वेदर रिपोर्ट के अनुसार एक सप्ताह तक बादलों का मिजाज बना रहेगा कड़क
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बादलों की मेहरबानी पर टिकीं जिले की सिंचाई परियोजनाएं
वेदर रिपोर्ट के अनुसार एक सप्ताह तक बादलों का मिजाज बना रहेगा कड़क भभुआ : जिले के सिंचाई व्यवस्था की रीढ़ समझी जानेवाली सिंचाई परियोजना फिलहाल बादलों के मेहरबानी पर आकर अटक गयी है. दुर्गावती जलाशय परियोजना से लेकर सोन उच्च स्तरीय नहर को पानी आपूर्ति करने वाले इंद्रपुरी बराज तक पूरी तरह फेल हो […]
भभुआ : जिले के सिंचाई व्यवस्था की रीढ़ समझी जानेवाली सिंचाई परियोजना फिलहाल बादलों के मेहरबानी पर आकर अटक गयी है. दुर्गावती जलाशय परियोजना से लेकर सोन उच्च स्तरीय नहर को पानी आपूर्ति करने वाले इंद्रपुरी बराज तक पूरी तरह फेल हो चुका है. वेदर रिपोर्ट के अनुसार अब एक सप्ताह तक जिले में बादलों का मिजाज कड़क रहने का डाटा पेश किया जा रहा है.
गौरतलब है कि धान का कटोरा कहे जाने वाले कैमूर के कृषि प्रक्षेत्र का लगभग 60 प्रतिशत भाग का पटवन दुर्गावती जलाशय परियोजना तथा इंद्रपुरी बराज, डेहरी- ऑन- सोन पर आधारित है पर,अब तक यह दोनों परियोजनाओं से कैमूर के किसानों को निराशा ही हाथ लगी है. जबकि, वर्तमान में रोहिणी नक्षत्र में किसी तरह निजी साधनों से बिचड़ा डाल चुके किसानों के सामने बिचड़े को बचाने का गंभीर संकट खड़ा हो चुका है. हालांकि, जिले में बारिश के नाम पर बरसात का सगुन तो हुआ है. लेकिन, खेती के लिये अपर्याप्त है. दूर-दूर तक अब तक बारिश का कोई नामोनिशान तक नहीं दिखाई दे रहा है. आसमान का रंग सफेद बना हुआ है. तेज धूप और गर्म हवाओं ने लोगों का जीना दूभर कर दिया है. प्रकृति के इस रूखे मिजाज का असर धान के इस कटोरे में जिले के सिंचाई परियोजनाओं पर भी गंभीर रूप से पड़ा है.
उल्लेखनीय है कि दो पहाड़ियों को बांध कर पूरे 36 सालों बाद सरजमी पर उतरी दुर्गावती जलाशय परियोजना के बायें तट नहर केनाल से कैमूर के दक्षिणी-पश्चिमी भाग तथा दायें तट नहर केनाल से रोहतास के एक बड़े भू-भाग का पटवन होता है. इसी तरह जिले के सिंचाई व्यवस्था की दूसरा लाइफलाइन सोन उच्च स्तरीय नहर भी पूरी तरह इंद्रपुरी बराज के जल संग्रहण क्षमता पर आधारित है. इस नहर द्वारा जिले के रामपुर, भगवानपुर, भभुआ प्रखंड के एक बड़े भू-भाग का पटवन होता है. लेकिन, ये दोनों परियोजनाएं पानी देने के नाम पर अपना हाथ खड़ा कर चुकी हैं. रही बात मौसम की तो अगर इंटरनेट के डाटा के अनुसार जिले के मौसम रिपोर्ट पर नजर डालें तो कम से कम एक सप्ताह तक जिले में पानी के आसार के लक्षण भी नहीं दिखाई दे रहे हैं. हालांकि, बीच-बीच में छिटपुट बादलों का आसमान में रंग बदलना संकेत प्रदर्शित किया जा रहा है.
दुर्गावती जलाशय में बेड लेबल तक पड़ा है पानी
अब तक मिली जानकारी के अनुसार दुर्गावती जलाशय परियोजना में पानी बेड लेबल पर पड़ा हुआ है. दुर्गावती जलाशय परियोजना के बांध प्रमंडल दो के कार्यपालक अभियंता का कहना है कि जलाशय में पानी नहीं है. अभी जलाशय में पानी का स्तर उसके बेड लेबल 114 मीटर के ऊंचाई पर है. जबकि, जलाशय में 115 मीटर से ऊपर पानी होने के बाद ही पटवन के लिये आउट लेट से पानी की आपूर्ति संभव हो सकती है. बताया जाता है कि दुर्गावती जलाशय के पानी स्टोरेज क्षमता गत वर्ष 128 मीटर तक रखी गयी थी. हालांकि, कार्यपालक अभियंता का कहना है कि केंद्रीय जल आयोग की टीम सर्वेक्षण को आने वाली है. इस बार जलाशय की क्षमता दो मीटर और बढ़ायी जा सकती है. 130 मीटर से ऊपर पानी होने के बाद उसे दुर्गावती नदी में छोड़ दिया जायेगा. बहरहाल इन मीटरों का झंझट किसानों के पल्ले नहीं पड़ने वाला है. किसान तो बस पानी का इंतजार कर रहे हैं.
जिले के सोन उच्च स्तरीय केनाल को पानी आपूर्ति करने वाला रोहतास जिले के डेहरी में बांधा गया बांध इंद्रपुरी बराज भी सूखा पड़ा हुआ है. जबकि, इंद्रपुरी बराज में उत्तरप्रदेश के रिहन्द परियोजना तथा मध्य प्रदेश के बाण सागर परियोजना से पानी की आपूर्ति की जाती है. सोन उच्चस्तरीय नहर केनाल के कार्यपालक अभियंता सुरेंद्र शर्मा का कहना है कि इंद्रपुरी बराज में कम से कम 15 हजार क्यूसेक पानी होने के बाद ही नहर और वितरणियों में पानी की आपूर्ति की जा सकती है. वर्तमान में इंद्रपुरी बराज में पानी नहीं है. हालांकि, बुधवार को जिला कृषि टास्क फोर्स की बैठक में जिलाधिकारी डॉ नवल किशोर चौधरी द्वारा कार्यपालक अभियंता को बराज में पानी की आपूर्ति किये जाने को मुख्य अभियंता इंद्रपुरी बराज से पत्र व्यवहार करने का निर्देश दिया गया है.
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