कोर्ट-फी पर नियंत्रण का अधिकार अधिवक्ता संघ को मिले फोटो नं. 50 से 59 कैप्सन-अधिवक्ताओं की प्रतिक्रिया.प्रतिनिधि, कटिहारफर्जी स्केनिंग कोर्ट-फी के मामले प्रकाश में आने के बाद व्यवहार न्यायालय के अधिवक्ताओं में काफी आक्रोश है. अधिवक्ताओं ने फ्रैंकिंग मशीन से जारी होने वाली कोर्ट-फी एवं न्यायालय परिसर में वेंडरों द्वारा फर्जी रूप से स्केनिंग कर कोर्ट-फी टिकट बेचे जाने का विरोध किया है. अधिवक्ताओं ने ऐसे घटनाओं को नियंत्रण में करने के लिए औचक निरीक्षण व देख-रेख का अधिकार अधिवक्ता संघ के कार्यकारिणी समिति को दिये जाने की मांग की. कहते हैं अधिवक्ता उक्त मामले में अधिवक्ता नितेश ने कहा कि चूंकि प्रशासनिक पदाधिकारी अक्सर अपने कार्यों में इतने व्यस्त रहते हैं कि रोजाना लाखों रुपये की टिकट की बिक्री करने वाले फ्रैंकिंग मशीन पर उनकी नजर महीनों गुजर जाने पर ही होती है. प्रशासन की इस कमजोरी को न्यायालय परिसर में कार्य कर रहे लाइसेंसी वेंडर व अवैध रूप से कार्य कर रहे वेंडर इसका फायदा उठाते हैं. अधिवक्ता मो इस्लाम अख्तर का कहना है कि प्रशासन इस फर्जीवाड़ा से पूर्ण रूप से अनभिज्ञ हैं. यदि प्रशासन की सार्थक पहल की गयी होती एवं अधिवक्ता संघ के कार्यकारिणी समिति से कोर्ट-फी के मामले में मिल कर कार्य किया जाता तो इस प्रकार की फर्जी स्केनिंग कोर्ट-फी का मामला संभव नहीं था. अधिवक्ता रेणु तिवारी का कहना है कि प्रभात खबर में यह मामला प्रमुखता से आने के बाद ऐसा लगता है कि फर्जी स्केनिंग कोर्ट-फी का मामला पिछले कई वर्षों से चल रहा है, जिसके लिए संबंधित पदाधिकारियों द्वारा निरीक्षण नहीं किया जाना एक बड़ी बात है. यदि अधिवक्ता संघ को यह अधिकार मिला होता तो फर्जी स्केनिंग कोर्ट-फी का मामला निश्चित रूप से संघ परिसर अथवा न्यायालय परिसर में संभव नहीं था. अधिवक्ता सह अपर लोक अभियोजक शिवनारायण सिंह का कहना था कि वेंडरों द्वारा फर्जी स्केनिंग कोर्ट-फी के मामले में सरकार को तुरंत संज्ञान लेना चाहिए. न्यायालय परिसर में औचक निरीक्षण एवं फ्रैंकिंग मशीन से कोर्ट-फी जारी करने का नियंत्रण संघ के कार्यकारिणी समिति को दिया जाना चाहिए. अधिवक्ता सत्यनारायण यादव का कहना है कि यदि संघ को पूर्व से ही कोर्ट-फी का नियंत्रण दिया गया होता तो संघ कार्यालय से चार कदम की दूरी पर कार्य करने वाले वेंडरों की हिम्मत इतनी नहीं होती. उन्होंने जिला पदाधिकारी से मांग किया है कि न्यायालय परिसर में कोर्ट-फी पर नियंत्रण का अधिकार अधिवक्ता संघ को अतिशीघ्र मिलना चाहिए. अधिवक्ता रवि रंजन सिंह का कहना है कि प्रशासन की अदूरदर्शिता का ही परिणाम है कि न्यायालय परिसर में कुकुरमुत्ते की तरह अवैध वेंडरों ने डेरा जमा लिया है. पैसे कमाने की होड़ में फर्जी स्केनिंग कोर्ट-फी प्रयोग में लाकर सरकार को करोड़ों रुपये का चुना लगा दिया है. श्री सिंह ने कोर्ट-फी पर नियंत्रण एवं न्यायालय परिसर में वेंडरों पर औचक निरीक्षण एवं नियंत्रण का अधिकार संघ के कार्यकारिणी समिति को देने की वकालत की. अधिवक्ता मो शम्स तबरेज का कहना था कि प्रशासन को तुरंत वेंडरों पर कार्रवाई करते हुए इस व्यवस्था को अधिवक्ता संघ को दे देना चाहिए. ताकि न्यायालय परिसर में कोर्ट-फी पर अधिवक्ता संघ के कार्यकारिणी समिति के सदस्यों की देख-रेख में सही रूप से इसके बिक्री का संचालन किया जाय ताकि सही कोर्ट-फी लोगों को मिल सके. अधिवक्ता मो नूर आलम का कहना है कि अब तक यह मामला प्रकाश में नहीं आया. चूंकि पदाधिकारी से लेकर अधिवक्ता इस मामले से काफी अनभिज्ञ थे. उन्होंने बदलते टेक्नोलॉजी को देखते हुए प्रशासन से मांग किया कि कोर्ट-फी पर नियंत्रण एवं फ्रैंकिंग मशीन के आसपास नियंत्रण का अधिकार अधिवक्ता संघ को प्रशासन द्वारा दिया जाना चाहिए. अधिवक्ता अशोक कुमार मंडल ने कहा कि फर्जी स्केनिंग कोर्ट-फी अगर अवैध वेंडरों द्वारा नहीं रोका गया तो कई ऐसे मामलों में बड़े कोर्ट-फी को दाखिल करने में इन अवैध वेंडरों के द्वारा सफल हो सकते हैं.
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कोर्ट-फी पर नियंत्रण का अधिकार अधिवक्ता संघ को मिले
कोर्ट-फी पर नियंत्रण का अधिकार अधिवक्ता संघ को मिले फोटो नं. 50 से 59 कैप्सन-अधिवक्ताओं की प्रतिक्रिया.प्रतिनिधि, कटिहारफर्जी स्केनिंग कोर्ट-फी के मामले प्रकाश में आने के बाद व्यवहार न्यायालय के अधिवक्ताओं में काफी आक्रोश है. अधिवक्ताओं ने फ्रैंकिंग मशीन से जारी होने वाली कोर्ट-फी एवं न्यायालय परिसर में वेंडरों द्वारा फर्जी रूप से स्केनिंग कर […]
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