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चूड़ा-गुड़ वितरण में अनियमितता

कटिहारः बाढ़ पीड़ितों को राहत सुविधा के नाम पर बांटे जा रहे चूड़ा-गुड़ में डाका डाला जा रहा है. बाढ़ पीड़ितों को जितनी मात्र में चूड़ा, गुड़ का वितरण किया जाना है. उसमें कटौती की जा रही है. जिससे बाढ़ पीड़ितों में व्यापक आक्रोश है. सवाल उठता है कि एक तरफ बाढ़ पीड़ित परिवार दाने-दाने […]

कटिहारः बाढ़ पीड़ितों को राहत सुविधा के नाम पर बांटे जा रहे चूड़ा-गुड़ में डाका डाला जा रहा है. बाढ़ पीड़ितों को जितनी मात्र में चूड़ा, गुड़ का वितरण किया जाना है. उसमें कटौती की जा रही है. जिससे बाढ़ पीड़ितों में व्यापक आक्रोश है. सवाल उठता है कि एक तरफ बाढ़ पीड़ित परिवार दाने-दाने के लिए मोहताज हो रहे है तो दूसरी ओर उन्हें जो सरकार व ्रशासन की ओर से फिलहाल राहत सामग्री उपलब्ध करायी जा रही है. उसमें भी डाका डाला जा रहा है. क्या प्रशासनिक पदाधिकारी समय उपलब्ध नहीं रहते हैं. या कुछ लोगों को लूटने की छूट दे दी गयी है. दरअसल चूड़ा व गुड़ का वितरण बाढ़ प्रभावित क्षेत्र में पंचायत स्तर पर कराया जा रहा है. पंचायत सचिव व मुखिया की देखरेख में वितरण हो रहा है. उनके द्वारा वितरण में घोर अनियमितता बरती जा रही है. लोगों को दो किलो चूड़ा की जगह कहीं आधा किलो तो कही एक किलो चूड़ा व कुछ मात्र में गुड़ का वितरण किया जा रहा है. अभी राहत वितरण शरू ही हुआ है. तब यह हाल है तो आगे क्या स्थिति होगी सहज ही अंदाजा लगाया जा सकता है.

बाढ़ पीड़ितों को एक बार ही मिला चूड़ा-गुड़

बाढ़ पीड़ितों के बीच मात्र एक बार चूड़ा व गुड़ का ही वितरण किया गया है. किसी बाढ़ पीड़ित को एक किलो तो किसी को दो किलो चूड़ा दिया गया है. जरा सोचिये एक परिवार में पांच से दस लोग है. एक या दो किलो चूड़ा से क्या होगा. बाढ़ पीतिों को कहना है जिला प्रशासन की ओर से बाढ़ पीड़ितों को चूड़ा व गुड़ का वितरण करा कर अपनी जिम्मेवारी से पल्ला झाड़ लिया है. बाढ़ पीड़ितों के बीच जब चूड़ा व गुड़ का वितरण किया गया तो उसी समय भूख से बिलबिला रहे बच्चों ने खाकर समाप्त कर दिया. सवाल उठता है इसके बाद बच्चे क्या खायेंगे. प्रभात खबर बार-बार इस बात को उठाता रहा है कि बाढ़ पीड़ितों को कम से कम दो वक्त के भोजन की दरकार है. लेकिन प्रशासन की ओर से इस ओर कोई ध्यान नहीं दिया जा रहा है. जिससे बाढ़ पीड़ितों की स्थिति खराब होती जा रही है.

जिले के अमदाबाद, कुरसेला, बरारी एवं मनिहारी प्रखंड बाढ़ की चपेट से उबर नहीं पा रहा है. हालांकि शनिवार को गंगा नदी का जलस्तर स्थिर रहा. लेकिन बाढ़ पीड़ितों की सिथति अब भी जस की तस बनी हुयी है. पीड़ितों को प्रशासन की ओर से उपलब्ध करायी गयी राहत सुविधा उंट के मुंह में जीरा के समान है. इसके बावजूद बाढ़ पीड़ित किसी तरह पूरे परिवार के साथ जीवन यापन कर रहे हैं. गौरतलब हो कि जिले की एक बड़ी आबादी बाढ़ से प्रभावित है. बाढ़ पीड़ितों को अब भी किसी तरह की कोई राहत सुविधा उपलब्ध नहीं हो पायी है. बाढ़ पीड़ित दाने-दाने को मोहताज हो रहे हैं.

महादलितों को नहीं मिला राहत सुविधा

अमदाबाद के प्रखंड मुख्यालय से महज कुछ ही दूरी पर अवस्थित महादलित टोला में बाढ़ पीड़ितों को राहत सामग्री उपलब्ध नहीं हो पायी है. बाढ़ पीड़ित रेखा देवी, रधिया मोस्मात, लीला देवी, मुन्नी देवी, बेगनी मोस्मात, मीना देवी, कैली देवी, रीना मोस्मात आदि ने बताया कि हमलोगों के घर में तीन से चार फीट बाढ़ का पानी घूस गया है. घर में एक भी समान नहीं बचा है. पानी सब कुछ बरबाद कर दिया है. भोजन के अभाव में हमलोग भूखे पेट सोने को विवश हो रहे हैं. इन महिलाओं ने बताया कि कुछ दिन पूर्व चूड़ा व गुड़ वितरण करने आये थे. लेकिन एक परिवार को एक किलो से भी कम चूड़ा दिया जा रहा था. जिसे हमलोगों ने वापस कर दिया. इन लोगों को गुस्सा था कि सरकार हमलोगों के नाम पर राहत सुविधा भेज रही है लेकिन वह हमलोगों को सही तरीके से नहीं मिल पा रही है.

ओवर लोडिंग नाव के कारण हादसे की आशंका

बाढ़ प्रभावित क्षेत्र में प्रयाप्त संख्या में नाव का परिचालन सरकारी स्तर पर नहीं कराया जा रहा है. जिससे लोग आवागमन के लिए एक ही नाव पर काफी संख्या में सवार होकर आने जाने के लिए विवश हो रहे हैं.

शनिवार को बरारी प्रखंड बभनी धार में हुई नौका दुर्घटना का मुख्य कारण ओवर लोडिंग ही है. प्रशासन की ओर से यदि सरकारी नाव की पर्याप्त संख्या में व्यवस्था की जाती तो शायद यह घटना नहीं होती और तीन लोगों को अपनी जान नहीं गंवानी पड़ती. हमारे प्रतिनिधि के अनुसार उक्त धार में प्रशासन की ओर से सरकारी नाव की कोई व्यवस्था नहीं की गयी थी. जिसके कारण लोग निजी नाव पर सवार होकर आवागमन करने को विवश थे. नाव पर ओवर लोडिंग की जा रही थी. उसी का परिणाम है कि नाव दुर्घटना ग्रस्त हो गयी.

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