. जो अपना जीवन-यापन दुकान फुटपाथ पर कर चला रहे हैं.
शहर में अब भी है अतिक्रमण
प्रशासनिक डंडा चलने के बावजूद भी बस स्टैंड से लेकर महावीर स्थान मुख्य मार्ग मस्तान चौक से पेट्रोल पंप तक सड़कों पर अतिक्रमण का दौर जारी है. प्रशासन द्वारा हटाए जाने के बावजूद भी अतिक्रमण के रूप में सड़कों पर फिर से दुकानें सजने लगी हैं. शहर का भातढाला पोखर आजतक अतिक्रमण की चपेट में होने से सौंदर्यीकरण को लेकर पिछड़ता जा रहा हैं. वहीं, पौआखाली के तीन सरकारी तालाबों के लाखों मूल्य की जमीन अतिक्रमणकारियों के चंगुल में सौंदर्यीकरण या मार्केटिंग कॉम्पलेक्स तक की योजना ठप है. स्थानीय जनप्रतिनिधियों की रिश्तेदारों की महज एक मजबूरी हैं, तो प्रशासन भी अपनी आंखें मूंद रखी हैं, जिसका परिणाम हैं कि लाखों की राजस्व की क्षति प्रत्येक वर्ष हो रही हैं.
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