कटिहार : जिले में आवारा कुत्तों का आतंक रुकने का नाम नहीं ले रहा है. स्वास्थ्य विभाग के आंकड़ों पर भरोसा करें, तो जिले में कुत्ता काटने की स्थिति विस्फोटक बनती जा रही है. नवंबर 2014 की तुलना दिसंबर 2014 में अधिक लोगों को कुत्ते ने अपना शिकार बनाया है.
जिले में इतने लोग कुत्ता के शिकार कैसे बन रहे हैं. यह जांच का विषय है. अगर विभाग के आंकड़े सही है, तो सरकार को इस दिशा में पहल करनी होगी तथा लोगों को कुत्ते से बचाने के लिए अभियान भी चलाना पड़ सकता है. जानकार बताते हैं कि कुत्ता काटने के बाद मरीज को दवा दी जाती है, वह काफी महंगी है. रैबिज नामक सूई कुत्ता काटने वाले मरीज को दी जाती है. औसतन 14 लोग रोज बनते हैं कुत्ते के शिकार जिले में कुत्तों का आतंक ऐसा है कि रोज औसतन 14 लोग उसके शिकार बनते हैं.
सिविल सर्जन कटिहार की रिपोर्ट के अनुसार, अप्रैल 2014 से दिसंबर 2014 तक यानी 275 दिन में 3773 लोगों को कुत्ते ने काटा है. सिर्फ दिसंबर 2014 में 374 लोगों को कुत्ते ने अपना शिकार बनाया है, जबकि नवंबर 2014 तक 3399 लोगों को कुत्ते ने काटा है. 359 लोग हुए सर्पदंश के शिकार सीएस के रिपोर्ट के अनुसार इस अवधि में 359 लोगों को सांप ने काटा है. दिसंबर 14 में नौ लोग सर्पदंश के शिकार हुए हैं. नवंबर 2014 तक 350 लोगों को सांप ने डसा था. हालांकि सीएस ने कुत्ता व सांप काटने तथा डायरिया को महामारी की श्रेणी में रखा है. कुत्ता काटने व सर्पदंश एक बड़ी चुनौती के रूप में सामने आ रहा है.