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लगातार बढ़ रहे एड्स के मरीज

चिंतनीय. जागरूकता अभियान चलाने के बाद भी नहीं मिला लाभ नवंबर तक 22 मरीजों की हुई पहचान भभुआ सदर : जिले में साल दर साल एचआइवी पॉजिटिव मरीजों की संख्या में इजाफा हो रहा है़ नवंबर 2016 तक जिले में 22 एचआइवी पॉजिटिव मरीजों की पहचान की जा चुकी है जिसमें 15 पुरुष और सात […]

चिंतनीय. जागरूकता अभियान चलाने के बाद भी नहीं मिला लाभ

नवंबर तक 22 मरीजों की हुई पहचान
भभुआ सदर : जिले में साल दर साल एचआइवी पॉजिटिव मरीजों की संख्या में इजाफा हो रहा है़ नवंबर 2016 तक जिले में 22 एचआइवी पॉजिटिव मरीजों की पहचान की जा चुकी है जिसमें 15 पुरुष और सात महिलाएं एचआइवी पॉजिटिव से ग्रसित हैं. जबकि इससे पीड़ित एक मरीज की मौत भी इस वर्ष हो चुकी है.
गौरतलब है कि भभुआ सदर अस्पताल से संचालित हो रहे जिला एड्स कंट्रोल संस्थान में दर्ज आंकड़ों के अनुसार वर्ष 2004 से 2016 19 नवंबर तक 25 169 महिला-पुरुषों की इस केंद्र में जांच की जा चुकी है इसमें अब तक 294 एचआइवी के पॉजिटिव मरीजों की पहचान हो सकी है. गर्भवती महिलाओं की भी जांच इस केंद्र पर एक अगस्त 2005 से की जा रही है़ गर्भवती महिलाओं में भी 2016 तक 19 एचआइवी पॉजिटिव के लक्षण मौजूद थे.
सदर अस्पताल स्थित एचआइवी एड‍्स केंद्र के काउंसेलर डाॅ सुनील कुमार बताते हैं कि जिन महिला-पुरुषों में एचआइवी पॉजिटिव होने के लक्षण पाये जाते हैं उन्हें यहां से एआरटी सेंटर वाराणसी रेफर किया जाता है़ जहां मरीजों की सीडी फोर काउंट की जाती है़ अगर दो सौ से कम रहता है तो उन्हें एआरटी सेंटर से दवा दी जाती है. अगर, सीडी फोर काउंट दो सौ से ऊपर है तो मरीज को पुन: इसकी जांच कराने को वापस भेज दिया जाता है.
सदर अस्पताल में एड‍्स जागरूकता को लेकर नाटक का मंचन करते कलाकार.
एड‍्स फैलने की कई वजह
एचआइवी एड‍्स के वायरस फैलने की कई वजहें हैं, जिसमें सबसे अधिक असुरक्षित यौन संबंधों के चलते फैलते हैं. आंकड़े भी बताते हैं कि हमारे जिले में मिले अधिकतर एचआइवी पॉजिटिव या एड‍्स के मामले असुरक्षित यौन संबंध से ही एक दूसरे में फैले है. संक्रमित खून, संक्रमित सीरिंज, संक्रमित मां से बच्चे में और संक्रमित अंगदान से भी एड‍्स का वायरस फैलता है.
काउंसेलर डाॅ सुनील कुमार बताते हैं कि एड‍्स की अवस्था में आने के बाद मरीज पर सबसे पहले टीबी का अटैक होता है क्योंकि, टीबी होने का कारण भी शरीर में प्रतिरोधक क्षमता कम होना है़ यदि गर्भवती महिलाएं संक्रमित हो जाये तो उनका गर्भपात हो जाता है़
एचआइवी व एड‍्स में होता है अंतर
सामान्य रूप से देखा जाये तो एचआइवी को ही एड‍्स मान लिया जाता है. जबकि एचआइवी इस बीमारी का प्राथमिक स्तर है ,जबकि, एड‍्स इस बीमारी का अंतिम स्तर है. यह वायरस स्वास्थ्य को धीरे-धीरे संक्रमित करता है़ इससे शरीर की प्रतिरोधक क्षमता धीरे-धीरे कम होने लगती है और शरीर वायरस से मुकाबला करने की क्षमता खोने लगता है. इस बीमारी से शरीर की प्रतिरोधक क्षमता आठ-दस सालों में ही न्यूनतम हो जाती है. इस स्थिति को ही एड‍्स कहा जाता है.
एड‍्स कंट्रोल संस्थान में गर्भवती महिलाओं में एचआइवी के आंकड़े
वर्ष जांच – परिणाम (पॉजिटिव)
2006 7 975 01
2007 8 1180 01
2008 9 1036 00
2009 10 1410 00
2010 11 1481 00
2011 12 1993 00
2012 13 2198 01
2013 14 2802 0 1
2014 15 4496 03
2015 16 3983 02
2016 17 3763 0 1(मृत्यु)
स्वास्थ्य विभाग की पहल भी नाकाम
एचआइवी एड‍्स के खिलाफ स्वास्थ्य विभाग भी समय-समय पर जागरूकता अभियान चला रहा है. जिला एड‍्स कंट्रोल सोसाइटी के नोडल पदाधिकारी डॉ विवेक कुमार सिंह ने बताया कि एचआइवी एड‍्स से संबंधित जागरूकता और इससे बचाव के लिए सोसाइटी हर वक्त लगी हुई है. इसके तहत गांवों में या फिर शहर के पिछड़े और स्लम एरिया में नुक्कड़ नाटक, स्लोगन पंफ्लेटों और सामूहिक वाद-विवाद का आयोजन कर इस गंभीर बीमारी और उससे बचाव के बारे में विभिन्न नुक्कड़ नाटक कर्मियों द्वारा बताया जा रहा है. सोमवार को भी ओपीडी के बाहरी परिसर में पटना से आयी नाट‍्य मंडली ने लोगों को एचआइवी एड‍्स के प्रति सावधानी बरतने और इससे सतर्क रहने के बारे में बताया़
ऐसे करें इस रोग से बचाव
सुरक्षित यौन संबंध ही बनाएं
खून लेने से पहले उसकी जांच अवश्य करा लें
कोई भी टीका या इंजेक्शन लगाने से पहले ध्यान रखें कि सिरिंज नयी हो
एक से ज्यादा लोगों से संबंध स्थापित करने से बचें
दाढ़ी बनाते वक्त नयी ब्लैड का प्रयोग करें

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