इस वर्ष बेलदौर व चौथम प्रखंड के सैकड़ों एकड़ में लगे फसल ओलावृष्टि, पानी व घटिया बीज की भेंट चढ़ गयी. इस कारण किसानों के सारे सपने धरे के धरे रह गये. स्थिति ऐसी है कि किसान अपने परिवार का ख्याल करते हुए अपनी बरबादी पर आंसू भी नहीं बहा पा रहे हैं. पहले तो किसानों की फसल को ओलावृष्टि ने चौपट किया. इसके बाद रही सही कसर बारिश ने निकाल दी और अब जब फसल पक कर तैयार हुआ तो उसमें दाना ही गायब है. फसल में दाना नहीं आने के कारण किसान एक बार फिर से कर्ज में डूबते नजर आ रहे हैं.
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फसल बरबाद, पूरे नहीं हुए किसानों के सपने
खगड़िया: जिले में इस बार 42 हजार हेक्टेयर में गेहूं की खेती हुई थी. यह सरकारी आंकड़ा है. सरकारी आंकड़े के अनुसार नुकसान भी 40 प्रतिशत माना जा रहा है. क्षति का आकलन और भी बढ़ सकता है. किसानों के अनुसार उनलोगों को खेती में 50 प्रतिशत से ज्यादा का नुकसान हुआ है. इस बार […]
खगड़िया: जिले में इस बार 42 हजार हेक्टेयर में गेहूं की खेती हुई थी. यह सरकारी आंकड़ा है. सरकारी आंकड़े के अनुसार नुकसान भी 40 प्रतिशत माना जा रहा है. क्षति का आकलन और भी बढ़ सकता है. किसानों के अनुसार उनलोगों को खेती में 50 प्रतिशत से ज्यादा का नुकसान हुआ है. इस बार फसल की अच्छादन पहले की तुलना में कम हुआ है, जहां पहले एक कट्ठा में दो मन फसल होती थी. वहीं इस बार एक मन भी नहीं हो रहा है. ऐसे में नुकसान का प्रतिशत बढ़ता हुआ नजर आ रहा है. ऊपर से मौसम की मार से किसान जूझ रहे हैं. खेत में ही बाली से दाना झड़ रहा है. इससे किसानों को होश उड़ गये हैं.
कहते हैं कृषि वैज्ञानिक: कृषि वैज्ञानिक निरंजन हजारी ने बताया कि गेहूं की फसल पर ओलावृष्टि व बेमौसम बारिश का प्रभाव पड़ा है. इस कारण गेहूं की बाली में दाना नहीं बन पाया. ऐसा ही हाल मक्का का भी हुआ है. जिले के किसानों को भी इस बार भारी नुकसान हुआ है. कृषि विभाग द्वारा सर्वे किया जा रहा है. रिपोर्ट आने के बाद ही कुछ कहा जा सकता है.
फसलों के अच्छादन की जानकारी नहीं: डीएओ विशुनदेव रंजन ने बताया कि जिले में अभी फसल के अच्छादन की कार्रवाई चल रही है. लोगों को क्रॉप कटिंग में लगाया गया है. एक कट्ठा में एक मन व सवा मन उपज होने की बात सामने आ रही है. फसल क्षति के लिए सभी प्रखंडों में सर्वे किया जा रहा है. जिसमें हर छोटे-बड़े किसानों को शामिल किये जाने का स्पष्ट निर्देश दिया गया है. उन्होंने बताया कि फसल की क्षति पर किसानों को एक हेक्टेयर पर नौ हजार रुपये दिये जाने का प्रावधान है.
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