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राष्ट्रीय स्तर पर बनेगी पहचान

कटिहार: तीन प्रमुख नदियों एवं कुछ सहायक नदियों के मुहाने पर बसा कटिहार अपने भीतर कई ऐतिहासिक व सांस्कृतिक महत्व को समेटे हुए हैं. अगर समय रहते इन महत्वपूर्ण धरोहरों पर गंभीरता से ध्यान नहीं दिया गया, तो इसका वजूद ही समाप्त हो जायेगा. धरोहरों में शामिल प्राकृतिक संपदा को लेकर प्रभात खबर ने उसकी […]

कटिहार: तीन प्रमुख नदियों एवं कुछ सहायक नदियों के मुहाने पर बसा कटिहार अपने भीतर कई ऐतिहासिक व सांस्कृतिक महत्व को समेटे हुए हैं. अगर समय रहते इन महत्वपूर्ण धरोहरों पर गंभीरता से ध्यान नहीं दिया गया, तो इसका वजूद ही समाप्त हो जायेगा. धरोहरों में शामिल प्राकृतिक संपदा को लेकर प्रभात खबर ने उसकी मौजूदा स्थिति एवं उसे बेहतर बनाने को लेकर अपने स्तर से पड़ताल की है. प्राकृतिक संसाधनों में नदी का एक अलग ही महत्व है.

कटिहार जिले में कई प्रमुख नदिया हैं. गंगा नदी की स्थिति एवं उसे बेहतर करने को लेकर प्रभात खबर आज से एक श्रृंखला शुरू कर रहा है. कटिहार जिले से गुजरने वाली गंगा नदी अपने प्राकृतिक सौंदर्य को कायम रखते हुए आम लोगों के जीवन शैली व आर्थिक विकास में कैसे सहभागी बन सकती है. इस पर भी प्रभात खबर ने कुछ पड़ताल की है. लंबी लड़ाई के बाद गंगा को राष्ट्रीय नदी का दर्जा मिला. उसके बाद तत्कालीन प्रधानमंत्री डॉ मनमोहन सिंह की अध्यक्षता में गंगा विकास प्राधिकरण बना. जब केंद्र में नरेंद्र मोदी की सरकार आयी तो गंगा के लिए मंत्रलय ही सृजित है. इन तमाम प्रयासों से एक उम्मीद जगी है कि कटिहार को गंगा नदी के बहाने आने वाले दिनों में तोहफा मिल सकता है. अगर यहां के सांसद, विधायक गंगा नदी पर केंद्रित कुछ विकास योजनाओं का रोड मैप तैयार करें, तो कटिहार कई मामले में राष्ट्रीय क्षितिज पर अपनी पहचान बना सकता है.

स्वच्छ करने की हो पहल
मनिहारी व काढ़ागोला घाट (बरारी) से गुजरने वाली गंगा नदी अपना वजूद खो रही है. हालांकि गंगा बेसिन प्राधिकरण के अस्तित्व में आने से यह उम्मीद, तो किया जा रहा है कि गंगा को स्वच्छ करते हुए उसके प्राकृतिक सौंदर्य को वापस लाया जाये. केंद्र व राज्य सरकार उसके लिए योजनाबद्ध तरीके से अपना काम करेगी. लेकिन फिलहाल जरूरत इस बात की है कि इस नदी को बेहतर करने में आम लोगों की सहभागिता कैसे सुनिश्चित हो. कटिहार जिले में गंगा नदी को प्रदूषित करने में यहां के लोगों की भूमिका को नकारा नहीं जा सकता है. गंगा को स्वच्छ व सुंदर बनाने के लिए लोगों को अपने स्तर से पहल करनी होगी.
जनप्रतिनिधि की भूमिका
गंगा नदी को प्राकृतिक सौंदर्य लौटाने व उसे पर्यटन के रूप में विकसित करने में सांसद-विधायक की भूमिका खास तौर पर महत्वपूर्ण होगी. जनप्रतिनिधि इसे धार्मिक महत्व के बजाय इसे पर्यावरण व विकास को केंद्र में रख कर सोचें, तो इस पिछड़े इलाके का गंगा के बहाने कायाकल्प हो सकता है.
बन सकता है पर्यटन स्थल
कुरसेला में गंगा व कोसी का मिलन स्थल है. कुरसेला के पास ही कोसी, गंगा नदी में आकर समाहित होती है. इसलिए इसे गंगा-कोसी का संगम कहा जाता है. इलाहाबाद की तर्ज पर इस गंगा-कोसी संगम को विकसित किया जा सकता है. पर्व-त्योहार हो अथवा कोई भी सामाजिक अनुष्ठान हो, इसी संगम से लोग पावन होकर अपनी यात्र शुरू करते हैं. पानी बाबा के रूप में प्रसिद्ध सामाजिक कार्यकर्ता राजेंद्र सिंह भी कोसी यात्र का समापन इसी संगम पर किये थे. ऐसे कई उदाहरण हैं, जो इस संगम के महत्व को रेखांकित करता है. इसी तरह मनिहारी के गंगा तट व काढ़ागोला घाट को भी विकसित किया जा सकता है. बनारस की तर्ज पर मनिहारी व काढ़ागोला घाट को विकास की मुख्य धारा से जोड़ा जा सकता है. दोनों गंगा तट पर हर साल लाखों की संख्या में विभिन्न पर्व त्योहारों में श्रद्धालु न केवल कटिहार जिले से यहां पहुंचते हैं, बल्कि नेपाल, बंगाल सहित पूर्णिया, अररिया, किशनगंज आदि सीमावर्ती जिले के श्रद्धालु भी यहां आते हैं. अगर गंगा तट का पक्कीकरण प्लेटफॉर्म सहित अन्य तरह के बुनियादी सुविधाएं यहां उपलब्ध हो जाती हैं, तो इलाका पर्यटन के रूप में विकसित हो जायेगा.

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