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खगड़िया में अब सोलर लाइट घोटाला

अलौली : प्रखंड में 4.65 करोड़ से 796 सोलर लाइट की हुई थी खरीद बीआरजीएफ, बारहवीं, तेरहवीं चतुर्थ वित्त योजना से राशि का भुगतान नियमत : तेरहवीं वित्त योजना से आंगनबाड़ी केंद्र भवन का होना था निर्माण इस योजना राशि से आंगनबाड़ी केंद्र की जगह खरीदे गये सोलर लाइट सरकारी नियम कायदे को ताक पर […]

अलौली : प्रखंड में 4.65 करोड़ से 796 सोलर लाइट की हुई थी खरीद बीआरजीएफ, बारहवीं, तेरहवीं चतुर्थ वित्त योजना से राशि का भुगतान नियमत : तेरहवीं वित्त योजना से आंगनबाड़ी केंद्र भवन का होना था निर्माण इस योजना राशि से आंगनबाड़ी केंद्र की जगह खरीदे गये सोलर लाइट सरकारी नियम कायदे को ताक पर रख कर सोलर लाइट की हुई खरीद ब्रेडा या

उसके द्वारा अधिकृत एजेंसी से ही करनी थी खरीदारी बिना ब्रेडा से अधिकृत खगड़िया की एक एजेंसी को मिला आपूर्ति का ठेका आपूर्ति किये गये सोलर लाइट की गुणवत्ता की भी नहीं हुई जांच पंचायत में लगाये गये अधिकांश लाइट हुए खराब, गोलमाल की आशंका सोलर लाइट खरीद में किसी भी प्रकार की गड़बड़ी की शिकायत मिलती है, तो पूरी योजना की जांच करवा कर दोषी पर नियमानुसार कार्रवाई की जायेगी.

साकेत कुमार, डीएम, खगड़िया. सरकारी योजना में भ्रष्टाचार चरम पर है. अलौली प्रखंड में अलग-अलग वर्षों में 796 सोलर लाइट की खरीद की गयी. इस पर कुल 4.66 करोड़ रुपये खर्च किये गये.

सोलर लाइट खरीद में नियम कायदे को ताक पर रख कर बिना ब्रेडा से अधिकृत एजेंसी को आपूर्ति का ठेका दे दिया गया. इस पूरी खरीदारी में बड़े पैमाने पर गड़बड़ी का खुलासा आरटीआइ से मिली जानकारी में हुआ है. पंचायत में लगाये गये अधिकतर लाइट खराब पड़े हैं. दीपक कुमार अकेला, आरटीआइ कार्यकर्ता. इंट्रो-स्वास्थ्य विभाग में करोड़ों की हेराफेरी के बाद अब सोलर लाइट खरीद में गोलमाल का खुलासा हुआ है.

अलौली प्रखंड में करीब 4.66 करोड़ से खरीदी गयी 796 सोलर लाइट में सारे नियम कायदे ताक पर रख दिये गये. अधिकारी, जनप्रतिनिधि व ठेकेदार के गंठजोड़ के कारण करोड़ों की इस योजना में बड़े पैमाने पर गड़बड़ी को अंजाम दिया गया. तेरहवीं वित्त योजना की राशि से आंगनबाड़ी केंद्र की जगह मनमाफिक एजेंसी से सोलर लाइट खरीद कर सरकार को चूना लगाया गया. अब सूचना के अधिकार से पूरी गड़बड़ी के खुलासा बाद अधिकारी जांच व कार्रवाई की बात कह रहे हैं. –

खगड़िया : अब करोड़ों के सोलर लाइट खरीद में घोटाला सामने आया है. पूरा मामला अलौली प्रखंड से जुड़ा हुआ है. यहां अलग-अलग वर्षों में करीब 4.66 करोड़ की लागत से सोलर लाइट खरीद में बड़े पैमाने पर अनियमितता बरते जाने का खुलासा हुआ है. सरकारी नियम कायदे को ताक पर रख हुई खरीदारी में मनपसंद एजेंसी को आपूर्ति का ठेका दे दिया गया,

जबकि सरकारी नियम कुछ और था. पर, अधिकारी, जनप्रतिनिधि व ठेकेदार के गंठजोड़ के कारण नियम कायदे को ताक पर रख दिया गया. इस पूरी गड़बड़ी के दौरान परदे के पीछे खेल होने की आशंका जतायी जा रही है. सूचना के अधिकार से मिली जानकारी में पूरी योजना में हुई गड़बड़ी उजागर होने के बाद अब कार्रवाई का इंतजार है.

आंगनबाड़ी बनाने की बजाय लगा दिया सोलर लाइट सरकारी गाइड लाइन के अनुसार, तेरहवीं वित्त योजना की राशि से आंगनबाड़ी केंद्रों का भवन बनाने का निर्देश था. पर, खगड़िया में सरकारी नियम को ताक पर रख कर इस योजना की राशि से सोलर लाइट लगा दी गयी.

अलौली : प्रखंड कार्यालय से सूचना के अधिकार से मिली जानकारी के अनुसार, तेरहवीं वित्त योजना की राशि से करीब तीन दर्जन से अधिक सोलर लाइट की खरीदारी की गयी. इसी तरह बारहवीं, चतुर्थ वित्त योजना की राशि भी सोलर लाइट खरीद पर खर्च कर दिये गये.

बता दें कि अलौली प्रखंड में 2010 के बाद अलग-अलग वर्षों में कुल 796 सोलर लाइट की खरीदारी की गयी. इस पर कुल चार करोड़ 65 लाख 69 हजार 216 रुपये का भुगतान किया गया. आपूर्ति के ठेका में भी गड़बड़ी पंचायती राज विभाग के तत्कालीन प्रधान सचिव ने सभी जिलों के डीडीसी को पत्र भेज कर सोलर लाइट की खरीदारी व लगाने का काम ब्रेडा (सरकारी एजेंसी) या बेल्ट्रान के माध्यम से या ब्रेडा द्वारा अधिकृत विक्रेता से ब्रेडा द्वारा निर्धारित मानक एवं मानदंड के आधार पर करने का निर्देश दिया था.

पर, खगड़िया में प्रधान सचिव के निर्देश को ताक पर रख कर ब्रेडा या उसकी अधिकृत एजेंसी से नहीं, बल्कि मनपसंद एजेंसी को आपूर्ति का ठेका दे दिया गया. वर्ष 2013 में खगड़िया के चौथम प्रखंड के सोनबरसा घाट के अंशु-निशु ट्रेडिंग को सप्लाई का ठेका दे दिया गया. यह एजेंसी ब्रेडा से अधिकृत नहीं है.

फिर भी परदे के पीछे से सारा खेल करके करीब 8.82 लाख रुपये के सोलर लाइट आपूर्ति का ठेका इस एजेंसी को दे दिया गया. इस संबंध में अंशु निशु ट्रेडिंग के प्रोपराइटर विजय कुमार सिंह ने माना कि ब्रेडा से यह एजेंसी अधिकृत नहीं है. वहीं सूचना के अधिकार के तहत मिली जानकारी में भी साफ तौर पर कहा गया है कि अलौली के किसी भी पंचायत में ब्रेडा से सोलर लाइट का क्रय नहीं किया गया है.

अब ऐसे में सवाल उठता है कि जब अधिकारी को पहले से सारे नियम कायदे की जानकारी थी, तो खरीदारी के वक्त इसका ख्याल क्यों नहीं रखा गया? मनपसंद एजेंसी को सोलर लाइट सप्लाई का ठेका देने के पीछे क्या राज है? ऐसे कई सवाल हैं जो पूरी खरीदारी में दाल में काला की ओर इशारा कर रहे हैं.

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