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बगैर व्यवस्था के पराली जलाने पर रोक के खिलाफ मौन व्रत से शुरू हुआ आंदोलन

भभुआ कार्यालय : खेतों में धान कटाई के बाद पराली को जलाना न पड़े, इसके लिए बगैर व्यवस्था किये किसानों को पराली जलाने पर रोक लगाये जाने के खिलाफ कैमूर जिले में नायाब तरीके से आंदोलन की शुरुआत की गयी है. राजद किसान प्रकोष्ठ के जिलाध्यक्ष सुनील कुमार सिंह ने एक महीना 10 दिन के […]

भभुआ कार्यालय : खेतों में धान कटाई के बाद पराली को जलाना न पड़े, इसके लिए बगैर व्यवस्था किये किसानों को पराली जलाने पर रोक लगाये जाने के खिलाफ कैमूर जिले में नायाब तरीके से आंदोलन की शुरुआत की गयी है.

राजद किसान प्रकोष्ठ के जिलाध्यक्ष सुनील कुमार सिंह ने एक महीना 10 दिन के लिए मौन व्रत पिछले दो नवंबर से शुरू कर दिया है, वे किसानों की समस्याओं को लेकर आगामी 12 दिसंबर तक इसी तरह मौन व्रत रहने का फैसला किया है. वहीं, दूसरी तरफ वह आगामी सात से 12 दिसंबर तक किसानों के साथ समाहरणालय पर मौन धरना देंगे. जिले में किसानों की लड़ाई लड़नेवाले सुनील पिछले आठ सालों से बगैर अनाज के ही सिर्फ दूध व फल पर अपना जीवनयापन कर रहे हैं.
कल कारखाना, गाड़ी व ईंट भट्ठों से फैल रहा है 85 प्रतिशत प्रदूषण : गांव-गांव भ्रमण कर किसानों को अपनी हक की लड़ाई के लिए जागरूक कर रहे सुनील मौत व्रत के दौरान हर समय स्लेट व पेंसिल लेकर चल रहे हैं और गांव-गांव में किसान मजदूरों को एकत्रित कर स्लेट पर लिख-लिख कर उनके हक को बता सरकार के पराली जलाने के रोक के फैसले के खिलाफ आंदोलन के लिए तैयार कर रहे हैं.
मौत व्रत सुनील का कहना है कि देशभर में 85 प्रतिशत प्रदूषण कल कारखाना, गाड़ी, ईंट भट्ठा से होता है. सिर्फ आठ प्रतिशत प्रदूषण किसानों के पराली जलाने से होता है. सरकार कल कारखानों व गाड़ी से होनेवाले प्रदूषण पर रोक लगाने के बजाय गरीब किसान, मजदूरों को पराली जलाने पर रोक लगा रही है.
स्वामीनाथन कमेटी की रिपोर्ट को करे लागू
मौन व्रत कर रहे सुनील ने अपने मांग पत्र में स्वामीनाथन कमेटी की रिपोर्ट को पूर्ण रूप से लागू करने की मांग की है. इसके अलावा उनकी मांग है कि कृषि विभाग द्वारा जिले के सभी कृषि यंत्र बेचनेवाले दुकानों पर सब्सिडी दे, रीपर व मलचर उपलब्ध कराया जाये, तब पराली जलाने पर रोक लगायी जाये. किसानों व मजदूरों की बीमा करायी जाये व किसान व मजदूरों के आकस्मिक निधन पर उनके आश्रितों को नौकरी दी जाये.
पहले व्यवस्था, फिर पराली जलाने पर रोक लगाये
सरकार को पराली जलाने पर रोक लगाने से पहले इसकी व्यवस्था करनी चाहिए. बगैर वैकल्पिक व्यवस्था किये पराली जलाने पर रोक लगाना पूरी तरह से गलत है. पराली जलाना न पड़े, इसके लिए धान की फसल जड़ से कट कर भूसा बन जाये. इसके लिए कृषि विभाग में पहले रीपर और मलचर उपलब्ध कराना चाहिए और उस पर पर्याप्त सब्सिडी दी जाये. ताकि, हार्वेस्टर वाले रीपर व मलचर लगा कर जब कटनी करेंगे, तब स्वत: ही किसानों को पराली जलाने की जरूरत नहीं पड़ेगी.
कृषि विभाग में एक भी रीपर व मलचर उपलब्ध नहीं है और सरकार की तरफ से पराली जलाने पर रोक लगाये जाने के कारण हार्वेस्टर वाले धान काटने को तैयार नहीं हैं. क्योंकि, प्रशासन ने प्राथमिकी का आदेश दिया है. ऐसे में किसानों के खून पसीने से उपजाया गया हजारों एकड़ में करोड़ों का लगा धान बर्बाद हो जायेगा.

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