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छह डॉक्टरों के भरोसे चलते हैं जिले के 22 मवेशी अस्पताल

पशुओं में खसरे के टीकाकरण की अवधि समाप्त, पर टीकाकरण नहीं हुआ शुरू गलाघोंटू व लंगड़ी रोग का टीकाकरण जून में था प्रस्तावित, पर अब भी नहीं हुआ शुरू भभुआ (ग्रामीण) : एक तरफ सरकार पशुपालन के क्षेत्र में किसानों को जागरूक कर रही है और स्वरोजगार सृजन कार्यक्रम के तहत पशुपालकों को प्रशिक्षित कर […]

पशुओं में खसरे के टीकाकरण की अवधि समाप्त, पर टीकाकरण नहीं हुआ शुरू
गलाघोंटू व लंगड़ी रोग का टीकाकरण जून में था प्रस्तावित, पर अब भी नहीं हुआ शुरू
भभुआ (ग्रामीण) : एक तरफ सरकार पशुपालन के क्षेत्र में किसानों को जागरूक कर रही है और स्वरोजगार सृजन कार्यक्रम के तहत पशुपालकों को प्रशिक्षित कर पशुपालन के क्षेत्र में आगे बढ़ने के लिए किसानों को जागरूक किया जा रहा है. इसके तहत सरकार नये रोजगार सृजन के लिए अपनी ओर से पशुपालन व्यवसाय पर सब्सिडी भी दे रही है. लोग इस व्यवसाय को कर भी रहे हैं, लेकिन जिले में पशुपालकों को होनेवाली परेशानियों की अनदेखी की जा रही है.
जिले में 22 मवेशी अस्पताल हैं, पर डाॅक्टर सिर्फ छह है. कोई अस्पताल सप्ताह में एक दिन खुलता है, तो कोई दो दिन खुलता है. पशुपालक अपने बीमार पशु को प्राइवेट झोलाछाप डॉक्टरों के यहां दिखाने के लिए मजबूर है. आये दिन मवेशी बीमार हो जाते हैं. बात इतनी ही नहीं है, जिले मे अस्पताल तो बने हैं, पर चतुर्थ वर्ग कर्मचारी नहीं होने से किसी- किसी दिन समय से खुलते भी नहीं.
एक डॉक्टर के भरोसे दो से तीन अस्पताल : अस्पताल की संख्या 22 और डॉक्टर की संख्या छह. इतने में क्या इलाज हो सकता है. हर गांव में पशुपालकों की अच्छी संख्या है, लेकिन इधर स्थिति यह है कि एक डॉक्टर सप्ताह में एक या दो दिन एक अस्पताल में समय दे पाता है.
जिला पशुपालन पदाधिकारी बताते हैं कि डॉक्टर की कमी की वजह से अधिकतर अस्पताल प्रभार में चल रहे हैं. दो डॉक्टर ब्लॉक मे पदस्थापित हैं. इनसे ब्लॉक का काम लिया जाता है. डॉक्टर की कमी का दंश पशुपालकों को भुगताना पड़ रहा है. बेचारे पशुपालक इस मामले में अपने आप को असहाय महसूस कर रहे हैं.
खसरे का टीकाकरण मार्च मे प्रस्तावित था, पर यह काम शुरू ही नहीं हुआ. इसे सरकार की उदासीनता कहें या पदाधिकारियों की लापारवाही इसका खामियाजा पशुपालकों को भुगतना पड़ रहा है. पशुपालक अपने पशुओं को खसरे का टीका किसी झोलाछाप डॉक्टरों के यहां लगवाकर अपने आप को ठगा महसूस कर रहे हैं
गलाघोंटू व लंगड़ी जैसे खतरनाक रोग पर भी सरकार का ध्यान नहीं है, जबकि यह मवेशिओं के बहुत ही खतरनाक रोग हैं. इससे मवेशी के मरने की संभावना बनी रहती है. और इन बीमारियों से पशुपालक घबराये हुए हैं. लेकिन, सरकार इस पर भी ध्यान नहीं दे रही है.
इसके टीकाकरण का समय जून मे प्रस्तावित था, लेकिन अभी तक इस टीकाकरण की शुरुआत नहीं हो पायी है. जिला पशुपालन पदाधिकारी के अनुसार, अभी तक इसके शुरू होने की कोई जानकारी नहीं है. अभी पशुपालक इस बीमारी से बचने के लिए कहां जाये इस बारे मे सोचकर सहमे हुए हैं.

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