प्रतिनिधि, कटिहारजिले के शहरी व ग्रामीण क्षेत्रों में इन दिनों शादी-विवाह की तैयारी शुरू हो गयी है. 15 जनवरी के बाद से नयी जोड़ों की शादी कराने की प्रक्रिया जिले में शुरू हुई है. हालांकि समाज के अधिकांश समुदाय शिवरात्रि के बाद शादी के मुहूर्त को सही मानते हैं. लेकिन अब विभिन्न पंचांगों के अनुसार पंडित द्वारा शादी का शुभ मुहूर्त निर्धारित किये जाते हैं व उसी के अनुरूप वैवाहिक अनुष्ठान पूरे किये जाते हैं. हर साल बड़ी तादाद में नये जोड़े परिणय-सूत्र में बंध जाते हैं. समय के साथ जिस तरह हर क्षेत्र में बदलाव हुआ है, उसी तरह शादी-विवाह के रस्म-रिवाज में भी बदलाव देखी जा रही है. परिधान से लेकर विधि-विधान तक में बदलाव साफ दिख रही है. लुप्त होने लगी है पारंपरिक रिवाजअमूमन शादी के कार्यक्रम में कई तरह के पारंपरिक विधि-विधान होते हैं. वर व वधू पक्ष के विधि-विधान अलग-अलग होते रहे हैं. शादी से कई दिनों पूर्व से गीत-नृत्य का कार्यक्रम होता रहा है. लेकिन अब ये सभी पारंपरिक रिवाज आहिस्ता-आहिस्ता समाप्ति की ओर है. पारंपरिक गीत की जगह अब डीजे की धुन सुनायी पड़ती है. वर-वधू को शादी से पूर्व अपने-अपने घरों में परिवार के बीच कई विधान के बाद सात फेरे लेने पड़ते हैं. लेकिन इसमें भी अब शॉट-कॉट का रास्ता अपनाया जा रहा है. होटलों में बनने लगे मंडपपहले लड़की वालों के घर में मंडप बनाया जाता था. लेकिन अब होटल, सामुदायिक भवन, विवाह भवन में अधिकांश शादियां होने लगी है. दोनों पक्ष ऐसे स्थलों पर जुट कर शादी-समारोह संपन्न कराते हैं. ऐसे स्थल पर ही अस्थायी रूप से मंडप बनाया जाता है. मंडप में वर-वधू सात फेरे लेते हैं. हालांकि ग्रामीण क्षेत्र में गरीब तबके में अभी भी यह परंपरा है.
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शादी में नहीं सुनायी पड़ती शहनाई की गूंज
प्रतिनिधि, कटिहारजिले के शहरी व ग्रामीण क्षेत्रों में इन दिनों शादी-विवाह की तैयारी शुरू हो गयी है. 15 जनवरी के बाद से नयी जोड़ों की शादी कराने की प्रक्रिया जिले में शुरू हुई है. हालांकि समाज के अधिकांश समुदाय शिवरात्रि के बाद शादी के मुहूर्त को सही मानते हैं. लेकिन अब विभिन्न पंचांगों के अनुसार […]
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