फर्जी नामांकन को लेकर तरह-तरह की चर्चा, करोड़ों के वारे-न्यारे का अनुमान
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एक साल में घट गये 63,504 छात्र
फर्जी नामांकन को लेकर तरह-तरह की चर्चा, करोड़ों के वारे-न्यारे का अनुमान कटिहार : जिले के प्रारंभिक विद्यालयों में नामांकन को लेकर चौंकाने वाला तथ्य सामने आया है. पिछले वर्ष की तुलना में इस वर्ष 63 हजार से अधिक नामांकन कम पाया गया है. हालांकि पिछले तीन-चार वर्षों से इस तरह नामांकन में फर्जीवाड़ा का […]
कटिहार : जिले के प्रारंभिक विद्यालयों में नामांकन को लेकर चौंकाने वाला तथ्य सामने आया है. पिछले वर्ष की तुलना में इस वर्ष 63 हजार से अधिक नामांकन कम पाया गया है. हालांकि पिछले तीन-चार वर्षों से इस तरह नामांकन में फर्जीवाड़ा का खेल चल रहा है. स्थानीय शिक्षा विभाग के अधिकारी इसके लिए अलग-अलग तर्क दे रहे हैं, जबकि जमीनी हकीकत यही है कि नामांकन को लेकर विद्यालय स्तर पर फर्जीवाड़े का खूब खेल हुआ है. अगर नामांकन के इस फर्जीवाड़ा के खेल को हकीकत मान लें, तो करोड़ों का वारा न्यारा हुआ है. सरकार के विभिन्न प्रोत्साहन योजना का लाभ फर्जी नामांकन की आड़ में उठाया गया है. यह मामला तब उजागर हुआ है, जब यू-डायस 2017-18 की रिपोर्ट सामने आयी. यह आंकड़ा काफी चौंकाने वाला है. इतने बड़े पैमाने पर फर्जी नामांकन के जरिये करोड़ों रुपये की हेराफेरी किये जाने का अनुमान है. हालांकि अब तक इसकी इसकी जांच नहीं हुई है. जांच होने पर बड़ा घोटाला भी सामने आ सकता है.
यू-डायस 2017-18 की रिपोर्ट : यू-डायस 2017-18 पर यकीन करें तो एक वर्ष के दौरान 63504 बच्चे नामांकन में कम पाये गये हैं. वर्ष 2016-17 के यू-डायस के मुताबिक जिले के प्रारंभिक विद्यालयों में कुल नामांकित बच्चों की संख्या 613110 था. जबकि वर्ष 2017-18 के यू-डायस रिपोर्ट के अनुसार यह संख्या घटकर 549606 हो गया है. यानी कुल 63504 बच्चे नामांकन में कम मिला है. यह आंकड़ा सामने आने के बाद स्थानीय शिक्षा विभाग में हड़कंप मचा हुआ है. सभी बीइओ से संबंधित स्पष्टीकरण मांगा गया है. बिहार शिक्षा परियोजना परिषद ने भी स्थानीय जिला प्रारंभिक एवं सर्व शिक्षा अभियान के जिला कार्यालय को नामांकन में कमी होने से संबंधित स्पष्टीकरण मांगा है.
बीइओ नहीं ले रहे हैं दिलचस्पी
फर्जी नामांकन का मामला उजागर होने के बाद विभागीय निर्देश के आलोक में स्थानीय प्रारंभिक शिक्षा एवं सर्व शिक्षा अभियान के जिला कार्यालय ने सभी प्रखंड शिक्षा पदाधिकारी को इस आशय से संबंधित पत्र लिखते हुए स्पष्टीकरण मांगा. पर अब तक प्रखंड शिक्षा पदाधिकारी की ओर से किसी तरह का स्पष्टीकरण नहीं दिया गया है. प्रारंभिक शिक्षा एवं सर्व शिक्षा अभियान कार्यालय की ओर से जारी पत्र में कहा गया है कि नामांकन में पांच प्रतिशत से अधिक बच्चों की कमी पायी गयी है. इसके स्पष्ट कारण का उल्लेख करते हुए शीघ्र जवाब उपलब्ध कराएं. पर बीइओ इस मामले में किसी तरह की दिलचस्पी नहीं ले रहे हैं.
बीइओ के दिलचस्पी नहीं लेने पर कई तरह के सवाल उठने लगे है.
कहते हैं डीपीओ : प्रारंभिक शिक्षा एवं सर्व शिक्षा अभियान के जिला कार्यक्रम पदाधिकारी विद्यासागर सिंह ने कहा कि यह सही है कि यू डाइस की रिपोर्ट के मुताबिक पिछले वर्ष की तुलना में नामांकन में कमी आयी है. इसके लिए सभी प्रखंड शिक्षा पदाधिकारियों को नामांकन में कमी आने के कारण का उल्लेख करते हुए जवाब मांगा गया है. पर अब तक जवाब नहीं आया है. बीइओ को फिर से स्मारित कराया गया है. इस बार यू डाइस के डाटा संग्रह के दौरान आधार नंबर सहित अन्य कई तरह की जानकारी मांगी गयी थी. इसके कारण नामांकन में कमी आयी है. नामांकन में कमी का स्पष्ट कारण जब तक नहीं आ जाता है, तब तक इस पर कुछ भी कहना उचित नहीं है.
फर्जी नामांकन की आड़ में करोड़ों का वारा-न्यारा
यू डायस के रिपोर्ट सामने आने के बाद नामांकन को लेकर फर्जीवाड़ा की पोल खुल गयी है. जानकारों की माने तो फर्जी नामांकन की आड़ में करोड़ों का वारा न्यारा किया गया है. उल्लेखनीय है कि मध्याह्न भोजन योजना बच्चों को स्कूल से जोड़ने के लिए एक महत्वपूर्ण योजना है. इतने बड़े पैमाने में फर्जी नामांकन का मामला सामने आया है. अगर इसे मध्याह्न भोजन योजना से जोड़ें, तो करोड़ों का घालमेल सामने आ जाता है. दूसरी तरफ सरकार की ओर से अन्य प्रोत्साहन योजना यथा मुख्यमंत्री पोशाक योजना, मुख्यमंत्री छात्रवृत्ति योजना सहित अन्य कई तरह की योजनाएं संचालित हैं. इन योजनाओं का भी फर्जी नामांकन की आड़ में करोड़ों का वारा न्यारा किया गया है. इस तरह का अनुमान लगाया जा रहा है. शिक्षा महकमे में फर्जी नामांकन को लेकर तरह-तरह की चर्चा हो रही है.
कहते हैं डीइओ
डीइओ दिनेश चंद्र देव ने बताया कि नामांकन में कमी व फर्जी नामांकन के मामले में प्रारंभिक शिक्षा एवं सर्व शिक्षा अभियान कार्यालय ही बेहतर बता सकता है. पर उन्हें जो जानकारी है, उसके अनुसार कुछ छात्र निजी विद्यालय में भी पढ़ते हैं और सरकारी विद्यालय में भी नामांकन कराए हुए हैं. इस बार यू डायस के डाटा संग्रह के दौरान इस पर नजर रखी गयी थी तथा आधार व अन्य कागजात की मांग की गयी थी. इसकी वजह से नामांकन में कमी आ गयी है.
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