दशकों से बोट कर रहे बुजुर्गबेलदौर. बिहार का फैसला अपनी मुहर लगाकर बुजुर्गों ने पहले चरण के मतदान में ही कर दिया. उत्साह इस बात का कि जिंदगी के 80 से अधिक बसंत देखने के बाद भी एक बार फिर मतदान करने का अवसर मिल गया. 100 वर्ष से अधिक उम्र पार कर चुके स्थानीय बाजार के बनारसी साह, विपत ठाकुर, लखन साह, भुवनेश्वर भगत व बोबिल कुम्हरैली गांव के कमलेश्वरी यादव ने बताया कि चुनाव के तरिके काफी बदल गये हैं. पहले न तो इतनी चमक दमक थी न ही पुलिस प्रशासन की ऐसी चाक चोबंद इंतजाम. लेकिन मतदाताओ मे निष्पक्षता से प्रत्याशी चुनने की ललक थी पहली मतदान तब किया जब प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू व राष्ट्रपति राजेंद्र प्रसाद थे. ज्यादा तो याद नहीं रहा, लेकिन श्री बाबु व सुरेश मिश्र प्रत्याशी थे. मतदान के लिए अलग अलग प्रत्याशी के अलग अलग चुनाव चिह्न अंकित किया हुआ बक्सा होता था व मतदान कर्मी द्वारा दिये पर्ची को पसंदीदा प्रत्याशी के बक्सा मे गिराकर मतदान करते थे. प्रचार प्रसार भी सादगी भरा था. न लाउडस्पीकर की तेज आवाज न वाहनों की हार्न ,घर घर आकर प्रत्यासी वोट मांगते कांग्रेस का चुनाव चिन्ह बैल, सोस्लिस्ट का गाछ व कम्युनिष्ट पार्टी का हसिया बाली था सब कुछ बदल गया बस नय उम्मीद के साथ प्रत्यासी को मतदान करते आ रहे है अब तो जिंदगी के आखिरी सफर पर आ गये है. नये पीढ़ी के बेहतर भविष्य के लिए मतदान किया बस पुरी हो जाय.
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दशकों से बोट कर रहे बुजुर्ग
दशकों से बोट कर रहे बुजुर्गबेलदौर. बिहार का फैसला अपनी मुहर लगाकर बुजुर्गों ने पहले चरण के मतदान में ही कर दिया. उत्साह इस बात का कि जिंदगी के 80 से अधिक बसंत देखने के बाद भी एक बार फिर मतदान करने का अवसर मिल गया. 100 वर्ष से अधिक उम्र पार कर चुके स्थानीय […]
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