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जिले में दम तोड़ रही परवरिश योजना, एक भी बच्चे को नहीं मिला लाभ

कटिहार: अनाथ, बेसहारा व असाध्य रोगों से ग्रसित बच्चों के लिए राज्य सरकार ने बड़े ही तामझाम के साथ ‘परवरिश’ योजना का शुभारंभ पिछले वर्ष किया था. कटिहार जिले में इस योजना की स्थिति ठीक नहीं है. वित्तीय वर्ष 2014-15 में एक भी बच्चे को इस योजना से जोड़ा नहीं जा सका. अन्य कल्याणकारी योजनाओं […]

कटिहार: अनाथ, बेसहारा व असाध्य रोगों से ग्रसित बच्चों के लिए राज्य सरकार ने बड़े ही तामझाम के साथ ‘परवरिश’ योजना का शुभारंभ पिछले वर्ष किया था. कटिहार जिले में इस योजना की स्थिति ठीक नहीं है. वित्तीय वर्ष 2014-15 में एक भी बच्चे को इस योजना से जोड़ा नहीं जा सका.

अन्य कल्याणकारी योजनाओं की तरह यह योजना भी बाबू व साहबगिरी में फंस कर रह गयी है. हालांकि परवरिश योजना के क्रियान्वयन एजेंसी जिला बाल संरक्षण इकाई का दावा है कि 125 लाभार्थियों का चयन किया गया है. इन लाभार्थियों को एक सप्ताह के भीतर योजना से जोड़ दिया जायेगा. डीसीपीयू के इस दावे पर भरोसा करें, तो वित्तीय वर्ष 2014-15 में सिर्फ आवेदन लेने तथा उस आवेदन की जांच प्रक्रिया में ही लग गया. अब अप्रैल 15 यानी वित्तीय वर्ष 2015-16 में लाभुक को योजना से जोड़ा जायेगा. इससे साफ अंदाजा लगाया जा सकता है कि बच्चों से जुड़ी योजनाओं के क्रियान्वयन के प्रति प्रशासनिक महकमा कितना संजीदा है.

अब तक एक भी बच्चे को नहीं मिला लाभ
परवरिश योजना की जमीनी हकीकत यही है कि अब तक एक भी बच्चे को इस योजना का लाभ नहीं मिला है. भले ही नोडल विभाग अप्रैल 15 में 125 बच्चे को योजना का लाभ देने का दावा कर रही हो. ऐसा भी नहीं है कि कटिहार जिले में अनाथ, सहारा व असाध्य रोग से ग्रसित बच्चे नहीं है. सौ के आसपास तो एचआइवी ग्रसित बच्चे हैं, जबकि लगभग 2000 के आसपास एचआइवी पीड़ित है. कुष्ठ रोग से ग्रसित लोग भी इस जिले में हैं.
ये बच्चे होंगे लाभान्वित
बीपीएल परिवार अथवा 60 हजार वार्षिक आय वाले व्यक्ति (अभिभावक) अनाथ व बेसहारा बच्चे योजना का लाभ पाने के हकदार हैं, जबकि एचआइवी, कुष्ठ रोग पीड़ित के लिए यह बाध्यता नहीं है. अनाथ, बेसहारा बच्चे जो अपने निकटतम संबंधी के साथ रहते हैं. एचआइवी एड्स, कुष्ठ रोग से पीड़ित बच्चे तथा एचआइवी एड्स पीड़ित माता-पिता कुष्ठ रोग के कारण 40 फीसदी से ज्यादा नि:शक्त माता-पिता के बच्चे योजना का लाभ पा सकते हैं.
योजना के फायदे
योजना के तहत चयनित शून्य से छह वर्ष तक बच्चों को 900 रुपये तथा 6 से 18 वर्ष तक के बच्चे को 1000 रुपये प्रतिमाह बैंक खाते के माध्यम से भुगतान किया जायेगा. इस राशि का उपयोग बच्चे का भरण-पोषण व शिक्षा आदि पर किया जायेगा.
क्या है प्रक्रिया
लाभुक निर्धारित प्रपत्र में पूरी जानकारी व आवश्यक कागजात के साथ अपने क्षेत्र के आंगनबाड़ी केंद्र के सेविका को आवेदन समर्पित करेंगे. सेविका 15 दिन के भीतर उक्त आवेदन को जांच कर अपना मंतव्य के साथ अपने बाल विकास परियोजना पदाधिकारी को समर्पित करेंगे. सीडीपीओ उस आवेदन को एक सप्ताह के भीतर एसडीओ को समर्पित करेंगे. एसडीओ के स्वीकृति आदेश के बाद जिला बाल संरक्षण इकाई के द्वारा निर्धारित राशि भुगतान की प्रक्रिया शुरू करेगी.
कहते हैं डीसीपीओ
जिला बाल संरक्षण पदाधिकारी मनोज कुमार ने इस संदर्भ में बताया कि वित्तीय वर्ष 2014-15 में आवेदन प्राप्त हुआ था. अब तक कुल 125 लाभार्थियों का चयन किया गया है. उसे एक सप्ताह के भीतर राशि का भुगतान कर दिया जायेगा.

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