खुलासा. बैंक कर्मियों की मिलीभगत से चल रहा फर्जीवाड़े का खेल
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150 कर्जदारों पर प्राथमिकी दर्ज
खुलासा. बैंक कर्मियों की मिलीभगत से चल रहा फर्जीवाड़े का खेल फर्जी एलपीसी के आधार पर जलकौड़ा एसबीआइ शाखा से ऋण प्राप्त करने वाले 150 कर्जदारों पर प्राथिमिकी दर्ज करायी गयी है. ऋण लेने वालों में अधिकतर अलौली प्रखंड के रहने वाले हैं. खगड़िया : प्रभात खबर ने एसबीआई की जलकौड़ा शाखा में ऋण वितरण […]
फर्जी एलपीसी के आधार पर जलकौड़ा एसबीआइ शाखा से ऋण प्राप्त करने वाले 150 कर्जदारों पर प्राथिमिकी दर्ज करायी गयी है. ऋण लेने वालों में अधिकतर अलौली प्रखंड के रहने वाले हैं.
खगड़िया : प्रभात खबर ने एसबीआई की जलकौड़ा शाखा में ऋण वितरण में गोलमाल को लेकर जितने भी दावे किये थे, वह जांच में सच साबित हुए हैं. फर्जी एलपीसी के आधार पर जलकौड़ा एसबीआई शाखा से ऋण प्राप्त करने वाले 150 कर्जदारों पर प्राथिमिकी दर्ज कराई गयी है. यह प्राथमिकी बैंक प्रबंधन ने नहीं बल्कि अलौली सीओ ने थाना में दर्ज करायी है. हालांकि अब तक फर्जी एलपीसी के आधार पर ऋण देने वालों व बिचौलियागिरी करने वालों पर कोई कार्रवाई नहीं हो पायी है. इसको लेकर अब तरह तरह की चर्चा भी शुरू होने लगी है. फर्जी एलपीसी के आधार पर ऋण लेने वालों में अधिकांश अलौली प्रखंड के रहने वाले हैं.
बता दें कि प्रभात खबर ने इस मामले का खुलासा करते हुए प्रशासन सहित बैंक प्रबंधन का ध्यान आकृष्ट कराया था. इसके बाद जांच में मामला सत्य पाये जाने के बाद प्राथमिकी की कार्रवाई की गयी है.
कमीशन दो केसीसी ऋण लो की तर्ज पर एसबीआई जलकौड़ा शाखा में ऋण वितरण में गोलमाल किया गया है. इस शाखा में शाखा प्रबंधक के साथ साथ केसीसी ऋण भुगतान में बिचौलिये-दलालों की भी भूमिका अहम रहती थी. सूत्र बतातें हैं कि हर केसीसी ऋण भुगतान में कमीशन का खेल होता था. इसमें हर किसी की हिस्सेदारी होती थी. बीते दो वर्ष के दौरान यहां बैंक हित से अधिक यहां तैनात ऑफिसरों ने अपनी जेब का ख्याल रखा. जिस कारण अब देश की सबसे बड़ी सार्वजनिक क्षेत्र के बैंक के शाखा व विश्वास पर सवाल उठने शुरू हो गये हैं. ताजा खुलासा हुआ है कि इस शाखा ने एक अथवा दो नहीं बल्कि 161 फर्जी एलपीसी यानी लैंड पाॅजिसन सर्टिफिकेट के आधार में करीब एक करोड़ रुपये ऋण बांटे हैं. सूत्र का दावा है कि हर भुगतान में बिचौलिये की भूमिका अहम थी.
नहीं हुई थी एलपीसी की जांच : वित्तीय 15-16 एवं 16-17 के एसबीआई शाखा जलकौड़ा ने जितने भी केसीसी ऋण बांटे थे. किसी भी एलपीसी की जांच नहीं की गयी थी. बिचौलिये की जेब में कमीशन जाते ही बिना कागजात की जांच किये ही ऋण स्वीकृत हो गया और निकासी भी हो गयी. बताया जाता है कि ऋण वितरण से पहले अगर एलपीसी सहित सारे कागजात की सही ढंग से जांच होती तो शायद इतने बड़े पैमाने पर फर्जीवाड़ा को रोका जा सकता था. साथ ही सैकड़ों अयोग्य केसीसी किसानों को केसीसी जैसे महत्वपूर्ण योजना के लाभ से वंचित रखा जा सकता था.
161 फर्जी एलपीसी पर बांटे एक करोड़ रुपये
आम लोगों के लिये बैंक में लोन लेना आसान नहीं है. वहीं बिचौलिये के माध्यम से कमीशन के दम पर पिछले दरवाजे से लोन लेने में कोई झंझट नहीं है. आपके पास कोई कागज नहीं है बस कमीशन का रेट ज्यादा लगेगा काम हो जायेगा. कुछ इसी तरह एसबीआई की जलकौड़ा शाखा में ऋण वितरण में जमकर गोलमाल हुआ. स्थिति यह है कि यहां 161 फर्जी एलपीसी के आधार पर करीब एक करोड़ रुपये ऋण वितरण कर दिया गया. कर्जदार को पैसे मिले कि यह भी कई लोगों को नोटिस मिलने के बाद पता चला. पूरे मामले की जांच हुई तो कई चौंकाने वाले तथ्य सामने आये. वर्तमान में एसबीआई की जलकौड़ा शाखा पूरी तरह बिचौलिये के चंगुल में है.
कहते हैं एसबीआइ क्षेत्रीय प्रबंधक
फर्जी एलपीसी के आधार दिये गये ऋण मामले में एसबीआई के क्षेत्रीय प्रबंधक मनोज कुमार सिन्हा ने कहा कि एलपीसी की जांच कराने के फेर में समय पर जरूरतमंदों को ऋण नहीं मिल पायेगा. जांच होने की स्थिति में उन्हें अगले सीजन में ऋण मिलेगा. उन्होंने कहा कि वे आश्वस्त है कि बैंक ने एलपीसी पर सीओ के हस्ताक्षर की पूरी जांच पड़ताल के बाद ही ऋण जारी किया है. जिन्होंने ऋण प्राप्त किये है. उनके सभी कागजात बैंक शाखा में उपलब्ध है अगर एलपीसी जारी करने वाले यह कह दें कि उनके हस्ताक्षर नहीं है तो इसके जांच के आदेश दे दिये गये है.
इधर अलौली सीओ राजीव रंजन श्रीवास्तव ने क्षेत्रीय प्रबंधक की बातों को सिरे से खारिज कर दिया है. उन्होंने बताया कि जलकौड़ा एसबीआई शाखा प्रबंधक ने 161 एलपीसी के सत्यापन के लिए भेजा था. सभी फर्जी पाये गये. ये सभी 161 एलपीसी को अंचल कार्यालय ने नहीं किसी नटवरलाल ने बनाये थे. एलपीसी पर सीओ व कर्मचारी के हस्ताक्षर फर्जी है. एलपीसी पर दर्ज जमाबंदी पर दूसरे व्यक्ति के नाम है. सभी फर्जी एलपीसी बनवाने वालों के विरुद्ध उन्होंने स्वयं आवेदन देकर प्राथमिकी दर्ज करायी है तथा इसकी सूचना संबंधित शाखा को भी दे दी गयी है.
हर बैंक का एक नियम है पहले कागजात की जांच होती है फिर ऋण की स्वीकृति दी जाती है. इसके बाद आखिर में राशि का भुगतान होता है. वहीं एसबीआई की जलकौड़ा शाखा ने एक अनोखा व हैरान कर देने वाले नियम तैयार किये. यहां वित्तीय वर्ष 16-17 एवं 15-16 में सैकड़ों लोगों को पहले ऋण दिया जाता है और फिर उनके कागजातों की जांच वर्ष 17-18 में करायी जाती है. यानी करीब एक से दो वर्ष बाद शाखा प्रबंधक ने 17 जुलाई 2017 को अलौली सीओ को पत्र लिखकर 161 एलपीसी की जांच-सत्यापण करने का अनुरोध किया. वहीं बैंक ने इन सभी लोगों को वित्तीय वर्ष 15-16 एवं 16-17 में ही केसीसी ऋण का भुगतान कर दिया था. शाखा प्रबंधक के पत्र के आलोक में सीओ ने सभी एलपीसी की जांच करते हुए करीब डेढ़ माह बाद 150 लोगों के विरुद्ध प्राथमिकी दर्ज करा दी. क्योंकि जांच में इन सभी के एलपीसी फर्जी पाये गये. सूत्र के मुताबिक सभी लोगों के एलपीसी गलत कागजातों के आधार पर बनाये जाने की बातें सामने आयी थी. जिसके बाद सीओ ने बगैर देर किये इन सभी लोगों पर प्राथमिकी दर्ज करा दिया है.
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