कटिहार : जिला एवं सत्र न्यायाधीश चंद्रशेखर झा की अदालत ने शुक्रवार को हत्या के मामले में जेल में बंद मुखिया हरेंद्र उरांव को आजीवन कारावास की सजा सुनायी है. इसके अलावा दो अन्य अभियुक्तों को सजा सुनायी गयी है.
हत्या का मामला कटिहार मुफस्सिल थाना क्षेत्र के भंवारा पंचायत के मुखिया हरेंद्र उरांव, सुरेश यादव तथा हाजीपुर निवासी उमर अली के विरुद्ध दर्ज किया गया था. न्यायालय ने सभी अभियुक्तों को दोषी पाते हुए अलग-अलग सजा निर्धारित किया है. तीनों अभियुक्तों के विरुद्ध धारा 302 के तहत आजीवन कारावास, 307 के तहत 10 साल एवं आर्म्स एक्ट में दोषी पाते हुए तीन वर्ष की सजा सुनायी है.
सभी अभियुक्तों को पांच-पांच हजार रुपये का अर्थ दंड भी लगाया गया है. अर्थदंड नहीं देने पर अभियुक्तों को अतिरिक्त कारावास की सजा भुगतनी होगी.
देखते ही चला दी थी गोली : सात जुलाई 2015 को मुफस्सिल थाने में मामला दर्ज कराते हुए कमल उरांव ने कहा था कि उसका छोटा भाई जमीर उरांव अपनी पत्नी नीलम देवी के साथ बाइक से सदर अस्पताल जा रहा था. नीलम सदर अस्पताल में गर्भवती महिलाओं की फोटोग्राफी करती थी.
घटना के दिन जब उसका भाई जमीर पत्नी नीलम को लेकर सदर अस्पताल से लौट रहा था, तो मोंगरा रेल फाटक के पास अभियुक्त हरेंद्र उरांव (मुखिया), सुरेश यादव व उमर अली घात लगा कर सड़क किनारे बैठे थे. पास पहुंचते ही तीनों ने पिस्तौल से गोली चलानी शुरू कर दी थी. गोली उसके भाई जमीर उरांव तथा उसकी पत्नी नीलम देवी को लगी.
हो हल्ला होने पर लोगों ने घायल अवस्था में दोनों को कटिहार मेडिकल कॉलेज अस्पताल में पहुंचाया, जहां डाक्टरों ने नीलम देवी को मृत घोषित कर दिया. घटना का कारण जमीन विवाद बताया गया था. इस सत्रवाद में अभियोजन पक्ष की ओर से विशेष लोक अभियोजक अरुण कुमार पंडित ने पंद्रह गवाहों का न्यायालय में परीक्षण कराया. इसमें एक गवाह पक्षद्रोही घोषित किया गया.