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नौनिहालों को पिलाया जा रहा घटिया किस्म का दूध

भभुआ नगर : जिले में संचालित विशिष्ट दत्तक ग्रहण संस्थान (भभुआ) में पल रहे नौनिहालों की जिंदगी से खिलवाड़ हो रहा है. इस मामले का खुलासा गुरुवार को हुआ. हर महीने की भांति इस महीने भी विशिष्ट दत्तक ग्रहण संस्थान का जिला विधिक प्राधिकार की तीन सदस्यीय समिति ने जांच की. सुप्रीम कोर्ट के आदेश […]

भभुआ नगर : जिले में संचालित विशिष्ट दत्तक ग्रहण संस्थान (भभुआ) में पल रहे नौनिहालों की जिंदगी से खिलवाड़ हो रहा है. इस मामले का खुलासा गुरुवार को हुआ. हर महीने की भांति इस महीने भी विशिष्ट दत्तक ग्रहण संस्थान का जिला विधिक प्राधिकार की तीन सदस्यीय समिति ने जांच की. सुप्रीम कोर्ट के आदेश पर बनायी गयी तीन सदस्यीय टीम गुरुवार को बाल संरक्षण इकाई केंद्र गयी, तो कई गड़बड़ियां सामने आयीं.

डॉक्टरों के मुताबिक, उक्त केंद्र में पल रहे 10 में से छह बच्चों को गाय का दूध पिलाने का निर्देश दिया गया है. जांच में दूध घटिया किस्म का पाया गया. इसके बाद जिला विधिक प्राधिकार की तीन सदस्यीय टीम ने उक्त केंद्र के सामाजिक कार्यकर्ता को जम कर फटकार लगायी.
72 के बजाये खर्च हुआ महज छह डिब्बा दूध : चार नौनिहालों को चिकित्सक डॉ प्रेमशंकर द्वारा डिब्बा का दूध पिलाने का सुझाव दिया गया था. 18 दिन में उक्त चार बच्चों पर जहां 72 डिब्बे दूध खर्च होना था. मात्र छह डिब्बा दूध खर्च हो सका है. छह बच्चों को पिलाये जानेवाले गाय का दूध अधिकारियों के जांच में घटिया किस्म का पाया गया.
अधिकारियों ने चाइल्ड केयर यूनिट एवं मानवाधिकार को कार्रवाई के लिए पत्र लिखने की बात कही. मौके पर तीन सदस्यीय टीम में विधिक सेवा प्राधिकार के सचिव प्रदीप कुमार श्रीवास्तव, चिकित्सक डॉ महताब व कानूनी सलाहकार दिलीप कुमार मौजूद रहे.
क्या कहते हैं अधिकारी
विधिक सेवा प्राधिकार के सचिव प्रदीप कुमार श्रीवास्तव ने कहा कि जांच के दौरान काफी अनियमितता पायी गयी है. बच्चों के रखरखाव सहित देनेवाले आहार में भी घटिया सामान का उपयोग किया जा रहा है. तय मानकों के अनुसार, बच्चों को आहार मुहैया नहीं कराया जा रहा है.
जांच के दौरान सचिव ने स्पष्ट करते हुए कहा कि आखिर बच्चों पर खर्च होनेवाला सामान कहां चला जाता है. कहीं ऐसा तो नहीं है कि ये सामान संस्थान के बजाये घर तक तो नहीं पार्सल होता है. सभी मामलों को लेकर चाइल्ड केयर यूनिट एवं मानवाधिकार विभाग को कार्रवाई के लिए पत्र लिखा जा रहा है.
फूड इंस्पेक्टर से करायी जायेगी बच्चों को देनेवाले आहार की जांच
टीम ने बताया कि उक्त केंद्र में बच्चों के स्वास्थ्य के साथ यहां के कर्मी व अधिकारी खिलवाड़ कर रहे हैं. 72 डिब्बे के जगह मात्र छह डिब्बे दूध पिलाये गये. यहां तक जिन बच्चों को गाय का दूध पिलाने का सुझाव चिकित्सक ने दिया था उस दूध में मिलावट किया गया. प्रत्येक माह एक बच्चे पर सरकार द्वारा 2160 रुपया खर्च किया जाता है. लेकिन, जांच में जो पाया गया उसके अनुसार एक बच्चे पर पांच सौ रुपया खर्च नहीं किया जाता है.

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