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छोटे पड़ गये गेहूं के दाने
गेहूं की फसल में जब दाना आने का समय हुआ, तब ही से पछिया की गरम तेज हवा गेहूं की फसल को झकझोरना शुरू कर दिया. तेज हवा के झोंकों ने पटवन किये हुए गेहूं को खेतों में गिराना शुरू कर दिया.हीट वेव के कारण गेहूं के दाने मारे गये हैं. महीन दानों को देख […]
गेहूं की फसल में जब दाना आने का समय हुआ, तब ही से पछिया की गरम तेज हवा गेहूं की फसल को झकझोरना शुरू कर दिया. तेज हवा के झोंकों ने पटवन किये हुए गेहूं को खेतों में गिराना शुरू कर दिया.हीट वेव के कारण गेहूं के दाने मारे गये हैं. महीन दानों को देख कर किसानों की कमर टूट रही है. लागत की आधी कीमत की गेहूं भी प्राप्त नहीं हो रही है.
खगड़िया : गेहूं की फसल में जब दाना आने का समय हुआ, तब ही से पछिया की गरम तेज हवा गेहूं की फसल को झकझोरना शुरू कर दिया. किसानों ने फसल को बचाने के लिए महंगे दाम डीजल की खरीदारी कर गेहूं की पटवन शुरू कर दी. तेज हवा के झोंकों ने पटवन किये हुए गेहूं को खेतों में गिराना शुरू कर दिया.
इससे गेहूं के गिरे हुए पौधों में दाने छोटे हो गये. वहीं, जिन किसानों द्वारा पटवन नहीं किया गया, उनके खेत में भी तेज गरमी के कारण बाली में दाने छोटे पड़ गये. पछिया की गरम हवा ने किसानों को चौतरफा नुकसान पहुंचाया. प्रखंड के गंगौर गांव निवासी किसान मन्टुन सिंह ने बताया कि
जब गेहूं में बाल आना शुरू हुआ तो पछिया की तेज गरम हवा ने बाली के दाने को सूखा कर छोटा कर दिया. वहीं जलकौड़ा निवासी मो अवरार ने बताया कि गरम हवा से दानों को बचाने के लिए पटवन का काम शुरू हुआ, लेकिन गेहूं के पौधे गिरने लगे. पौधों के गिरने से नुकसान उठाना पड़ रहा है. हीट वेव के कारण गेहूं के दाने मारे गये हैं. महीन दानों को देख कर किसानों की कमर टूट रही है. लागत की आधी कीमत की गेहूं भी प्राप्त नहीं हो रही है. महाजन से लिया गया कर्ज भी किसानों के लिए लौटाना मुश्किल हो गया है. किसानों में फसल बरबादी को लेकर तबाही मची हुई है.
सरकारी मशीनरी असंवेदनशील
दूसरी तरफ फसल बरबादी का आकलन करने में सरकारी मशीनरी असंवेदनशील है. कार्यालय में बैठ किसानों के फसल नुकसान की खानापूर्ति कर उच्च अधिकारियों को रिपोर्ट सौंपने में लगे है. कृषि विभाग में खेती को सुदृढ़ बनाने के लिए सरकार ने पंचायत स्तर से प्रखंड स्तर तक कर्मचारियों की संख्या बढ़ा रखी है, लेकिन किसानों से इन सरकारी कृषि कर्मियों का संपर्क होना मुश्किल है. किसानों का कहना है कि प्रखंड के बीएओ व पंचायत स्तर के कृषि कर्मचारी प्रखंड स्तर पर ही कार्यालय की कुरसी से चिपके रहते हैं. इस कारण किसानों की आर्थिक स्थिति बनने के बजाय बिगड़ती जा रही है.
गरम हवा में झुलस रहे हैं नौनिहाल
भीषण गरमी में तेज पछिया हवा नन्हे-मुन्ने स्कूली बच्चों को झुलसा रहे हैं. स्कूलों के छुट्टी के वक्त गरम हवा के थपेड़े उनके चेहरे एवं शरीर को कुम्हलाने को मजबूर कर रहे हैं. 11 से 1 बजे का वक्त ऐसा है कि जिसमें आम लोग भी आजकल घर अथवा दफ्तर से बाहर अनावश्यक निकलने से परहेज कर रहे हैं, वहीं ठीक इसी वक्त अधिकांश निजी एवं सरकारी स्कूलों की छुट्टी गर्म हवा के थपेड़े झेलने की मजबूरी है. दोपहर के वक्त आजकल सड़कों पर सन्नाटा पसरा रहता है. इक्का-दुक्का लोग ही सड़क पर नजर आते हैं. जो नजर आते हैं, उनके शरीर पूरी तरह कपड़ों से ढंका रहता है. हाथ में छाता जरूर रहता है.
बच्चों की स्थिति बदतर : उफ ये गरमी, गरम हवा रुक जाओ, ओ माई गॉड आदि ऐसे अल्फाज आजकल बच्चों के मुंह से भीषण गरमी की वजह से छुट्टी के वक्त निकल रहे हैं. इसमें भी कम उम्र के नन्हे-मुन्ने स्कूली बच्चों की स्थिति बदतर देखी जा रही है. उनके कोमल शरीर को झुलसा देने वाली तेज पछिया हवा उन्हें कुम्हलाने पर मजबूर कर रहे हैं. किसी प्रकार अपने हाथ टाई से चेहरे को बचाने का असफल प्रयास करते आजकल भरी दोपहरी में सड़कों पर आसानी से देखे जा सकते हैं. साइकिल, रिक्शा, बाइक, चारपहिया वाहनों से पसीने से लथपथ घर पहुंचते इनके हाल बेहाल रहता है.
लू के थपेड़े से बचते इन बच्चों के माता-पिता भी अब अपने बच्चों को स्कूल भेजने पर विचार करते देखे जा रहे हैं,जबकि स्कूल से निकलते वक्त बच्चों को पानी पीकर चलने की सलाह स्कूल प्रशासन दे रहे हैं. वहीं घर पहुंचने पर उनके माताएं बच्चों को सबसे पहले मौसमी फल एवं तुरंत जूस नहीं निकालने की सलाह देने से नहीं चूकते हैं.
मौसमी फलों के सेवन पर जोर: स्कूली बच्चों को आइसक्रीम आदि से परहेज कराने के लिए माता-पिता मौसमी फलों के सेवन पर आजकल जोर देते देखे जा रहे हैं. जिन बच्चों को इन फलों को खाने में रुचि नहीं है, उनकी माता भी गरमी से बचाव का वास्ता दिला कर ककड़ी, खीरा, तरबूज, बेल आदि का सेवन बच्चों को करा रही हैं.
कहते हैं डीएओ
डीएओ विशुंदेव रंजन ने बताया कि पंचायत चुनाव का समय है. अधिकारी से कर्मी तक चुनाव प्रक्रिया में लगे हुए हैं. तेज पछिया हवा से किसानों की फसल को नुकसान हुआ है. इसका आकलन कराने में विभाग लगा हुआ है. आकलन होने पर रिपोर्ट उच्च अधिकारी को सौंप दी जायेगी.
पानी पीकर व चेहरा ढंक कर ही निकलें धूप में
गरम हवा की झोकों से बचाव के लिए हाइस्कूल स्तर की लड़कियां अपने चेहरे को स्कार्फ, ओढनी से ढक कर सड़क पर चलते देखी जा रही है. वहीं स्कूली छात्रों को कैप लगा कर निकलते देखा जा रहा है. वातावरण रहता है, उससे ठीक विपरीत वापस आते वक्त का मौसम रहता है. हवा की गरमी के कारण कपड़े सूखने में आधा से एक घंटा लगता है ऐसे में इन बच्चों का क्या हाल होता होगा यह सहज अंदाजा लगाया गया सकता है. इस तरह के मौसम को लेकर स्कूल प्रशासन एवं अभिभावक अपने बच्चों को पानी पीकर बाहर निकलने की नसीहत देते देखे जा रहे हैं.
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