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मामला स्वास्थ्य विभाग का. अस्पतालों में दूसरी गड़बड़ियों के एक दर्जन मामले सामने आये

चलती रहती है जांच, नहीं होती है कार्रवाई बीते तीन महीने में खगड़िया सहित प्रखंड मुख्यालयों के सरकारी अस्पतालों में व्याप्त भ्रष्टाचार व दूसरी गड़बड़ियों के एक दर्जन मामले सामने आये. फरजी प्रसव व बंध्याकरण ऑपरेशन या फिर इलाज के नाम पर अवैध उगाही का मामला हो अधिकांश मामले में जांच व स्पष्टीकरण तक जाकर […]

चलती रहती है जांच, नहीं होती है कार्रवाई

बीते तीन महीने में खगड़िया सहित प्रखंड मुख्यालयों के सरकारी अस्पतालों में व्याप्त भ्रष्टाचार व दूसरी गड़बड़ियों के एक दर्जन मामले सामने आये. फरजी प्रसव व बंध्याकरण ऑपरेशन या फिर इलाज के नाम पर अवैध उगाही का मामला हो अधिकांश मामले में जांच व स्पष्टीकरण तक जाकर कार्रवाई की गाड़ी दम तोड़ दे रही है.
खगड़िया : स्वास्थ्य विभाग में भ्रष्टाचार सहित दूसरी गड़बड़ियों पर कार्रवाई जांच के जाल में उलझ कर रह गया है. कई मामलों को जांच के नाम पर लटकाया जा रहा है. चाहे पोषण पुनर्वास केंद्र में फर्जीवाड़ा की बात हो या फरजी प्रसव व बंध्याकरण ऑपरेशन या फिर इलाज के नाम पर अवैध उगाही का मामला हो अधिकांश मामले में जांच व स्पष्टीकरण तक जाकर कार्रवाई की गाड़ी दम तोड़ दे रही है. बताया जाता है कि बीते तीन महीने में खगड़िया सहित प्रखंड मुख्यालयों के सरकारी अस्पतालों में व्याप्त भ्रष्टाचार व दूसरी गड़बड़ियों के एक दर्जन मामले सामने आये.
लेकिन मीडिया में मामला तूल पकड़ने के बाद दिखावा के लिये स्पष्टीकरण की कार्रवाई की गयी. कुछ मामले में वेतन पर रोक की भी बात सामने आयी. लेकिन दिन बीतने के बाद मामले को ठंडे बस्ते में डाल दिये जाने का नतीजा रहा कि आज भी जिस सरकारी अस्पताल में अधिकारी हाथ डाल रहे हैं वहीं गड़बड़ी सामने आ रही है. कई मामलों में सिविल सर्जन कार्यालय से निर्गत पत्र के निर्देश को भी तवज्जों नहीं दिया जा रहा है. इसका जीता-जागता उदाहरण हरिपुर पीएचसी में अब तक हुए प्रसव में फर्जीवाड़ा की आशंका बाद जांच में देरी व टालमटोल है. ऐसे कई तथ्य हैं जो स्वास्थ्य विभाग की कार्यशैली पोल खोलने के काफी है.
अधिकारियों की चुप्पी से दाल में काला की आशंका : हाल के दिनों में स्वास्थ्य विभाग में एक पर एक उजागर होते मामलों में किरकिरी होने के बाद स्वास्थ्य अधिकारी कुछ भी बोलने से कतरा रहे हैं. भ्रष्टाचार के मामलों में कार्रवाई के बारे में सिविल सर्जन से लेकर दूसरे अधिधकारी कुछ बोलने को तैयार नहीं है. कई बार रिंग करने के बाद अगर मोबाइल रिसीव भी होता है तो टालमटोल जवाब देकर फोन काट दिया जाता है.
इधर, स्वास्थ्य विभाग की कार्यशैली का खुलासा प्रभारी सीएस डॉ वाईके प्रयासी की बातों से होता है. वर्तमान में प्रभार संभाल रहे डॉ प्रयासी से जब पोषण पुनर्वास केंद्र व एसबीए ट्रेनिंग में हेराफेरी सहित दूसरी गड़बड़ियों के बारे में हुई कार्रवाई के बारे में जानकारी मांगी गयी तो उन्होंने कहा कि मुझे मालूम नहीं है. इस बारे में अगर छानबीन करेंगे तो ओरिजिनल सिविल सर्जन को बुरा लगेगा. सो वह कुछ ना तो जानते हैं और ना ही कुछ बता सकते हैं.
चार डॉक्टर सहित 11 कर्मचारी थे गायब
बीते सात दिसंबर को सिविल सर्जन ने अलौली प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र व हरिपुर अतिरिक्त स्वास्थ्य केंद्र आदि सरकारी अस्पतालों का निरीक्षण किया था. इस दौरान 4 डॉक्टर सहित 11 स्वास्थ्यकर्मी ड‍्यूटी से गायब मिले. सबसे स्पष्टीकरण हुआ तो किसी ने बेटी के बीमार होने तो कोई खुद को बीमार बता कर जवाब दे दिया.
मामला यही सलट गया. कुछ दिनों बाद स्थिति पहले वाली हो गयी. जिसका खामियाजा गरीब व अनपढ़ व ग्रामीण मरीजों को भुगतना पड़ रहा है. बताया जाता है कि स्वास्थ्य विभाग से लेकर दूसरे अधिकारी जिस सरकारी अस्पताल में हाथ डाल रहे हैं वहीं गड़बड़ी का पिटारा खुल रहा है. स्पष्टीकरण से लेकर जांच के आदेश होते हैं फिर ऑल इज वेल की तर्ज पर मामले को ढक दिया जाता है.
फरजी प्रसव पर डाल दिया परदा
अलौली के अतिरिक्त प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र हरिपुर में सीएस पहुंचे थे वहां फर्जी प्रसव के सहारे हेराफरी उजागर हुआ. संयोग से जांच का जिम्मा कड़े व ईमानदार स्वास्थ्य अधिकारी को हाथ लगा. मामले में तीन एएनएम को दोषी पाते हुए सौंपी गयी रिपोर्ट में मामले की गहन जांच के बाद प्रसव में बड़े पैमाने पर हेराफेरी की आशंका जतायी गयी. मजबूरन जांच रिपोर्ट के आधार पर तीनों एएनएम को सस्पेंड कर दिया गया. लेकिन दूसरे दिन होते होते एक एएनएम को तकनीकी भूल दिखा कर निलंबन मुक्त कर दिया गया. स्वास्थ्य महकमा के इस निर्णय पर सवाल खड़े हुए पर इससे विभाग को कोई फर्क नहीं पड़ा.
लेकिन पूरे मामले में अतिरिक्त प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र हरिपुर प्रभारी को अप्रैल से लेकर जांच शुरू होने तक हुए प्रसव की जांच कर रिपोर्ट सौंपने का निर्देश दिया गया. सूत्र बताते हैं कि जांच पूरी होना तो दूर अब तक शुरू तक नहीं हुआ है. ऐसे में वरीय अधिकारियों के निर्देश का हश्र क्या होगा सब जानते हैं. सब जानते हैं कि अप्रैल में भी फर्जी प्रसव का मुद‍‍‍‍दा आशा कार्यकर्ताओं ने उठाते हुए सारे सबूत सौंप कर कार्रवाई की मांग की थी. लेकिन उस वक्त भी मामले को रफा दफा कर फर्जी प्रसव का खेल जारी रहा. जिसका खुलासा सीएस के निरीक्षण के दौरान हो गया.
अवैध उगाही के मामले में भी लीपापोती
बीते फरवरी महीने में ही फिर एक बार प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र अलौली में प्रसव कराने आई महिला को नजराना नहीं देने पर टांका नहीं लगाने का मामला उजागर होने के बाद बवाल मचा था. मामला तूल पकड़ने के बाद कार्रवाई की बजाय आरोप लगाने वाली महिला पर दबाव देकर यह लिखवा लिया था कि वह जो आरोप लगायी थी वह बेबुनियाद है. इसी आधार पर अवैध उगाही के आरोप के घेरे में आई एएनएम को पाक-साफ बताते हुए मामले की लीपापोती कर दी गयी. इस मामले में भी सवाल उठे लेकिन सब ठीक-ठाक दिखा कर विभाग कान में तेल डाल कर सो गया.

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