खगड़िया : खगड़िया-कुशेश्वर स्थान रेल परियोजना के सर्वे का काम 2002 में पूरा हो गया था, तब फरकिया के लोगों को इस ट्रैक पर रेल दौड़ने की उम्मीद जगी थी. पर, अब लोगों में निराशा होने लगी है.
फरकिया क्षेत्र के बच्चे रेल परियोजना का नाम सुनते-सुनते अब जवान हो चुके हैं. पर, परियोजना अभी भी बचपन से बाहर नहीं निकल सकी है. उल्लेखनीय है कि खगड़िया- कुशेश्वर स्थान रेल परियोजना की स्वीकृति 1998 में दी गयी थी. दस साल के बाद वर्ष 2007-2008 में काम शुरू हुआ, जो आज तक कच्छप गति से चल रहा है.
रेल परियोजना के पूरा होने में विलंब होने का कारण आवंटन का अभाव बताया जा रहा है. इसके चलते नतीजा यह हुआ कि सरकारी खजाने से तीन गुना लागत बढ़ने की नौबत आ गयी है. लागत बढ़ने के आंकड़े पर गौर करें, तो 925 करोड़ की खगड़िया-मुंगेर गंगा पर रेल सह सड़क पुल परियोजना आज बढ़कर 23 सौ करोड़ तक पहुंच गयी है. अभी काम भी पूरा नहीं हुआ है, ऐसे में लागत और बढ़ेगी. यह परियोजना 2007 में पूरा होना था,
जो आज तक नहीं पूरा हुआ है. वहीं खगड़िया- कुशेश्वर स्थान रेल परियोजना के 18 साल विलंब से चलने से इसकी बढ़ी लागत का अनुमान लगाया जा सकता है. खगड़िया-कुशेश्वर स्थान रेल परियोजना का सर्वे 2002 में हो चुका था. परियोजना पर काम 2007-08 में शुरू हुआ, जो आज तक कच्छप गति से चला आ रहा है. 2007-08 में रेल परियोजना को शुरू करने के लिए महज एक करोड़ का ही आवंटन मिल पाया था.
इस अनुसार इस परियोजना की रेल बजट में उपेक्षा हो रही है. ऐसे में अगर वर्तमान समय में तेज गति व आवंटन का अभाव नहीं हो, तो भी कम से कम पांच साल ओर ट्रेन दौड़ाने में समय लग सकता है. जबकि यह परियोजना आठ साल पहले 2007 में ही पूरी हो जानी चाहिए थी. 1998 में तत्कालीन रेल मंत्री रामविलास पासवान ने 162 करोड़ की लागत से खगड़िया-कुशेशवर स्थान रेल परियोजना को स्वीकृति दी थी, जिसमें 44 किलोमीटर लम्बा रेल ट्रैक बिछाया जाना है.
वर्तमान तक सात किलोमीटर खगड़िया से निमार्णाधीन विशनपुर रेलवे स्टेशन तक ही रेल लाइन बिछायी जा सकी है. यहां स्टेशन का निर्माण कार्य भी अब तक पूरा नहीं हो पाया है. साथ ही विशनपुर से अलौली गढ़ तक मिटटी भराने का ही काम हो रहा है. शहरबन्नी के पास रेल परियोजना के लिए अधिग्रहित की गयी जमीन का मुआवजा कई भूस्वामियों को नहीं मिल पाया है.