कटिहार : रविवार को मखाना व्यवसाय से जुड़ी पांच नाबालिग बच्चियों का बरामद होना मौजूदा व्यवस्था को मुंह चिढ़ाने के लिए काफी है. रेल पुलिस से नाबालिग बच्चियों ने जिस तरह अपनी पीड़ा बयां की, वह सभ्य समाज के लिए एक बड़ा सवाल है. हालांकि यह महज एक बानगी है. इस तरह के बच्चे जिले के विभिन्न कामों में अपना बचपन गंवाने को विवश हैं. कटिहार रेलवे जंकशन तो देश भर में बाल व्यापार के लिए ट्रांजिट प्वाइंट के रूप में जाना जाता है.
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बाल व्यापार के लिए ट्रांजिट प्वाइंट बन गया है कटिहार
कटिहार : रविवार को मखाना व्यवसाय से जुड़ी पांच नाबालिग बच्चियों का बरामद होना मौजूदा व्यवस्था को मुंह चिढ़ाने के लिए काफी है. रेल पुलिस से नाबालिग बच्चियों ने जिस तरह अपनी पीड़ा बयां की, वह सभ्य समाज के लिए एक बड़ा सवाल है. हालांकि यह महज एक बानगी है. इस तरह के बच्चे जिले […]
कई स्तरों पर झुलस रहा है बचपन : जिले के शहरी व ग्रामीण क्षेत्रों में तमाम दावों के बीच बच्चों का बचपन विभिन्न स्तरों पर झुलस रहा है. मसलन होटल, मोटर गैरेज, ईंट भट्ठा, मखाना व्यवसाय आदि विभिन्न कारोबार में बच्चे मजदूरी करने को विवश हैं. राष्ट्रीय बालश्रम परियोजना समिति के अनुसार, कटिहार जिले में करीब 24 हजार बाल श्रमिक विभिन्न ट्रेडों में काम कर रहे हैं. सरकार द्वारा विभिन्न तरह की योजनाएं चलाये जाने व सुविधा दिये जाने के बावजूद बालश्रम के रूप में बच्चों का बचपन झुलस रहा है.
धावा दल गठित, फिर भी बालश्रम में कमी नहीं
समाज कल्याण विभाग द्वारा 18 वर्ष तक के बच्चों के लिए जिला स्तर पर जिला बाल संरक्षण इकाई की व्यवस्था की गयी है. साथ ही श्रम संसाधन विभाग द्वारा बाल श्रमिकों को मुक्त कराने के लिए धावा दल गठित किया गया है. इसके अतिरिक्त चाइल्ड लाइन, बाल कल्याण समिति, किशोर न्याय बोर्ड आदि क्रियाशील हैं. हालांकि इनके अलग-अलग दायित्व निर्धारित किये गये हैं. तमाम व्यवस्था किये जाने का मुख्य उद्देश्य बाल संरक्षण व बाल अधिकार सुनिश्चित कराना है. इन तमाम व्यवस्थाओं के बावजूद भी बच्चों की स्थिति में सुधार नहीं हो रहा है.
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