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जिला मलेरिया केंद्र को इलाज की जरूरत

कटिहार : सदर अस्पताल परिसर स्थित जिला मलेरिया कार्यालय इन दिनों खुद बीमार है. जब मलेरिया कार्यालय खुद बीमार है तो जिले के आम लोगों की बीमारी को कैसे दूर कर पाने में सफल होगा. मलेरिया कार्यालय भवन काफी जर्जर हो जाने के कारण मामूली बारिश होने पर छत से पानी टपकना शुरू हो जाता […]

कटिहार : सदर अस्पताल परिसर स्थित जिला मलेरिया कार्यालय इन दिनों खुद बीमार है. जब मलेरिया कार्यालय खुद बीमार है तो जिले के आम लोगों की बीमारी को कैसे दूर कर पाने में सफल होगा. मलेरिया कार्यालय भवन काफी जर्जर हो जाने के कारण मामूली बारिश होने पर छत से पानी टपकना शुरू हो जाता है. जिला मलेरिया कार्यालय सदर अस्पताल के मुख्य गेट के समीप छोटे-छोटे तीन कमरों में संचालित किया जा रहा है.

जिसमें एक कमरे में मलेरिया नियंत्रण इकाई का कार्यालय है तो दूसरे कमरे में जिला मलेरिया कार्यालय, छोटे कमरे में स्टोर के रूप में उपयोग किया जा रहा है. भवन इतना पुराना हो चुका है कि छत के नीचे काम करने वाले कर्मी के ऊपर छत का चट्टान गिरते रहना आम बात हो गयी है. इससे कभी भी बड़ी दुर्घटना हो सकती है. इस की आशंका हमेशा इस छत के नीचे रहकर काम करने वाले पदाधिकारी एवं कर्मचारी को हमेशा बनी रहती है.
जान जोखिम में रखकर कर्मचारी एवं पदाधिकारी जर्जर एवं खंडहर मकान में कार्य करने को विवश है. जिला मलेरिया कार्यालय एवं फाइलेरिया नियंत्रण इकाई कार्यालय के प्रभारी चिकित्सक चिकित्सा वेक्टर जनित रोग नियंत्रण पदाधिकारी जय प्रकाश सिंह ने बताया कि मलेरिया निरीक्षक का यहां चार पद है. जिसमें तीन पद रिक्त हैं. एक निरीक्षक कार्यरत हैं. सलाहकार एक हैं. क्लर्क के दो पद है. जिसमें एक रिक्त हैं. बीएसडब्ल्यू के 42 पद हैं. जिसमें 38 पद रिक्त हैं. चार कर्मी के भरोसे काम चल रहा है. बीएचआई के 11 पद रिक्त हैं. तथा एलटी के 11 पद रिक्त हैं. आदेशपाल के दो पद हैं एक पद रिक्त हैं. मलेरिया नियंत्रण इकाई कार्यालय में निरीक्षक के तीन पद रिक्त हैं. एसएफडब्लू का चार पद में तीन पद रिक्त है. एक कार्यरत हैं.
एफडब्लू के 21 पदों में पांच कार्यरत हैं. शेष रिक्त हैं. जिसके कारण जिला स्तरीय कार्यालय का संचालन करने में काफी कठिनाई का सामना करना पड़ रहा है. अस्पताल परिसर में छोटे से जर्जर एवं खंडहर मकान में बरसों से जिला मलेरिया कार्यालय का संचालन किया जा रहा है. लेकिन कार्यालय में जगह की कमी रहने के कारण कर्मचारियों व पदाधिकारियों को भी बैठने की जगह नहीं मिल पाती है. भवन का छत काफी जर्जर हो कर छत का प्लास्टर टूट-टूट कर गिरते रहता है. किसी भी समय बड़ी हादसा हो सकती है.
आठ माह में मिले मलेरिया के 24 मरीज
कटिहार जिला मलेरिया जोन से बाहर रहने के कारण यहां मलेरिया की रोगी काफी कम मात्रा में अस्पताल आते हैं. विभाग का दावा है कि कटिहार में प्रति महीने तीन मलेरिया के रोगी ही चिह्नित हुए हैं. जिला वेक्टर जनित रोग नियंत्रण पदाधिकारी डॉ जयप्रकाश सिंह ने कहा कि कटिहार जिला मलेरिया जोन नहीं रहने के कारण यहां मलेरिया रोग काफी कम संख्या में होता है. कटिहार में डेंगू का एक भी केस चिह्नित नहीं हो पाया है. डॉ श्री सिंह ने कहा कि कटिहार जिले में 8 महीने में टोटल 24 मलेरिया रोग से ग्रसित रोगी चिह्नित हुए हैं. मलेरिया के रोगियों को समय-समय पर दवाई दिया जाता है. देखभाल किया जाता है.
मलेरिया रोग से बचने के लिए मच्छरदानी लगा कर सोना चाहिए. इससे मलेरिया रोग से बचाव के लिए सबसे उत्तम और सस्ता उपाय है. डॉ श्री सिंह कहते हैं कि मलेरिया और डेंगू के लक्षण को कैसे पहचाने. इसके बारे में बताया कि जिस रोगी को हाइ फीवर के साथ-साथ कंपकपी आयेगा चमड़ा फटने लगा और खून निकलेगा तो समझिए कि उस रोगी को डेंगू रोग है. वहीं जोर से बुखार एक दिन बाद एक दिन आना और पसीना निकलना मलेरिया का लक्षण माना जाता है. चिकित्सक श्री सिंह ने कहा कि कटिहार में डेंगू का रोग चिह्नित नहीं होने के कारण डेंगू रोग का दवाई भी उपलब्ध नहीं है. मलेरिया के 24 रोगी चिह्नित है. जिनका विधिवत उपचार किया जा रहा है.

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