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इमरजेंसी सेवा बनी थी संजीवनी विरोध . जिले के सरकारी व निजी डॉक्टर रहे हड़ताल पर, सदर अस्पताल की
इंडियन मेडिकल एसोसिएशन व बिहार स्वास्थ्य सेवा संघ के आह्वान पर शनिवार को चिकित्सकों की हड़ताल से सरकार अस्पतालों की इमरजेंसी सेवा को छोड़ निजी क्लिनिकों में सन्नाटा पसरा रहा, जिससे मरीज दिन भर इधर-उधर भटकते दिखे. कटिहार : चिकित्सकों पर लगातार हो रहे हमले व मोतिहारी के चिकित्सक की हत्या के विरोध में शनिवार […]
इंडियन मेडिकल एसोसिएशन व बिहार स्वास्थ्य सेवा संघ के आह्वान पर शनिवार को चिकित्सकों की हड़ताल से सरकार अस्पतालों की इमरजेंसी सेवा को छोड़ निजी क्लिनिकों में सन्नाटा पसरा रहा, जिससे मरीज दिन भर इधर-उधर भटकते दिखे.
कटिहार : चिकित्सकों पर लगातार हो रहे हमले व मोतिहारी के चिकित्सक की हत्या के विरोध में शनिवार को सरकारी व निजी चिकित्सकों की हड़ताल से मरीज परेशान रहे. हालांकि सदर अस्पताल में आपात स्थिति के लिए वैकल्पिक व्यवस्था की गयी थी, लेकिन उसके बावजूद मरीज दिनभर परेशान रहे.
मरीजों की स्थिति यह रही कि सरकारी अस्पताल में उपचार नहीं होने के बाद जब निजी चिकित्सक के यहां गये, तो वहां भी ताला लटका मिला. खासकर दूर दराज व ग्रामीण क्षेत्रों से आये मरीजों को काफी परेशानी का सामना करना पड़ा. दूसरी ओर चिकित्सकों की इस हड़ताल से दवा दुकानों पर भी ग्राहक न के बराबर दिखे. शहर के विनोदपुर सहित विभिन्न क्षेत्रों में स्थित निजी चिकित्सकों की क्लिनिक पर सन्नाटा पसरा रहा.
दवा दुकानों में कम दिखे ग्राहक : डॉक्टरों की हड़ताल की वजह से शहरी व ग्रामीण क्षेत्रों की दवा दुकानों में भी ग्राहक नहीं के बराबर दिखे. हालांकि मरीजों का उपचार नहीं होने के बाद परिजन दवा दुकानों से ही संपर्क कर कुछ दवा जरूर लेते देखे गये. मेडिकल दुकान के संचालक रोहित कुमार ने बताया कि चिकित्सकों की हड़ताल पर रहने के कारण दवा का कारोबार भी प्रभावित हुआ है. आम दिनों की तुलना में शनिवार को दवा की बिक्री काफी कम हुई है.
बंद पड़ा निजी नर्सिंग होम.
निजी क्लिनिकों में लटका रहा ताला
इलाज को लेकर ग्रामीण क्षेत्रों से मरीजों को लेकर पहुंचे उनके परिजन चिकित्सकों की हड़ताल की वजह से इधर उधर भटकते रहे. मनसाही से पहुंची सविता कुमारी सदर अस्पताल में इलाज नहीं होने के बाद विनोदपुर स्थित निजी क्लिनिक में गयीं, लेकिन वहां से भी उन्हें लौटना पड़ा. लाभा से पहुंचे महेंद्र ने बताया कि वे अपने पुत्र को लेकर सदर अस्पताल आये थे, लेकिन इलाज नहीं होने के बाद अब घर लौट रहे हैं.
विनोदपुर में एक निजी क्लिनिक पर कदवा की रानी देवी मिलती हैं. उन्होंने बताया कि बेटी को महिला चिकित्सक को दिखाने लायी हैं, लेकिन डॉक्टरों की हड़ताल के कारण बेटी का उपचार नहीं हो सका. बेटी को लेकर मेडिकल कॉलेज जा रही हैं. कमोबेश यही हाल डंडखोरा के शब्बीर अहमद, प्राणपुर के सुधीर प्रसाद, आजमनगर के नसीम अख्तर आदि का भी था.
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