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डीएम कोर्ट के निर्णयों की हो रही अनदेखी

मोहनिया सदर : जिले के आइसीडीएस के पदाधिकारी डीएम कोर्ट के निर्णयों की भी अवहेलना कर रहे हैं. डीएम कोर्ट के आदेश के बाद भी आइसीडीएस के पदाधिकारियों ने छह माह बाद भी सेविकाओं ने चयन नहीं किया. जिला प्रोग्राम पदाधिकारी (डीपीओ) न्यायालय के न्याय पर अब लोगों का भरोसा उठ चुका है. इस न्यायालय […]

मोहनिया सदर : जिले के आइसीडीएस के पदाधिकारी डीएम कोर्ट के निर्णयों की भी अवहेलना कर रहे हैं. डीएम कोर्ट के आदेश के बाद भी आइसीडीएस के पदाधिकारियों ने छह माह बाद भी सेविकाओं ने चयन नहीं किया. जिला प्रोग्राम पदाधिकारी (डीपीओ) न्यायालय के न्याय पर अब लोगों का भरोसा उठ चुका है.

इस न्यायालय की पूर्व डीपीओ ने जिस तरह से सेविका चयन में अनियमितता व उदासीन रवैया बरता गया, उससे अब लोगों को इस विभाग पर भरोसा नहीं रह गया है.
कुल मिला कर यहां बहुत से मामलों का जनाजा निकल चुका है. खास बात यह है कि आइसीडीएस विभाग के कुछ पदाधिकारी व कर्मचारी जिला दंडाधिकारी के निर्णय को भी ठेंगा दिखाने में लगे हैं.
तभी तो डीएम कोर्ट से सेविकाओं के चयन को लेकर दिये गये निर्णय का छह माह बाद भी पालन नहीं किया गया और आज भी डीएम कोर्ट के आदेश की प्रति लेकर प्रखंड से लेकर जिला मुख्यालय तक दर-दर की ठोकरे खाते हुए भटक रहे हैं.
केस 01
प्रखंड के बढुपर पंचायत के सकरौली गांव के वार्ड तीन में 2017 में सेविका पद के लिए आवेदन जमा करने के बाद आमसभा के लिए नौ व 11 नवंबर 2017 को निर्धारित की गयी. लेकिन, संबंधित अधिकारी उक्त पद पर आवेदिका सीमा कुमारी का चयन करना चाहती थी. जबकि, मंजू देवी उसी वार्ड की रहनेवाली थी.
लेकिन, संबंधित अधिकारी ने मंजू देवी का नाम वार्ड दो में दिखा कर आवेदन को निरस्त कर दिया और मंजू का नाम मेधा सूची में शामिल नहीं किया. इस बाबत आमसभा में दोनों बार हंगामा हो गया. किसी का चयन नहीं किया जा सका. कुछ समय बाद सीमा कुमारी को बिना आमसभा बुलाये ही गोपनीय ढंग से चयन पत्र संबंधित अधिकारी द्वारा दे दिया गया.
तब मंजू देवी ने डीपीओ के न्यायालय में आंगनबाड़ी विविध वाद संख्या 11/2018 दायर किया. इसमें पूर्व डीपीओ ने 20 अप्रैल 2018 को सीमा कुमारी के पक्ष में निर्णय दे दिया. इस निर्णय के विरुद्ध मंजू देवी ने डीएम कोर्ट में मामले को दायर किया. जहां मंजू देवी के अधिवक्ता ने सेविका/ सहायिका चयन मार्ग दर्शिका 2016 एवं विभाग के प्रधान सचिव के पत्र का हवाला देते हुए डीपीओ के निर्णय को डीएम कोर्ट में चुनौती दिया.
दोनों पक्षों के अधिवक्ता का पक्ष सुनने व कागजात देखने के बाद जिला दंडाधिकारी ने डीपीओ के निर्णय को निरस्त करते हुए डीपीओ को 28 दिसंबर 2018 को आदेश दिया कि सीडीपीओ मोहनिया को निर्देशित करें कि चार सप्ताह में गहन जांच करे. लेकिन, अब तक इस मामले का निबटारा नहीं हो सका और आज भी मंजू देवी प्रखंड से लेकर जिला तक का चक्कर काट रही है.
केस 02
बघिनी पंचायत के वार्ड संख्या सात में आंगनबाड़ी सेविका व सहायिका के रिक्त पदों 14 अगस्त 2017 को आमसभा की गयी. संबंधित अधिकारी आवेदिका शिव कुमारी देवी का चयन अंक पत्र के प्रतिशत के आधार पर करना चाहती थी. आवेदिका के हाईस्कूल के अंकपत्र में उसकी जन्म तिथि 15 मई 1997 अंकित थी. इसके अनुसार आवेदन के समय उसकी आयु 20 वर्ष हो रही थी.
लेकिन, वहीं राजकीय कृत मध्य विद्यालय बघिनी में पढ़नेवाली आवेदिका की पुत्री गायत्री कुमारी की जन्म तिथि विद्यालय में 25 जुलाई 2004 अंकित है. इसको लेकर वार्ड सदस्य व ग्रामीणों ने हंगामा किया कि मां और बेटी के जन्म में सात साल का अंतर कैसे हो सकता है. विरोध के बाद चयन प्रक्रिया स्थगित कर दी गयी. फिर 27 सितंबर 2017 को आमसभा सुनिश्चित की गयी. लेकिन, संबंधित अधिकारी नहीं पहुंची.
तब, लक्ष्मी देवी ने सीडीपीओ के बाद डीपीओ कार्यालय में आवेदन दिया. इसमें एक बार सुनवाई के बाद दूसरी बार 27 अप्रैल 2018 को डीपीओ ने दोनों पक्ष को बुलाया. फिर मामले का निष्पादन नहीं हुआ और अगली तिथि 12 मई 2018 रख दी गयी. इसके बाद अंत में डीपीओ राखी कुमारी ने आदेश जारी कर दिया कि लक्ष्मी देवी द्वारा लगाये गये सभी आरोप बेबुनियाद है.
शिवकुमारी देवी को चयन पत्र देना पर्यवेक्षिका सुनिश्चित करें. लक्ष्मी देवी ने डीएम के न्यायालय में परिवाद दायर किया. इसमें डीएम ने डीपीओ को आदेश दिया कि छह सप्ताह के अंदर नये सिरे से विज्ञापन प्रकाशित कर आवेदन आमंत्रित कर नियमानुकुल चयन प्रक्रिया को पूरा करें. लेकिन, अब तक मामला पेंडिंग पड़ा है.
केस 03
मोबारकपुर के वार्ड सात में अत्यंत पिछड़ा वर्ग की आवेदिका का चयन सेविका के पद पर करना था. लेकिन यहां से इस वर्ग की किसी महिला ने आवेदन नहीं किया.
उक्त वार्ड के इस रिक्त पद के लिए पिछड़ी जाति से एक एवं सामान्य जाति से दो महिलाओं ने आवेदन फार्म भरा था. इसके साथ ही अन्य वार्ड यानी वार्ड आठ एवं वार्ड नौ से एक-एक महिला ने फार्म जमा किया था. इस मामले में संबंधित विभाग के द्वारा दिये गये गाइडलाइन के अनुसार पर्यवेक्षिका ने यहां सामान्य वर्ग की आवेदिका आरती देवी का चयन नियमानुसार किया है.
इसी गांव के वार्ड आठ में रहने वाली आवेदिका प्रीति रानी पति राजेश रंजन का भी आज तक पेडिंग में पड़ा है. इसमें भी डीएम ने आदेश जारी कर आदेश दिया था. लेकिन, आज तक मामले का निष्पादन नहीं हो सका.
हांलाकि वाद संख्या 03/2018 के डीपीओ के निर्णय के विरुद्ध 09 जुलाई 2018 को आरती कुमारी ने डीएम कोर्ट में परिवाद दायर किया. सुनवाई के बाद डीएम ने 26 अक्तूबर 2018 को डीपीओ को आदेश जारी किया कि इस पूरे मामले की जांच करा नियमावली के आधार पर योग्य सेविका का चयन किया जायें. इस पूरे मामले में पूर्व प्रभारी सीडीपीओ अजय कुमार सिंह व पूर्व पर्यवेक्षिका अपनी रिपोर्ट डीपीओ को सौंप चुके है.
फिर भी कोई ठोस निर्णय अब तक नहीं लिया गया है. वर्तमान डीपीओ आरती कुमारी के पति मुरलीधर को यही आश्वासन देती रही है कि जब भी इस मामले में कुछ नया होगा आप लोगों को बताया जायेगा. लेकिन कब क्या होगा इसकी कोई जानकारी नहीं है.
केस 04
अकोढ़ीमेला पंचायत के दनियालपुर कुरई के वार्ड संख्या सात में नौ अप्रैल 2018 को आमसभा का आयोजन किया गया. इसमें संबंधित अधिकारी ने आवेदिका सरिता कुमारी पति अजय कुमार सिंह का चयन योग्यता यानी अंक पत्र के प्रतिशत के आधार पर करने का प्रयास किया.
लेकिन, आवेदिका कंचन कुमारी सहित कुछ लोग विरोध करने लगे. इसके बाद कंचन कुमारी ने 11 अप्रैल को सीडीपीओ कार्यालय में आवेदन देकर कहा कि सरिता कुमारी का चयन गलत तरीके से किया गया है. उनके परिवार की मासिक आय 15 हजार से अधिक है.
उनके परिवार में अनाज का गोला व किराना दुकान है. इसकी जानकारी होते ही मेधा सूची में दूसरे स्थान पर रही आवेदिका चांदनी कुमारी पति जितेंद्र कुमार सिंह ने भी सीडीपीओ को आवेदन देकर कहा कि सरिता कुमारी का नाम रामगढ़ प्रखंड के बंदीपुर की मतदातासूची में दर्ज है. इनका मतदाता पहचान पत्र संख्या जेडआरआई 1638386 है.
इनके पति, ससूर व सास का नाम भी वहां की मतदाता सूची में है. इसके साथ ही मोहनिया प्रखंड के कुरई की मतदाता सूची में सरिता कुमारी का नाम दर्ज है. इसकी जांच का जिम्मा सीडीपीओ विनीता कुमारी ने पर्यवेक्षिका को सौंपा. जांच में मामला सही पाया गया.
11 मई 2018 को आम सभा कर नियमावली के अनुसार चांदनी कुमारी पति जितेंद्र कुमार सिंह को चयन पत्र पर्यवेक्षिका ने दे दिया. चांदनी कुमारी विगत 09 जुलाई से सेविका का प्रशिक्षण ले रही थी कि इधर सरिता कुमारी ने डीपीओ न्यायालय में परिवाद दायर कर दिया और आज तक मामला पेंडिंग पड़ा रहा.
बोले जिलाधिकारी
इस संबंध में पूछे जाने पर डीएम डॉ नवल किशोर चौधरी ने कहा कि उनके आदेश के बाद भी डीपीओ के यहां कई मामले लंबित पड़े हैं. इसमें कई गड़बड़ियां भी है. उनके स्तर से कुछ सीडीपीओ पर कार्रवाई भी करने की तैयारी कर रहे हैं और यदि इस मामले में किसी भी व्यक्ति ने आवेदन दिया तो बिना देर किये संबंधित पदाधिकारी पर कार्रवाई की जायेगी.

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