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कोर्ट में मिल रहे हैं फर्जी शपथ-पत्र

कटिहार : आखिरकार न्यायालय परिसर एवं आसपास के वेंडरों ने फ्रैंकिंग मशीन से जारी होने वाले कोर्ट-फी का हुबहू स्केनिंग कर फर्जी न्यायालय शुल्क का कारोबार का मामला सामने आया है. इससे सरकार को अबतक करोड़ों रुपये का चूना लग चुका है. वहीं मामले को लेकर जिला प्रशासन बेखबर है. इसी वजह से यह अवैध […]

कटिहार : आखिरकार न्यायालय परिसर एवं आसपास के वेंडरों ने फ्रैंकिंग मशीन से जारी होने वाले कोर्ट-फी का हुबहू स्केनिंग कर फर्जी न्यायालय शुल्क का कारोबार का मामला सामने आया है. इससे सरकार को अबतक करोड़ों रुपये का चूना लग चुका है. वहीं मामले को लेकर जिला प्रशासन बेखबर है.

इसी वजह से यह अवैध धंधा फल-फूल रहा है. सरकार ने जाली स्टांप को रोकने के उद्देश्य से फ्रैंकिंग मशीन से कोर्ट-फी जारी करने का फैसला लिया था, नियमावली बना कर सरकार ने सभी मुख्यालयों में सबसे सुरक्षित माने जाने वाले न्यायालय परिसर में प्राय: सभी जगहों पर इसकी स्थापना किया, लेकिन फ्रैंकिंग मशीन को नियंत्रण रखने वाले जिला निबंधन पदाधिकारी ने व्यवहार न्यायालय कटिहार के न्यायिक पदाधिकारियों के भरोसे निरीक्षण का कार्य छोड़ दिया.

क्या है फर्जी स्केनिंग का खेलफ्रैंकिंग मशीन से जारी किये जाने वाले प्रिंटेड कोर्ट-फी हल्के लाल रंग के रिबन प्रिंट से तैयार टिकटें होती है, जिसके प्रिंट का इंक चमकती हुई होती है. वहीं स्केनिंग किये हुए फर्जी कोर्ट-फी गहरे लाल रंग की होती है. एक समान दिखने वाले फर्जी स्केनिंग कोर्ट-फी के अक्षरों में साइज, फोंट, गोलाई और उसकी मोटाई में बहुत ध्यान से देखने पर अंतर नजर आता है.

सौ रुपये की फर्जी कोर्ट-फी डिमांड है अधिकन्यायालय परिसर एवं उसके आसपास लाइसेंस सुधा वेंडरों एवं कुकुरमुत्ते के तरह आये अवैध वेंडरों के द्वारा ज्यादातर सौ रुपये एवं पांच रुपये की फर्जी स्केनिंग कोर्ट-फी की बिक्री की जाती है. वेंडरों द्वारा काफी ठोक बजा कर शपथ पत्रों पर लगने वाली सौ रुपये की फर्जी स्केनिंग कोर्ट-फी विश्वसनीय लोगों को भी जाती है.

इनमें दूर-दराज एवं प्रखंड मुख्यालयों से आने वाले एजेंट एवं थोक में शपथ पत्र बनाने वाले दलालों को उक्त वेंडरों द्वारा ऐसे फर्जी कोर्ट-फी दिये जाते हैं. इस फर्जीवाड़े में ज्यादातर ग्रामीण क्षेत्रों में उपयोग होने वाले शपथ पत्रों में ऐसे फर्जी कोर्ट-फी का उपयोग किया जाता है. चूंकि ऐसे फर्जी कोर्ट-फी के बारे में प्रखंड स्तर से लेकर जिला स्तर तक के पदाधिकारियों की अनभिज्ञता होती है.

इस कारण अब तक यह मामला प्रकाश में नहीं आया. -सरकारी योजनाओं में फर्जी कोर्ट-फी का उपयोगसरकार द्वारा छात्रवृत्ति योजनाओं में शपथ पत्रों का उपयोग आवश्यक किया जाता है, लेकिन पदाधिकारियों के द्वारा यह सोचा भी नहीं जा सकता है कि प्रखंड मुख्यालयों में एवं जिलास्तर पर शपथ बनाने वाले दलालों के द्वारा ऐसे शपथ-पत्र पर फर्जी स्केनिंग कोर्ट-फी लगा कर सरकार को काफी बड़ी मात्रा में राशि का चूना लगा रहे हैं.

अधिवक्ता संघ ने बचायी है लाजन्यायालय परिसर में एक ओर सरकारी लाइसेंससुदा वेंडरों द्वारा फर्जी स्केनिंग कोर्ट-फी का खेल जारी है. दूसरी ओर अधिवक्ता संघ के नियंत्रित काउंटर ऐसे मामलों से दूर रह कर मिशाल कायम रखा है. अधिवक्ता संघ के सचिव विजय कुमार झा का कहना है कि संघ द्वारा नियंत्रित काउंटरों पर काउंसिल के नियमानुसार सामाग्रियों की बिक्री की जाती है. संघ के आम चुनाव द्वारा निगरानी समिति के सदस्यों के साथ संयुक्त एवं सहायक सचिवों द्वारा उन पर नजर रखा जाता है.

अब तक संघ के मामले में किसी भी प्रशासनिक या व्यक्तिगत शिकायतें प्राप्त नहीं हुई है. पूर्व सचिव महानंद यादव का कहना है कि पूर्व में ही परिसर के आसपास के वेंडरों द्वारा अवैध कारोबार में शामिल रहने की सूचना डीएम एवं निबंधन पदाधिकारी को दी गयी थी. लेकिन पदाधिकारियों ने ना तो कभी औचक निरीक्षण किया ना ही इसकी वास्तविक सुधि ली.

उलटे ही पदाधिकारियों द्वारा फ्रैंकिंग मशीन पर जाकर नये निर्देश देकर आम लोगों की परेशानियों को और बढ़ा दिया जाता है और पक्षकारों को लंबी कतारों में खड़ा रहना पड़ता है.

कहते हैं प्रभारी जिला पदाधिकारी इस संबंध में प्रभारी जिला पदाधिकारी सह डीडीसी मुकेश पांडेय ने कहा कि इस तरह की कोई जानकारी नहीं मिली है, लेकिन जब मामला सामने आया है तो एसपी सहित अन्य पदाधिकारियों की मदद से जांच पड़ताल कर कड़ी कार्रवाई होगी.

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