खगड़िया : सोमवार को जिले के धमारा घाट स्टेशन पर हुए हादसे ने 1981 में हुए रेल हादसे की याद ताजा कर दी. बताया जाता है कि उस समय पैसेंजर ट्रेन के सात डिब्बे बागमती नदी में गिर गये थे, जिसमें सौ से अधिक लोगों की मौत हो गयी थी.
हादसा इतना बड़ा था कि न तो रेल का डब्बा मिला था, न ही लाश को ही निकाला जा सका था. लोग कितने ही दिनों तक गम में डूबे रहे थे. वहीं कई दिनों तक गोताखोर डब्बे की खोज में लगे रहे थे.
लेकिन उन लोगों के हाथ कुछ भी नहीं आया था. उस समय से लेकर आज तक इस क्षेत्र में कुछ भी नहीं बदला है. तब भी यहां के लोगों के आवागमन का एक मात्र साधन रेल ही था. और अब भी रेल ही है. इलाका इतना पिछड़ा है कि लोगों के बीच शिक्षा का भी प्रचार प्रसार भी नहीं हुआ है. इस कारण यह क्षेत्र पहले से भी ज्यादा पिछड़ता जा रहा है. कई बार यहां के लोगों ने सड़क को लेकर वोट बहिष्कार भी किया लेकिन नेताओं के आश्वासन के अलावा कुछ नहीं मिला.