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खुद टांग कर मरीज को लाने पर सदर अस्पताल में होता है इलाज

भभुआ सदर : सदर अस्पताल में अगर आपको इलाज के लिए मरीज लेकर जाना हो, तो पहले ये जान लें कि सदर अस्पताल में मरीज को अंदर-बाहर ले जाने के लिए कोई मेडिकल स्टाफ नहीं मिलेगा. बल्कि, स्वयं या फिर दूसरे मरीजों के परिजन की सहायता लेकर बीमार का इलाज कराना पड़ सकता है. क्योंकि, […]

भभुआ सदर : सदर अस्पताल में अगर आपको इलाज के लिए मरीज लेकर जाना हो, तो पहले ये जान लें कि सदर अस्पताल में मरीज को अंदर-बाहर ले जाने के लिए कोई मेडिकल स्टाफ नहीं मिलेगा. बल्कि, स्वयं या फिर दूसरे मरीजों के परिजन की सहायता लेकर बीमार का इलाज कराना पड़ सकता है. क्योंकि, सदर अस्पताल के इमरजेंसी में डॉक्टर हो या कर्मचारी मरीज को उनके तक लाने पर ही उनका इलाज या मरहमपट्टी किया जाता है.

उदाहरण स्वरूप शनिवार को शहर से सटे सीवों गांव की लकवे से अपाहिज हुई और आंगन में गिरने से जख्मी पत्नी कुमारी देवी को रिक्शे से लेकर डोमा खरवार जब दिन के 12 बजे सदर अस्पताल के इमरजेंसी के बाहर पहुंचे और पत्नी का इलाज कैसे होगा, यह पूछने जब अंदर पंखे के नीचे आराम से बैठे गार्ड के पास पहुंचे,

तो उसने महिला के अधेड़ व कमजोर पति को खुद मरीज को टांग कर लाने के बाद ही डॉक्टर द्वारा इलाज करने की बात कही. इसके बाद महिला का पति कर्मचारियों के कमरे तक गया. लेकिन, किसी ने उसकी मदद नहीं की. इधर, दर्द से कराह रही पत्नी का दर्द उससे नहीं देखा गया, तो वह स्वयं ही कमजोर हाथों और विवाहिता बेटी के सहयोग से स्ट्रेचर लाया और रिक्शेवाले के सहयोग से पत्नी को स्ट्रेचर पर लिटाया और उसे अंदर डॉक्टर के कमरे तक लाये.

मरीजों के प्रति गंभीरता नहीं दिखाते कर्मचारी : सदर अस्पताल में अक्सर ऐसा होता है कि मरीज के परिजन इलाज की जानकारी या फिर जांच की व्यवस्था कहां होगी. इसके लिए मारे-मारे फिरते हैं. लेकिन, ड्यूटी में तैनात स्वास्थ्यकर्मी उनकी मदद के लिए आगे नहीं आते. यहां तक कि उनके ड्रेस में नहीं होने से भी उनकी पहचान नहीं हो पाती. अब इस स्थिति का फायदा कर्मी उठाते हैं और इमरजेंसी में गंभीर मरीज के आने के बाद भी उनकी मदद करने को हाथ आगे नहीं बढ़ाते.
बल्कि, सारा माजरा समझते हुए भी अस्पताल प्रबंधन द्वारा उनके आराम फरमाने के लिए दिये गये कमरे में बैठे देखते रहते हैं. मरीज के साथ आये परिजन भी ड्रेस में उनके नहीं होने की वजह से उनके पास जाने की हिम्मत नहीं जुटाते. कुछ दिन पहले सीएस ने निरीक्षण के दौरान एएनएम के अलावे सभी पुरुष स्टाफ को ड्रेस में रहने का सख्त निर्देश दिया था. लेकिन, सीएस के निर्देश का पालन करने के लिए कर्मी इच्छुक नहीं हैं.
जांच कर होती है कार्रवाई
सदर अस्पताल में मेल स्टाफ द्वारा मरीजों के साथ कि जा रही संवेदनहीनता पर अस्पताल उपाधीक्षक डॉ विनोद कुमार सिंह का कहना था कि समय-समय पर जांच कर वैसे कर्मचारियों पर कार्रवाई सहित उनका वेतन अवरुद्ध किया जाता है. अगर फिर से कर्मचारी व्यवस्था से कोताही बरत रहे हैं, तो इसकी जांच करा वैसे स्टाफ पर सख्त कार्रवाई की जायेगी.
डॉक्टर ने भी पति को स्टाफ बुला लाने को कहा
हद तो तब हो गयी जब किसी तरह अधेड़ डोमा अपनी बेटी और रिक्शेवाले के सहयोग से निढाल पत्नी को लेकर इमरजेंसी में बैठनेवाले डॉक्टर के कमरे तक पहुंचा, तो उस वक्त मौजूद डॉक्टर ने भी मरीज के इलाज के लिए ओटी के सामने कमरे में बैठे और बातों में मशगूल कर्मचारियों को बुला लाने के लिए कहा. मजबूरन डोमा पुनः स्टाफ को बुलाने गया.
लेकिन, बुलाने पर भी स्टाफ नहीं पहुंचा, तो डॉक्टर ने स्वयं पर्चे पर एक्सरे करवाने को लिखते हुए ओपीडी से एक्सरे करवा लाने को कहा. डोमा द्वारा लकवाग्रस्त पत्नी के इलाज का जद्दोजहद का अंत यही नहीं हुआ. पुनः स्ट्रेचर ढकेलता हुआ डोमा पत्नी को ओपीडी लेकर गया, जहां एक्सरे करवाने के बाद उसकी पत्नी का इलाज शुरू हुआ.

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