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प्रसव वार्ड जायें, तो सुविधा शुल्क लेकर

सूबे की सरकार स्वास्थ्य सेवा पर करोड़ों रुपये खर्च कर रही है. इसका उद्देश्य सरकारी अस्पतालों को हाइटेक बनना है. लेकिन ऐसा हो नहीं रहा. एक तो सरकारी अस्पतालों में विभागीय उदासीनता की वजह से बुनियादी सुविधाओं का अभाव है, जो संसाधन अस्पतालों में हैं. उन्हें पाने के लिए भी मरीजों काे सुविधा शुल्क देना […]

सूबे की सरकार स्वास्थ्य सेवा पर करोड़ों रुपये खर्च कर रही है. इसका उद्देश्य सरकारी अस्पतालों को हाइटेक बनना है. लेकिन ऐसा हो नहीं रहा. एक तो सरकारी अस्पतालों में विभागीय उदासीनता की वजह से बुनियादी सुविधाओं का अभाव है, जो संसाधन अस्पतालों में हैं. उन्हें पाने के लिए भी मरीजों काे सुविधा शुल्क देना पड़ता है.

कटिहार : सदर अस्पताल में कुवव्यस्था से मरीजों को छुटकारा नहीं मिल पा रहा है. सरकार की ओर से दी जा रही सुविधाओं का भी लाभ मरीजों को नहीं मिल रहा है. ऐसे में मरीजों को परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है. प्रभात खबर सदर अस्पताल में व्याप्त कुव्यवस्था को लगातार उठाकर स्वास्थ्य विभाग के पदाधिकारी को आगाह करने का काम कर रहा है कि अस्पताल की क्या स्थिति बनी हुई है. जबकि सदर अस्पताल कैंपस में ही सिविल सर्जन सहित कई वरीय स्वास्थ्य विभाग के पदाधिकारी बैठते हैं. गुरुवार को सदर अस्पताल में पदस्थापित चिकित्सकों की ओपीडी में गायब रहने मामले का पड़ताल किया गया था, जिसे शुक्रवार के अंक में प्रमुखता से प्रकाशित किया गया है.

शुक्रवार को प्रभात खबर की टीम ने प्रसव वार्ड का जायजा लिया और जानने का प्रयास किया है कि जिले के विभिन्न क्षेत्रों से प्रसव कराने आने वाली महिलाओं को यहां कितनी सुविधा मिल रही है. जायजा लेने के क्रम में पाया गया कि प्रसव वार्ड में प्रसव कराने आने वाली महिलाओं को सरकार की ओर से उपलब्ध करायी, जाने वाली सुविधाओं से वंचित रखा जा रहा है. यही नहीं सीजर (ऑपरेशन) कर प्रसव कराने के नाम पर मोटी रकम की उगाही की जा रही है. सीजर तरीके से प्रसव कराने वाली महिलाओं के परिजनों को अधिकांश दवा बाहर से खरीदकर लाना पड़ता है.

ऐसा मरीजों के परिजन कहते हैं. प्रसव वार्ड में बेड पर किसी भी महिला मरीज को चादर नहीं दिया जाता है. इसके अलावा ठंड का मौसम प्रवेश कर जाने के बावजूद किसी भी मरीज को कंबल उपलब्ध नहीं कराया गया था. सभी मरीज अपने घरों से चादर व कंबल लाकर काम चलाने को विवश हो रहे हैं. जायजा लेने के क्रम में यह भी पाया गया कि वार्ड में बेहतर तरीके से साफ-सफाई नहीं होती है. इसके कारण मरीजों को दुर्गंध के बीच रहने को विवश होना पड़ता है. कई ऐसी परेशानियों के बीच प्रसव कराने वाली महिलाएं व उनके परिजन जूझने को मजबूर हो रहे हैं. जिसे हम स्वास्थ्य विभाग के पदाधिकारियों के सामने रख रहे हैं.

ऑपरेशन के लिए देना पड़ता है सुविधा शुल्क

जिला अस्पताल होने के कारण जिले भर से लोग सुरक्षित व बेहतर प्रसव कराने के लिए सदर अस्पताल बड़ी संख्या में महिलाएं पहुंची हैं. जायजा लेने के क्रम में सीजर (ऑपरेशन) से प्रसव कराये कई महिलाओं के परिजनों ने आरोप लगाया कि बगैर सुविधा शुल्क लिये यहां सीजर कर प्रसव नहीं होता है. इनमें लड़कनियां टोला की कोमल कुमारी की मां चिंता देवी ने बताया कि सीजर कर प्रसव कराने की बात जब आयी तो हमसे सुविधा शुल्क के रूप में 25 हजार रुपये की मांग की गयी. जब हमने कहा कि गरीब है इतना रुपया कहां से लायेंगे.

इस पर मामला पांच हजार में फाइनल हो गया. जबकि हरिहरपुर कोलासी की पूनम देवी से भी ऑपरेशन कर प्रसव कराने के नाम पर राशि की मांग अस्पताल में की गयी. लेकिन इन्होंने बताया कि हमारे पास रुपये ही नहीं थे. इसलिए पैसे नहीं दिये. इस मामले के सामने आने के बाद एक बात साफ हो गया कि सदर अस्पताल में प्रसव कराने के दौरान सीजर से होने वाले प्रसव पर चार से पांच हजार तक की वसूली खुलेआम होती है. इसके अलावा दूसरे तरीके से भी वसूली महिला मरीजों से की जाती है. पड़ताल के क्रम में पता चला कि जो मरीज चढ़ावा नहीं चढ़ाते हैं उनके प्रसव में लापरवाही बरती जाती है.

निजी अस्पताल में भेजने का दबाव

सदर अस्पताल में प्रसव कराने आने वाली महिलाओं पर निजी अस्पताल में प्रसव कराने के लिए दबाव बनाया जाता है. अस्पताल में बजाप्ते इसका गैंग काम कर रहा है. इसके साथ ही कई आशा कार्यकर्ताओं के द्वारा भी दबाव बनाया जाता है कि निजी क्लिनिक में ऑपरेशन बेहतर तरीके से होता है. प्रसव के दौरान वहां कोई खतरा नहीं होता. कई ऐसी बातें आशा के द्वारा मरीज व उनके परिजनों को बतायी जाती है. इस दौरान कई मरीज व उनके परिजन आशा की बात में आकर निजी क्लिनिक में ऑपरेशन कर प्रसव कराने को मजबूर हो जाते हैं

इसमें कम से कम 30 हजार तक का खर्च आता है. बड़ा सवाल यहां यह उठता है कि जब सदर अस्पताल में सभी तरह की व्यवस्था उपलब्ध है तो फिर निजी क्लिनिक में क्यों प्रसव के लिए दबाव बनाया जाता है. पड़ताल में बात सामने आयी कि इसमें चिकित्सक के द्वारा आशा व दूसरे लोगों को मोटी कमीशन दी जाती है.

मरीजों को नहीं मिल रहे चादर व कंबल

प्रसव वार्ड में दर्जन भर से अधिक महिला मरीजों का प्रसव हुआ है जो भरती है. इसके अलावा कई प्रसव कराने के लिए शुक्रवार को भरती हुई है, लेकिन इनमें से एक भी मरीज के बेड पर चादर तक उपलब्ध नहीं कराया गया था. इतनी ठंड पड़ने के बावजूद इन मरीजों को कंबल तक उपलब्ध नहीं कराया गया है. मरीजों ने बताया कि हमलोगों ने घर से सारा समान लाया है.

यहां कुछ भी नहीं मिलता है. कुरैठा की रीना देवी पिछले सोमवार को भरती हुई है. उन्हें सीजर कर प्रसव कराया गया है. इन्हें अस्पताल से बेड पर न चादर मिली न ही कंबल. यही हाल लड़कनियां की कोमल कुमारी, हरिहरपुर की पूनम देवी, मुरादपुर सनौली की राधा देवी, कोलीसी की बेबी देवी, धूमनगर की लाड़ली खातुन, प्राणपुर की सुनीता देवी, हसनगंज की पूनम देवी आदि का भी है.

75 प्रतिशत दवाएं बाहर से खरीदने को मजबूर

प्रसव वार्ड में भरती महिला मरीज व उनके परिजनों ने बताया कि 75 प्रतिशत से अधिक दवाएं बाहर से खरीदनी पड़ती है. अस्पताल से काफी कम दवा मिलती है. बाहर से काफी महंगी दवा खरीदने के कारण परेशानी हो रही है. संजली देवी, रीना देवी, जेवा दानिश सहित कई अन्य मरीजों ने बताया कि कहने मात्र का यह सदर अस्पताल है. यहां दवा व सूई मिलती ही नहीं है. यहां सिर्फ सलाईन व कुछ दवा मिलती है. बाकी का सारा दवा व सूई बाहर से खरीदना पड़ रहा है. गरीब मरीजों को इससे काफी परेशानी होती है.

गंदगी का लगा है अंबार

प्रसव वार्ड की बेहतर ढंग से साफ-सफाई नहीं होने के कारण महिला मरीजों को दुर्गंध के बीच रहने को विवश होना पड़ रहा है. हमारी टीम जब वहां जायजा लेने पहुंची तो नाक पर रूमाल रखने को मजबूर होना पड़ा, जो लोग 24 घंटे वहां रहते हैं उनको क्या परेशानी होती होगी सहज ही अंदाजा लगाया जा सकता है. जबकि शौचालय व बाथरूम की स्थिति भी काफी खराब हालत में थी. देखने से लगा कई दिनों से इसकी सफाई नहीं की गयी हो.

कहते हैं सीएस

इस संबंध में सीएस डॉ एससी झा ने कहा कि प्रसव के दौरान राशि उगाही मामले की लिखित शिकायत नहीं मिली है. यदि कोई शिकायत प्राप्त होता है तो कार्रवाई होगी. जबकि बेड व कंबल सभी मरीजों को उपलब्ध कराने का निर्देश जारी किया गया है. अस्पताल की स्थितियों में जल्द सुधार होगी.

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