खगड़िया : मां धरती पर भगवान की प्रतिमूर्ति होती है. वह शक्ति व ममता की देवी है, जो चाहती है कर डालती है. मदर्स डे पर एक ऐसी ही मां सदर प्रखंड के मथुरापुर निवासी सावित्री देवी के संघर्षों को याद करना लाजिमी होगा. सावित्री देवी के पति लड्डू लाल की मौत असमय हो गयी थी. उस समय उनके तीन छोटे-छोटे बच्चे पढ़ाई कर रहे थे. पति की मौत के बाद घर का बोझ उठाने वाला कोई नहीं था. उस विकट परिस्थिति में घर संभालना ही एक चुनौती भरा कार्य था,
लेकिन सावित्री देवी ने हार नहीं मानी. उसने घर चलाने व अपने बच्चों की पढ़ाई जारी रखने के लिए दो गाय पालने लगी. दूध बेचकर पैसे जमा करने लगी, लेकिन घर चलना इतनी आमदनी से संभव नहीं था. फिर तीन बच्चों को पढ़ाना किसी पहाड़ से कम नहीं था. पर उनकी साहस के सामने सब कुछ छोटा था. उसने अपना जेवर बेचकर घर पर ही एक आटा चक्की बैठा ली. जिससे उसकी परेशानी कुछ कम होने लगी. फिर क्या था.
सावित्री देवी ने अपने सबसे छोटे बेटे रोशन लाल को पढ़ाई में बेहतर करने को प्रोत्साहित करने लगी. वह अपनी मां की समस्याओं को समझ रहा था. रोशन अपने विद्यालय में 12वीं की परीक्षा में प्रथम स्थान प्राप्त किया. सावित्री देवी ने बताया कि उस समय अधिवक्ता वरुण कुमार सिंह ने काफी सहयोग किया. उन्होंने बताया कि अधिवक्ता ने उन्हें सलाह दी कि बेटा होनहार है किसी तरह उसकी अच्छी शिक्षा की व्यवस्था होनी चाहिए.
उनके इशारे को समझ बेटे रोशन को रूस भेजकर एमबीबीएस व एमडी की डिग्री दिलाने की ठान ली. रूस जाने के लिए तीन लाख रुपये की जरूरत पड़ी. वे दूध व आटा चक्की से इतना पैसा इक्कट्ठा नहीं कर सकी. उसके संबंधियों में कोई ऐसा नहीं था कि उसके बेटे की पढ़ाई में मदद कर सके. अंत में वह अपनी बेटे को तीन लाख रुपये देने के लिए अपने घर के आधा हिस्से की जमीन को बेचकर रूस भेज दिया. आज उनका बेटा डाॅ रोशन एमडी है. पिछले चार महीने पहले वह स्वदेश लौटकर भारत सरकार के एमसीआइ परीक्षा पास कर रजिस्ट्रेशन प्राप्त कर लिया है. ऐसे मां को मदर्स डे पर हमारा सलाम.