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साहब, दावे से हमारा पेट नहीं भरेगा

कड़ी धूप में सड़क पर खुले में रहने को मजबूर हैं बाढ़पीड़ित. कटिहार : जिले में बाढ़ की स्थिति गंभीर बनी हुई है. बाढ़ से प्रभावित व विस्थापित लोगों की स्थिति तो और भी दयनीय हो गयी है. सोमवार को मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के राहत शिविरों का निरीक्षण करने व निरीक्षण के दौरान बाढ़ पीड़ितों […]

कड़ी धूप में सड़क पर खुले में रहने को मजबूर हैं बाढ़पीड़ित.

कटिहार : जिले में बाढ़ की स्थिति गंभीर बनी हुई है. बाढ़ से प्रभावित व विस्थापित लोगों की स्थिति तो और भी दयनीय हो गयी है. सोमवार को मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के राहत शिविरों का निरीक्षण करने व निरीक्षण के दौरान बाढ़ पीड़ितों द्वारा उठाये गये सवाल के बावजूद राहत शिविरों में कोई सुधार नहीं है. राहत शिविर के निरीक्षण के दौरान सोमवार को मुख्यमंत्री भले ही बाढ़ पीड़ितों के लिए सब कुछ करने का आश्वासन दे गये हों, लेकिन जमीनी हकीकत इससे काफी दूर है. जब मुख्यमंत्री प्रभावित क्षेत्रों का दौरा कर रहे थे,
उस समय भी बाढ़ पीड़ित बुनियादी सुविधाओं के लिए जद्दोजहद कर कर रहे थे. प्रभात खबर ने बाढ़ से प्रभावित व विस्थापन का दंश झेल रहे लोगों के बीच जाकर उनकी पीड़ा को जानने की कोशिश की. इस दौरान मुख्यमंत्री व जिला प्रशासन के तमाम दावे जमीन पर कहीं नहीं दिख रहे हैं. बाढ़ पीड़ितों के बीच खाने-पीने से लेकर रहने आदि की समस्या बनी हुई है. कई बाढ़ पीड़ित तो पानी के बीच ही मचान बना कर अपने बाल बच्चों व परिवार के साथ किसी तरह जिंदगी गुजार रहे हैं.
पाॅलिथीन सीट भी नहीं दी : रिंग बांध टूटने के बाद समेली प्रखंड अंतर्गत मुरादपुर पंचायत की बड़ी आबादी बाढ़ से प्रभावित है. प्रभावित लोग एनएच किनारे खुले में रहने को विवश हैं. प्रशासन द्वारा अबतक इन लोगों को पॉलिथीन सीट भी नहीं दिया गया है. एनएच किनारे ही किसी तरह भोजन बना कर बच्चों का पेट भर रहे हैं. करीब सौ घर यहां बाढ़ से प्रभावित हो गये हैं.
प्रभावित लोगों में पवन यादव, शंकर यादव, अजय यादव व दयानंद यादव ने बताया कि अब तक प्रशासन की तरफ से किसी तरह की व्यवस्था नहीं की गयी है. बाढ़ आने के बाद किसी तरह घर का कुछ सामान सुरक्षित लाने में सफल हुए हैं. एनएच किनारे ही रहने की व्यवस्था है. बगल में घर की रखवाली भी करनी पड़ती है. विपदा की इस घड़ी में सरकारी व गैर सरकारी स्तर पर किसी तरह की मदद नहीं मिली है. मालूम हुआ है कि मुख्यमंत्री आये हैं, लेकिन अब तक कोई सहायता नहीं दी गयी है.
मचान पर काट रहे दिन : कुरसेला स्टेशन के समीप पुरानी बाजार खेरिया के प्रभावित लोगों से मुलाकात होती है. यहीं पर सोमवार को मुख्यमंत्री नीतीश कुमार राहत शिविर का जायजा लेने पहुंचे थे. शिविर से सौ मीटर की दूरी पर आधा दर्जन से अधिक महिलाएं बच्चों के साथ एक मचान पर बैठी मिलीं. इन महिलाओं ने राहत शिविर में मुख्यमंत्री का भाषण भी सुना. बातचीत में यह महिलाएं कहती हैं कि इसी मचान पर इसी तरह जिंदगी कट रही है. बाढ़ का पानी निकले तभी घर जा पायेंगे. बाल बच्चों के साथ किसी तरह दिन कट रहा है. राहत शिविर में ऐसी अफरातफरी होती है कि भोजन करना ही मुश्किल हो जाता है. वस्त्र सहित अन्य सुविधाएं भी उन्हें नहीं मिली हैं. सिर्फ लंबी-लंबी बातें हो रही हैं, जबकि हकीकत में ऐसा कुछ नहीं है. हमें अपने हाल पर छोड़ िदया गया है.
राहत के नाम पर कुछ भी नहीं मिला
कुरसेला व समेली के बीच एनएच के किनारे महादलितों की एक छोटी सी बस्ती है, जो बाढ़ से पूर्णत: प्रभावित है. मधेली स्थित रिंग बांध टूटने के बाद इस महादलित बस्ती में बाढ़ आयी है. बाढ़ के पानी के बीच मचान पर ही किसी तरह कैलाश मुनि, पूनम देवी, शिव मलिक, दीपक मलिक, संजय मलिक, चंदन मलिक आदि रहते हैं.
इन लोगों ने कहा कि यही मचान उनका आशियाना भी है. अब तक प्रशासन द्वारा इन परिवारों को राहत के नाम पर कुछ भी नहीं दिया गया है. इन प्रभावित लोगों ने कहा कि पानी आने के बाद घर में रखा सभी सामान बह गया. बाल बच्चों तक के खाने के लिए कुछ नहीं है.

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