नवहट्टा. कोसी नदी की धारा को पश्चिम की दिशा में मोड़ने को लेकर जल संसाधन विभाग के द्वारा 31.75 किमी के सामने नदी में परकोपाइन लगाने का काम अंतिम चरण में है. जबकि यह एंटीरोजन कार्य 15 मई को ही समाप्त हो जाना चाहिए था. करीब दो सौ मीटर की लंबाई में लगाये जा रहे इस परकोपाइन से नदी पश्चिम की ओर मुड़ जायेगी व 82 किमी जहां नदी व तटबंध की दूरी महज 15 मीटर के आसपास है. नदी का दबाव तटबंध पर कम हो जायेगा. जहां विभाग तटबंध के डाउन स्टीन में रिपेयरमेंट का कार्य कर रही है.
न हो जाये अभिशाप : जल संसाधन के लिए नदी की धारा को मोड़ने के लिए परकोपाइन भले ही वरदान हो. लेकिन प्रखंड वासी के लिए 81.75 पर लगाये गये परकोपाइन अभिशाप साबित हो सकता है. कोसी के मिजाज को जानने वाले 65 वर्षीय मोहन झा बताते हैं कि यदि 81.75 पर लगाये गये परकोपाइन से नदी सिंट करती है और नदी की धारा पश्चिम की ओर मुड़ती है तो नदी की धारा जोड़ी व वेशर गांव के बीच तटबंध को निशाना बना कर जल संसाधन विभाग के किये गये सारी मेहनत पर पानी फेर सकती है.
पायलट चैनल हुआ था फेल : दो वर्ष पूर्व जल संसाधन विभाग ने 82 किमी को नदी की धारा से बचाने के लिए पायलट चैनल का निर्माण पर लाखों रुपये खर्च किये थे. पायलट चैनल का मुहाना तात्कालिक कोसी आयुक्त जेआर राव के सामने खोला गया था. लेकिन लाखों का खर्च जल संसाधन विभाग के लिए बेकार साबित हुआ. और पायलट चैनल फेल हो गया. नदी की धारा अपनी धारा में बहती ही रही. जानकार बताते हैं कि चैनल खुदाई में संवेदक के द्वारा कम गहरा किया गया. जिसके कारण नदी की धारा उस चैनल से नदी गुजरी और विभाग का लाखों रुपये का वारा न्यारा हो गया.