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बहुचर्चित ऋण घोटाले मामले की सुनवाई सात को

खगड़िया : सात वर्ष पूर्व सेंट्रल बैंक शाखा खगड़िया के द्वारा नियमों को ताक पर रख कर बांटे गये ऋण का मामला अब भी चल रहा है. खगड़िया व्यवहार न्यायालय के द्वारा सात माह पूर्व ऋण वितरण घोटाले में शामिल आरोपियों के विरुद्ध जहां सम्मन जारी किया गया था. वहीं इसी मामले में सात अप्रैल […]

खगड़िया : सात वर्ष पूर्व सेंट्रल बैंक शाखा खगड़िया के द्वारा नियमों को ताक पर रख कर बांटे गये ऋण का मामला अब भी चल रहा है. खगड़िया व्यवहार न्यायालय के द्वारा सात माह पूर्व ऋण वितरण घोटाले में शामिल आरोपियों के विरुद्ध जहां सम्मन जारी किया गया था. वहीं इसी मामले में सात अप्रैल को केंद्रीय सूचना आयोग के द्वारा सुनवाई की जायेगी. यह सुनवाई केंद्रीय सूचना आयुक्त सरद शरबाल करेंगे. सुनवाई वीडियो कॉफ्रेंस के जरिये होगी.

इसमें भाग लेने के लिए आयोग के द्वारा सेंट्रल बैंक के क्षेत्रीय कार्यालय पूर्णिया के लोक सूचना पदाधिकारी तथा आवेदक को आदेश जारी किया गया है

क्या है पूरा मामला
वर्ष 2008-09 में सेंट्रल बैंक शाखा खगड़िया के द्वारा अलौली, रौन, मुजौना, रहीमपुर, मानसी सहित कुछ अन्य जगहों के 53 लोगों को किसान गोल्ड ऋण योजना का लाभ दिया गया था. जानकारी के मुताबिक प्रत्येक व्यक्ति को ढाई से साढ़े तीन लाख रुपये तक का ऋण दिया गया था. सीबीआइ बैंक के महाप्रबंधक के द्वारा ऋण दिया गया. सूचना के मुताबिक इन लोगों के बीच एक करोड 65 लाख रुपये ऋण का वितरण किया गया था. ऋण वितरण की शिकायत आर्थिक अपराध इकाई पटना से की गयी. शिकायतकर्ता दीपक कुमार अकेला ने फर्जी कागजात के आधार पर अयोग्य लोगों को किसान गोल्ड ऋण योजना का लाभ देने की शिकायत की थी.
चौंकाने वाले हुए खुलासे
आर्थिक अपराध इकाई की जांच में ऋण वितरण में फजीवाड़े सहित कई चौकाने वाले खुलासे हुए थे. किसान गोल्ड ऋण योजना का लाभ लेने वाले लोगों के नाम पर तो लाखों रुपये की निकासी हुई थी, लेकिन जांच पदाधिकारी के समक्ष इन लोगों ने बयान दिया कि उन्हें 20 से 50 हजार रुपये ही दिये गये थे. अधिकांश लोगों की फर्जी एलपीसी के आधार पर बैंक के द्वारा ऋण दिये गये थे. आर्थिक अपराध इकाई की जांच रिपोर्ट में इस बात का स्पष्ट रूप से उल्लेख किया गया है
कि किसानों के द्वारा फर्जी एलपीसी जमा किये गये थे तथा ऋण की स्वीकृति देने के पूर्व बैंक ने भी इन एलपीसी का सत्यापन अंचल कार्यालय से नहीं कराया था. बैंक एवं बिचौलियों की मदद से करोड़ों रुपये का बंदरबांट किया गया था. जांच के बाद आर्थिक अपराध इकाई के द्वारा बैंक के तत्कालीन शाखा प्रबंधक, सहायक प्रबंधक, बैंक के लिगल एडवोकेट, बिचौलिया सहित 53 लोगों के विरुद्ध प्राथमिकी दर्ज की गयी थी. इस मामले में सहायक प्रबंधक दिनेश कुमार सिंह को गिरफ्तार कर जेल भी भेजा गया था. जानकार बताते हैं कि आर्थिक अपराध इकाई के द्वारा इस ऋण घोटाले में न्यायालय में चार्ज सीट भी दाखिल कर दिया गया है.

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