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आश्वासन की घुट्टी पिला रहे अधिकारी, नहीं हो रहा स्टेशन का विकास

मूलभूत सुविधाओं का भी खगड़िया स्टेशन पर घोर अभाव उपलटध नहीं है कोच इंडेक्टर सिस्टम खगड़िया : जब भी निरीक्षण के दौरान रेलवे के आल अधिकारी पहुंचते हैं, तो यहां के विभिन्न संगठनों के द्वारा यहां की समस्या को लेकर उनका ध्यान आकृष्ट कराया जाता है. आला अधिकारी भी प्रतिनिधि मंडल को आश्वस्त करते हैं […]

मूलभूत सुविधाओं का भी खगड़िया स्टेशन पर घोर अभाव

उपलटध नहीं है कोच इंडेक्टर सिस्टम
खगड़िया : जब भी निरीक्षण के दौरान रेलवे के आल अधिकारी पहुंचते हैं, तो यहां के विभिन्न संगठनों के द्वारा यहां की समस्या को लेकर उनका ध्यान आकृष्ट कराया जाता है. आला अधिकारी भी प्रतिनिधि मंडल को आश्वस्त करते हैं कि जल्द ही खगड़िया रेलवे स्टेशन की सूरत बदल जायेगी. लेकिन कब यह कोई नहीं बता रहा है. 29 करोड़ मासिक आय देने के बावजूद भी ए श्रेणी प्राप्त खगड़िया स्टेशन का समुचित विकास नहीं हो पाया है.
यहां के लोगों ने कई रेल के आलाधिकारियों के साथ ही साथ रेल मंत्री एवं खगड़िया, बेगूसराय व मुंगेर के सांसद का ध्यान उक्त समस्या की तरफ आकृष्ट कराया गया है. अगर आरपीएफ कार्यालय के समीप ओवरब्रीज का निर्माण हो जाता है तो खगड़िया स्टेशन पार करने के लिये हजारों लोगों को चक्कर नहीं काटने पड़ते.
मथुरापुर, कमलपुर, बछौता, भदास,भगतटोला आदि गांव के 50 हजार से अधिक आबादी को आवागमन की सुविधा शहर के दक्षिणी भाग में जाने के लिए प्राप्त होता. इसी तरह प्लेटफार्म के उत्तरी छौर पर राजेन्द्र चौक व सन्हौली दुर्गा स्थान चौंक के बीच निर्मित फुट ओवरब्रीज की सीढ़ी की उंचाई कम कर देने से अथवा रैम्प टाईप का रास्ता दे देने से पैदल यात्रीयों सहित साईकिल वाले छात्र छात्राओं को शहर में अवस्थित विभिन्न शिक्षण संस्थाओं में जाने के लिए सुविधा मिलती.
चार नंबर प्लेटफार्म पर ही रैक प्वाइंट:
खगड़यिा स्टेशन के चार नंबर प्लेटफार्म पर ही रैक प्वाइंट होने से यात्रीओं के स्वास्थ्य पर प्रतिकूल असर पड़ता है. रैक प्वाइंट पर दिनभर कभी सीमेंट का तो कभी मोटे अनाज के धूल के धुंध में यात्री सिसकते रहते हैं. किसी तरह से मुंह-नाक ढंक कर धूल से अपना बचाव करते हैं. यहां से रैक प्वाइंट हटाने के लिये गुहार लगायी गयी है. रेलवे के अधिकारी सहमत होने के पश्चात भी रैक प्वाइंट को अन्यत्र नहीं ले जा पाये हैं. पूर्वोत्तर बिहार संघर्ष समिति ने कतुबुपुर ग्राम के पास ढ़ाला नंबर 24 होते हुये पश्चिमी छोड़ पर स्थित पुरानी केबिन के निकट रैक प्वाइंट बनाने की मांग की है.
कई महत्वपूर्ण गाड़ियों का अभी भी इंतजार
सहरसा से खगड़िया, बेगूसराय, बरौनी बाईपास, लखीसराय, कियूल के रास्ते हावड़ा अथवा सियालदह के बीच, सहरसा से भागलपुर के बीच सुबह शाम एक्सप्रेस ट्रेन एवं सहरसा से मुंगेर के रास्ते रात्री कालीन रांची के लिये एक ट्रेन तथा सहरसा से मुंबई के बीच ट्रेन चलाने की मांग होती रही है.
महत्वपूर्ण गाड़ियों का स्टेशन पर हो ठहराव
महत्वपूर्ण गाड़ियों का ठहराव खगड़िया स्टेशन पर नहीं है. वैसे तो दर्जन भर ट्रेने खगड़िया स्टेशन पर नहीं रूकती है. परन्तु कम से कम खगड़िया स्टेशन पर से गुजड़ने वाली राजधानी ट्रेन के अलावा,गरीब नवाज एक्सप्रेस, बीकानेर गुहावटी, एनजेपी सीतामढ़ी ट्रेनों का ठहराव के लिये भी यहां की जनता संघर्ष करती आयी है.
विद्युत ट्रेन की हुई शुरुआत
बरौनी से कटिहार के बीच विद्युतीकरण का काम पूरा होने के बाद भी ईएमयू ट्रेन सेवा शुरू नहीं किये जाने से लोगों में रोष है. बरौनी से कटिहार के बीचव 2010 से विद्युतीकृत किये जाने का कार्य किया जाता रहा है. 2012 से ही लगातार इसको चालू किये जाने का घोषणा किया जाता रहा है. परन्तु निर्माण में शिथिलता के वजह से समयावधि का विस्तार हमेशा से किया जाता रहा है. अब जबकि बरौनी से कटिहार के बीच विद्युतीकृत रेलवे लाईन पर रेल गाड़ियों का परिचालन होने लगा है. ऐसी स्थिति में बरौनी से कटिहार के बीच ईएमयू ट्रेन का परिचालन नहीं किये जाने पर पुर्वोत्तर बिहार रेल उपभोक्ता संघर्ष समिति के केन्द्री संयोजक सुभाषचन्द्र जोशी, सह संयोजक अब्दुल गणी, मांगी लाल शर्मा, देशबन्धु आजाद, देवनारायण पासवान, उमेश ठाकुर, पुलकित गोस्वामी एवं गायत्री देवी ने आक्रोश व्यक्त किया है.

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