वर्ग एक से आठ तक के बच्चों की अर्द्धवार्षिक मूल्यांकन परीक्षा अगले कुछ महीनों में शुरू होने वाली है
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छात्रों को न पुरानी किताब मिली, ना नये किताब आये
वर्ग एक से आठ तक के बच्चों की अर्द्धवार्षिक मूल्यांकन परीक्षा अगले कुछ महीनों में शुरू होने वाली है किशनगंज : सरकारी स्कूलों की कहानी सुधर नहीं पा रही है. सरकार जितना इसके लिए प्रयास करती है, उसके बनाए सिस्टम उसे उतना ही बिगाड़ देते हैं. वर्ग एक से आठ तक के बच्चों की अर्द्धवार्षिक […]
किशनगंज : सरकारी स्कूलों की कहानी सुधर नहीं पा रही है. सरकार जितना इसके लिए प्रयास करती है, उसके बनाए सिस्टम उसे उतना ही बिगाड़ देते हैं. वर्ग एक से आठ तक के बच्चों की अर्द्धवार्षिक मूल्यांकन परीक्षा अगले कुछ महीनों में शुरू होने वाली है. लेकिन स्कूल के छात्रों ने अभी तक पाठ्य पुस्तकों का मुंह नहीं देखा है.
लाखों बच्चे, हजारों सपने, सबका समाधान, सर्व शिक्षा अभियान. सब पढ़े, सब बढ़े. शिक्षा विभाग का यह स्लोगन जिले में पुस्तकों के अभाव में दम तोड़ते नजर आ रहा है. नए शैक्षणिक सत्र के तीन माह से अधिक बीत गए, फिर भी सरकार बच्चों को पुस्तकें उपलब्ध नहीं करा पाई है. यहां तक कि इस दिशा में राज्य स्तरीय पदाधिकारी का आश्वासन भी अब तक काम नहीं आ सका है. जिले में सरकारी स्कूलों की शैक्षणिक व्यवस्था से छात्रों व अभिभावकों का मोह भंग होने लगा है. न तो सरकार से, न ही बाजारों में पुस्तकें मिल रही है. किताब की कमी से परेशान छात्र अब स्कूल भी जाने से कतराने लगे हैं.
न तो बच्चों को पुरानी किताब ही नसीब हो पाई है न नए किताब जिले को उपलब्ध हो पाए हैं.नामांकित छात्रों की संख्या के अनुरूप कक्षा एक से आठ तक की पुस्तकें उपलब्ध कराने की मांग करते- करते शिक्षा विभाग के अधिकारी थक-हार गए हैं.
क्या कहते है डीइओ
इस संदर्भ में डीईओ की मानें तो इस बार पूर्व में वितरित किताब को वापस लेकर छात्रों को दिए जाने का वैकल्पिक व्यवस्था करना है. घटने के बाद नई किताब वंचित छात्रों को दी जाएगी. हालांकि, पुरानी किताबें छात्रों से वापस नहीं मिल पा रही है. वस्तुस्थिति से वरीय अधिकारियों को अवगत करा दिया गया.
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