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पानी के अभाव में सूखने लगी फसल

मुसीबत.सिंचाईका समुचित साधन नहीं रहने से गरमा किसान परेशान जिले के किसानों ने पानी की कमी को देखते हुए लंबे समय से गरमा धान लगाने से तौबा कर रखा है. ऐसे में गरमा मक्का व मूंग दो बेहतर विकल्प मान कर किसान खेती कर रहे हैं. किसानों ने दोनों फसलों को लगाया है. इन पर […]

मुसीबत.सिंचाईका समुचित साधन नहीं रहने से गरमा किसान परेशान

जिले के किसानों ने पानी की कमी को देखते हुए लंबे समय से गरमा धान लगाने से तौबा कर रखा है. ऐसे में गरमा मक्का व मूंग दो बेहतर विकल्प मान कर किसान खेती कर रहे हैं. किसानों ने दोनों फसलों को लगाया है. इन पर सिंचाई की असुविधा का व्यापक असर पड़ रहा है.
खगड़िया : पानी के अभाव में गरमा फसलें प्रभावित हो रही हैं. सिंचाई का समुचित साधन नहीं होने के कारण उत्पादन पर बुरा असर पड़ने के आसार बने हैं. वैसे जिले के किसानों ने पानी की कमी को देखते हुए लंबे समय से गरमा धान लगाने से तौबा कर रखा है. ऐसे में गरमा मक्का व मूंग दो बेहतर विकल्प मानकर किसान खेती कर रहे है. किसानों ने दोनों फसलों को लगाया है. इन पर सिंचाई की असुविधा का व्यापक असर पड़ा है.
इसके अलावा जेठुआ सब्जी भी किसानों के लिए अच्छा विकल्प रहा है. ये सभी बतौर नकदी फसलें किसानों को लाभांवित करती रही हैं. किसान जलकौड़ा निवासी मोहम्मद तारीक सूलतान ने बताया कि मौसम की बेरुखी व तेजी से आये बदलाव ने किसानों को परेशान कर रखा है. कई सब्जियों की उत्पादकता घटी है.
जिसके कारण बाजार पर भी असर पर रहा है. सब्जियों के दाम बढ़े हैं. जिले में गरमा धान लगाने का जोखिम अब यहां के किसान नहीं उठाते हैं. मूंग की फसल पर भी सिंचाई के साधन नहीं होने का असर पड़ रहा है.
जिले के आधे से अधिक गांव के किसान ने इस बार मूंग की फसल लगाया ही नहीं. जहां लगाये गये वे भी पछता रहे हैं. उनका कहना है कि वाटर लेअर काफी नीचे चला गया है. पंपसेट काम नहीं करते है. फसलों का सही समय पर पटवन नहीं हो पाता है. कहीं-कहीं तो लगाने के साथ ही फसलें मर गयी. ऐसे में गरमा फसल पूरी तरह प्रभावित कर दिया है.
कहते हैं डीएओ
जिला कृषि पदाधिकारी विष्णुदेव रंजन ने बताया कि जिले में लगभग 800 हेक्टेयर में गरमा फसल की खेती होती है. किसान थोड़ा विलंब से गरमा फसल की खेती कर रहे हैं. उन्होंने बताया कि गरमा फसल में सर्वाधिक खेती मक्का, मूंग, मसूर की होती है.
किसानों को मिला अनुदानित दर पर बीज
जिले के किसानों को अनुदानित दर पर बीज उपलब्ध करायी गयी है ताकि गरमा फसल से किसान को लाभ हो सके. डीएओ ने बताया कि जिले के किसानों को 245 क्विंटल मूंग अनुदानित दर पर दिया गया. 600 क्विंटल ढैंचा भी वितरण किया जा रहा है. किसान को 90 प्रतिशत अनुदान मिल रहा है. 10 प्रतिशत राशि का भुगतान कर किसान ढैंचा, मूंग, मक्का की खेती कर रहे हैं.
हरी खाद के रूप में होगा फायदा
गरमा फसल की खेती से किसान को आय तो होता ही है साथ ही खेत के लिए भी लाभदायक होता है. उपज के बाद फसल को पुन: खेत में ही नष्ट कर दिया जाता है, और नष्ट फसल से ग्रीन खाद का लाभ किसान को मिलता है जिससे जमीन की उर्वरा शक्ति बढ़ा देती है.

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