खगड़िया : शिक्षा विभाग के अधिकारियों ने एक ही प्रधानाध्यापक को छह छह स्कूलों का अतिरिक्त प्रभार दे दिया गया है. मामला अलौली प्रखंड से जुड़ा हुआ है. पूरे प्रकरण की शिकायत मुंगेर प्रमंडल के क्षेत्रीय शिक्षा उपनिदेशक (आरडीडीइ) को होने के बाद मामला तूल पकड़ लिया है. क्षेत्रीय शिक्षा उपनिदेशक ने पूरे मामले में जांच के आदेश दिये हैं. उन्होंने जिले के शिक्षा विभाग के डीपीओ स्थापना को पत्र भेज कर पूरे प्रकरण पर जवाब-तलब किया है.
आरडीडीइ ने अपने पत्र में पूछा है कि आखिर किस परिस्थिति में एक प्रधानाध्यापक के जिम्मे छह-छह अतिरिक्त स्कूलों का प्रभार दे दिया गया? पूरे मामले में शिक्षा विभाग के अधिकारियों को जवाब देते नहीं बन रहा है. इधर, हाल ही में डीपीओ स्थापना का प्रभार संभालने वाले प्रबोध कुमार ने पूरे मामले से पल्ला झाड़ते हुए कहा कि यह सब मेरे आने से पहले का है.
अब ऐसे में सवाल उठता है कि आखिर मूल विद्यालय से 40 किलोमीटर दूर स्कूल का प्रभार देने वाले अधिकारी ने इस बात की तहकीकात क्यों नहीं की? क्या इतनी दूरी पर स्थित विद्यालय का प्रभारी प्रधानाध्यापक ठीक ढंग से मानिटरिंग कर सकते हैं?
आरडीडीइ ने पूछा… किस अधिकारी ने दिया प्रभार : मुंगेर प्रमंडल के क्षेत्रीय शिक्षा उपनिदेशक ने डीपीओ स्थापना को पूरे मामले की जांच कर स्पष्ट प्रतिवेदन भेजने को कहा है. आरडीडीइ ने कहा है कि किन पदाधिकारियों के द्वारा अलौली के मध्य विद्यालय दहमा खैरीखुटहा के प्रधानाध्यापक राजीव रंजन को छह छह स्कूलों के प्रभारी प्रधानाध्यापक का प्रभार दिया गया है? उन्होंने नाम व पदनाम सहित अधिकारी को चिह्नित कर रिपोर्ट तलब किया है.
आरडीडीइ के कड़े रुख को देखते हुए जिले के शिक्षा विभाग के अधिकारियों के पसीने उतर रहे हैं.
क्या है पूरा मामला : अलौली निवासी आरटीआई कार्यकर्ता दीपक कुमार अकेला ने मुंगेर प्रमंडल के क्षेत्रीय शिक्षा उपनिदेशक को प्रभार प्रकरण की शिकायत की थी.
इसमें कहा गया था कि मध्य विद्यालय दहमा खैरी खुटहा के प्रधानाध्यापक राजीव रंजन को मध्य विद्यालय परास, मध्य विद्यालय सनोखर, मध्य विद्यालय रौन,मध्य विद्यालय लदौड़ा, मध्य विद्यालय सिसवा, मध्य विद्यालय अमौसी का अतिरिक्त प्रभार दिया गया है. उन्होंने पूछा है कि क्या एक ही प्रधानाध्यापक के जिम्मे सात स्कूलों (मूल विद्यालय मिलाकर) के प्रधानाध्यापक का प्रभार रह सकता है. इसमें से कुछ विद्यालय तो ऐसे हैं जो प्रधानाध्यापक राजीव रंजन के मूल विद्यालय से 40 किलोमीटर दूर तक में स्थित है. इधर, पूरे मामले में आरडीडीइ ने डीपीओ स्थापना से जांच कर स्पष्ट प्रतिवेदन भेजने का निर्देश दिया है.
यह मामला मेरे डीपीओ स्थापना का पदभार संभालने से पहले का है. फिर भी क्षेत्रीय शिक्षा उपनिदेशक का पत्र मिलने के बाद उक्त प्रधानाध्यापक से पूछताछ की गयी तो उन्होंने कहा कि इतने स्कूलों का प्रभार डीइओ ने दिया है. अब उच्चाधिकारियों के आदेशानुसार सात स्कूलों के प्रधानाध्यापक बनाने के प्रकरण में वह क्या कर सकते हैं. एक प्रधानाध्यापक को इतने स्कूलों का प्रभार देना नियमत: गलत है.
प्रबोध कुमार, डीपीओ स्थापना
प्रधानाध्यापक राजीव रंजन पर का मामला सबके सामने है. अधिकारियों ने नियम को दरकिनार कर प्रधानाध्यापक श्री रंजन को छह छह स्कूलों का अतिरिक्त प्रभार दे दिया गया है. ऐसे में सवाल उठता है कि आखिर जब समीप के विद्यालय में नियमित शिक्षक थे तो फिर श्री रंजन को 40 किलोमीटर दूर स्थित विद्यालय का अतिरिक्त प्रभार देने के पीछे क्या राज हैं? लेकिन इन सारे घटनाक्रम के बीच अलौली के स्कूलों की शिक्षा व्यवस्था बुरी तरह चरमरा जरूर गयी है.